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बेहताशा बारिश से पहाड़ों पर पर्यटन उद्योग पस्त, बाढ़ के कारण सतर्क रुख अपना रहे पर्यटक- होटल प्रबंधन

कुछ कंपनियों को उम्मीद है कि सितंबर से दिसंबर तक प्रीमियम होटल ब्रांडों की ऑक्यूपेंसी दर लगभग 70 से 75 प्रतिशत रहेगी

Last Updated- August 27, 2025 | 11:23 PM IST
India will be the fifth largest market for travel and tourism

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बेतहाशा बारिश ने बुनियादी ढांचा सुविधाओं को तबाह कर दिया है। उत्तरी भारत के कई इलाकों, मुख्य रूप से जम्मू में बाढ़ जैसी स्थिति है, जिससे स्थानीय निवासियों के साथ-साथ पर्यटकों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कई जगह भूस्खलन हुआ है और सड़कें धंस गई हैं। राज्य सरकारें प्रभावित इलाकों में लोगों को नहीं जाने की सलाह दे रही हैं। होटल मालिकों और आतिथ्य क्षेत्र के अधिकारियों का कहना है कि सितंबर में त्योहारी सीजन शुरू हो जाएगा लेकिन इससे पहले उनका कारोबार तबाही के कगार पर पहुंच गया है। क्योंकि आने वाले दिनों और वर्षा के अनुमान के कारण पर्यटक अब दूसरी सुरक्षित जगहों का रुख कर रहे हैं।

मनाली के सेथन गांव में निर्वाण हम्ता रिट्रीट के मार्केटिंग मैनेजर सौरभ भंडारी ने कहा, ‘इस समय शहर खासकर ओल्ड मनाली का संपर्क दूसरी जगहों से टूट गया है। मनाली राजमार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे आवाजाही प्रभावित हुई है। इसलिए सड़कों की मरम्मत होने तक हमने कम से कम 15-20 दिनों के लिए बुकिंग लेनी बंद कर दी है।’ हालांकि मॉनसून के दौरान पर्यटकों की आवक वैसे ही कम होती है, फिर भी निर्वाण में अगले 20 दिनों के लिए बुकिंग बंद है।

भंडारी ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सितंबर के महीने में सिर्फ 1 लाख रुपये का राजस्व मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘इस समय कम ही लोग पहाड़ों की तरफ आते हैं। लेकिन भारी बारिश के कारण तो माहौल बिल्कुल सूना-सूना हो गया है।’

फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म ऐंड हॉस्पिटैलिटी के महासचिव राजीव मेहरा ने कहा, ‘हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के लंबे सप्ताहांत को ध्यान में रखते हुए उम्मीद थी कि लोग खूब आएंगे, लेकिन मॉनसून की भारी बारिश के चलते स्थिति खराब हो गई है और अब हम स्वयं लोगों को इस सीजन में यहां आने से बचने की सलाह दे रहे हैं।’ यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तरी रेलवे ने बुधवार को ऐलान किया कि जम्मू क्षेत्र में भारी बारिश के कारण उसने 45 ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं, जबकि 25 से अधिक बीच रास्ते में ही रोक दी गई हैं। इसलिए लोग अब बीच रास्ते ही अपनी यात्रा योजना बदलने को मजबूर हो रहे हैं। दिल्ली की 68 वर्षीय गृहिणी इंदरजीत गंभीर जिन्होंने पहाड़ों में अपनी छुट्टियां बिताने की योजना बनाई थी, यहां भारी भूस्खलन और बारिश के कारण 20 अगस्त को उन्होंने अपना रुख सिलीगुड़ी की ओर मोड़ लिया। उन्हें मूल रूप से गंगटोक से दार्जिलिंग की यात्रा करनी थी।

दिल्ली की 28 वर्षीय लेखिका सिमरन गिल को भी देहरादून की अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी है। उन्होंने कहा, ‘हमने स्वतंत्रता दिवस के लंबे सप्ताहांत के दौरान शहर घूमने की योजना बनाई थी, लेकिन अब एयरबीएनबी प्रबंधन ने हमें पहाड़ों की यात्रा करने के बारे में आगाह किया। आखिरकार हमने अपनी यात्रा टाल दी।’ दिल्ली के ही 29 वर्षीय कंसल्टेंट ओजस खुराना भी चाहते थे कि इस सप्ताह मनाली में छुट्टी बिताई जाए, लेकिन बदले मौसमी हालात के कारण वह पुदुच्चेरी चले गए हैं।

एचवीएस एनारॉक की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल मॉनसून न केवल खूब बरस रहा है, बल्कि यह अपेक्षाकृत जल्दी भी आ गया है। इससे इस साल जून तिमाही प्रभावित हुई है। मौसम विभाग के अनुसार लेह जैसे क्षेत्रों में इस मौसम में अब तक 300 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।

एक होटल के वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि हालांकि उत्तर भारत में कुछ पर्यटक और होटल प्रबंधन फिलहाल बाढ़ के कारण सतर्क रुख अपना रहे हैं, लेकिन इससे त्योहारी सीजन, खासकर दिवाली के आसपास की बुकिंग पर असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। अधिकारी ने यह भी कहा, ‘उत्तरी क्षेत्रों में अभी लोग अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के लिए एडवांस बुकिंग के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।’

रॉयल ऑर्किड होटल्स के अध्यक्ष अर्जुन बलजी ने कहा कि उत्तरी भारत में बाढ़ की मौजूदा स्थिति कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित है। ऐसे में अन्य वैकल्पिक पर्यटन स्थलों पर चहल-पहल बढ़ सकती है। उद्योग के लिए अच्छी खबर यह है कि बाकी त्योहारी सीजन दिसंबर अंत तक चलेगा। उस समय लोग सप्ताहांत में घूमने, शादी-समारोहों में हिस्से लेने तथा वैश्विक कलाकारों के लाइव कार्यक्रम देखने के लिए इधर-उधर जाएंगे।

उद्योग के अधिकारियों को साल-दर-साल आधार पर कमरे के किराए में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की उम्मीद है। ईजमाईट्रिप जैसी कुछ कंपनियों को उम्मीद है कि सितंबर से दिसंबर तक प्रीमियम होटल ब्रांडों की ऑक्यूपेंसी दर लगभग 70 से 75 प्रतिशत रहेगी। प्रीमियम या लग्जरी स्टे की प्राथमिकता के कारण औसत कमरा किराया लगभग 8,000 रुपये से 8,500 रुपये तक बढ़ सकता है।

ईजमाईट्रिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सह-संस्थापक रिकांत पिट्टी ने कहा, ‘अगस्त के लंबे सप्ताहांत में हमें एक शुरुआती झलक मिली, जिसमें गोवा जैसे स्थानों पर हवाई किराया और होटल की दरें बढ़ गईं और प्लेटफार्मों ने पिछले साल की तुलना में बुकिंग में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।’

घरेलू स्तर पर देखें तो वाराणसी, दुर्गा पूजा के दौरान कोलकाता और ऊंट मेले के लिए पुष्कर जैसे सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक केंद्रों के साथ-साथ गोवा, उदयपुर, जयपुर और कुर्ग जैसे पर्यटन स्थलों पर मांग को मजबूती मिलने की संभावना है। दुबई, बाली, थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका जैसे कम दूरी और वीजा की आसानी वाले स्थलों पर भी अधिक लोग जाना पसंद कर रहे हैं।

ब्रिगेड होटल वेंचर्स के उपाध्यक्ष रेयान अराना ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अक्टूबर से दिसंबर तक आमतौर पर मांग में वृद्धि होती है और कमरों की दरों में इस दौरान लगभग 10 से 11 प्रतिशत बढ़ जाती हैं। वहीं बैंगलोर और चेन्नई जैसे बाजारों में साल-दर-साल आधार पर ऑक्यूपेंसी में चार से पांच प्रतिशत की वृद्धि हो रही है।

आईटीसी होटल्स के प्रबंध निदेशक अनिल चड्ढा ने कहा कि महानगरों और प्रमुख पर्यटन स्थलों पर आईटीसी होटल्स में पिछले साल की तुलना में अधिक लोग आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘(एडवांस बुकिंग में) तेजी व्यापक है, लेकिन दिल्ली में आईटीसी मौर्य, मुंबई में आईटीसी मराठा और आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल, बेंगलुरु में आईटीसी गार्डेनिया और आईटीसी विंडसर और हैदराबाद में आईटीसी कोहेनूर जैसे हमारे होटलों का इसमें जबर्दस्त योगदान है।

First Published - August 27, 2025 | 11:10 PM IST

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