पिछले साल Ola Electric का IPO बहुत सफल रहा था और लोगों ने जितने शेयर उपलब्ध थे, उससे चार गुना ज्यादा खरीदने की कोशिश की थी। लेकिन इस साल हालात बिल्कुल बदल गए हैं। कंपनी का बाजार हिस्सा लगातार गिर रहा है, शेयर की कीमत आधे से ज्यादा टूट चुकी है और कंपनी को नए निवेशक या कर्ज देने वाले बैंक भी आसानी से नहीं मिल रहे हैं। कंपनी के हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कई निवेशकों ने पिछले कुछ महीनों में ओला को साफ मना कर दिया है। वहीं, कुछ से बातचीत अभी भी चालू है, लेकिन कंपनी की कमजोर होती बिक्री और खराब वित्तीय स्थिति के कारण ज्यादातर निवेशक दूर ही रहना चाहते हैं।
ओला इलेक्ट्रिक की ताजा तिमाही रिपोर्ट ने कंपनी की मुश्किलें और उजागर कर दी हैं। कंपनी की आमदनी में 43% की गिरावट आई है और बिक्री भी 47% कम हुई है।इन खराब नतीजों के बाद कंपनी ने खुद मान लिया है कि साल की दूसरी छमाही में भी बिक्री उम्मीद से कम रहेगी। इसलिए कंपनी ने इस पूरे साल की बिक्री का अनुमान भी घटा दिया है। कंपनी के पास कैश भी तेजी से घट रहा है। सितंबर तक कंपनी के पास सिर्फ ₹160 करोड़ की नकदी बची थी, जबकि मार्च में उसके पास ₹480 करोड़ थे। आगे कंपनी को मार्च 2026 तक ₹550 करोड़ और उसके बाद वाले साल में ₹620 करोड़ का कर्ज भी चुकाना है।
Kotak Securities के विश्लेषकों ऋषि वोरा और अपूर्व देसाई ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि कंपनी की स्थिति “दबाव में है और अगर मुख्य समस्याएं (कम बिक्री) नहीं सुधरीं, तो हालात और खराब हो सकते हैं।” कोटक ने ओला के शेयर पर Sell Rating भी दी है।
कंपनी नए निवेशकों से लगभग ₹1,500 करोड़ जुटाने की कोशिश कर रही है, लेकिन निवेशक ओला की कमजोर हालत देखकर पैसा लगाने को तैयार नहीं हैं। इतना ही नहीं, बोर्ड द्वारा मंजूर ₹1,700 करोड़ का कर्ज लेने की कोशिश भी सफल नहीं हुई, क्योंकि बैंक भी कंपनी की गिरती बिक्री और बढ़ते नुकसान को देखते हुए कर्ज नहीं देना चाहते। ओला के संस्थापक और चेयरमैन भाविश अग्रवाल अब अपना ध्यान घरों में इस्तेमाल होने वाले बैटरी बैकअप सिस्टम को बेचने पर लगा रहे हैं, ताकि कंपनी की हालत सुधर सके।
इस मुश्किल हालत में ओला इलेक्ट्रिक ने ‘Ola Shakti’ नाम का नया बैटरी बैकअप लॉन्च किया है। इसकी कीमत ₹1.20 लाख से ₹1.25 लाख है। यह बैटरी बैकअप घरों और छोटी दुकानों के लिए बनाया गया है। कंपनी को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में इस प्रोडक्ट से ₹100 करोड़ तक की कमाई हो सकती है, और साल 2027 तक यह बिजनेस ₹1,000 करोड़ तक बढ़ सकता है। लेकिन विशेषज्ञों की राय इससे काफी अलग है।
Elara Securities के विश्लेषक जय काले का कहना है कि बैटरी बनाने का यह कारोबार बहुत महंगा और जोखिम भरा होता है। इसमें फायदा कमाने में कई साल लग जाते हैं। भारत में ज्यादातर घरों में अभी भी सस्ती लीड-एसिड बैटरी वाले इन्वर्टर इस्तेमाल होते हैं। ऐसे में ओला का महंगा लिथियम-आयन बैटरी सिस्टम बेचना आसान नहीं होगा।
Deloitte India के विशेषज्ञ आनंद रमणाथन का कहना है कि ऐसे बैटरी वाले प्रोडक्ट बेचने के लिए मजबूत सेल्स नेटवर्क और घर–दुकान बनाने वालों (रियल एस्टेट वाले) के साथ पार्टनरशिप बहुत जरूरी होती है। अगर यह सब नहीं होगा, तो ओला के लिए इस प्रोडक्ट को बाजार में बेच पाना बहुत मुश्किल होगा।
ओला इलेक्ट्रिक का बाजार में हिस्सा लगातार कम होता जा रहा है। पिछले साल कंपनी के पास 30% मार्केट शेयर था और वह सबसे आगे थी, लेकिन अब उसका हिस्सा घटकर सिर्फ 11.5% रह गया है। इसकी बड़ी वजह यह है कि अब लोग बजाज, टीवीएस, हीरो जैसी पुरानी और भरोसेमंद कंपनियों के स्कूटर ज्यादा खरीद रहे हैं। साथ ही Ather Energy जैसी नई कंपनियां भी बाजार में मजबूत होती जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शुरू में ओला को इसलिए फायदा मिला था क्योंकि बाकी कंपनियों ने इलेक्ट्रिक स्कूटर को शुरू करने में समय लिया। लेकिन अब जब सभी कंपनियां तेजी से अच्छे EV स्कूटर ला रही हैं, तो ओला को उनसे कड़ी टक्कर मिल रही है। इसी वजह से ओला के लिए अपना पुराना दबदबा वापस पाना अब मुश्किल होता जा रहा है। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ)