पिछले कुछ महीनों से सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के दाम में लगातार गिरावट देखी जा रही है। एपीआई सस्ता होने से दवा बनाने वाली कंपनियों का मार्जिन भी बढ़ा रहा है। हालांकि दवा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि एपीआई के दाम में कमी चीनी कंपनियों की एक सोची समझी रणनीति के कारण आई है। उन्होंने कहा कि चीन की कंपनियों ने भारत में एपीआई का उत्पादन पटरी से उतारने के लिए इनकी कीमतें घटा दी हैं। उन्होंने कहा कि भारत में फिलहाल एपीआई के दाम स्थिर होने की गुंजाइश नहीं दिख रही है।
मेटफॉर्मिन, पेनिसिलिन और टेल्मिसर्टन सहित कई अन्य एपीआई के दाम पिछले कुछ महीनों में काफी कम हो गए हैं। उदाहरण के लिए पैरासिटामोल की कीमतें घट कर 4.6 डॉलर प्रति किलोग्राम रह गई हैं। यह अपने उच्चतम स्तर से 53 प्रतिशत और सालाना आधार पर 31 प्रतिशत कम है। इसी तरह एम्लोडिपिन (रक्तचाप रोधी) का दाम उच्चतम स्तर से 60 प्रतिशत घटकर 64 डॉलर प्रति किलोग्राम रह गया है। ऐक्सिस कैपिटल के विश्लेषण के अनुसार इसकी कीमतें सालाना आधार पर 26 प्रतिशत और पिछले महीने की तुलना में 36 प्रतिशत कम हैं।
इंडियन फार्मास्युटिकल्स अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन के अनुसार एपीआई के लिए आयात पर हमारी काफी हद तक निर्भरता है जिससे इनकी कीमतों में गिरावट कुछ समय तक जारी रहेगी। जैन ने कहा कि ऐसा अक्सर देखा गया है कि अलग-अलग एपीआई की कीमतों में कमी आती हैं और कुछ ही महीनों बाद फिर इनमें तेजी दिखने लगती है।
दवा उद्योग पर नजर रखने वाले एक विशेषज्ञ ने कहा कि भारत में स्थानीय स्तर पर जब भी एपीआई की कीमतें घटती हैं चीन की कंपनियां भी एपीआई सस्ता कर देती हैं। एक बहुराष्ट्रीय दवा कंपनी के प्रबंध निदेशक रह चुके शख्स ने कहा, ‘कीमतें स्थिर होने में थोड़ा समय लग सकता है। प्रोत्साहन आधारित उत्पादन (पीएलआई) योजना से बेशक लाभ मिला है मगर एपीआई के लिए चीनी कंपनियों पर हमारी निर्भरता कम होने में फिलहाल थोड़ा समय लग सकता है।’
भारतीय दवा विनिर्माता संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन की तरफ से जान बूझकर दाम कम रखने से एपीआई के दाम कम हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन ने हमारी पीएलआई योजना को पटरी से उतारने की लिए ‘जान-बूझकर यह चाल’ चली है। पीएलआई के तहत स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाने की कोशिश हो रही है मगर चीन को यह बात रास नहीं आ रही है। एपीआई की कीमतों में कमी का यह सिलसिला कुछ समय तक चलेगा।’
दवा उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि एपीआई के दाम कई कारणों से कम हुए हैं। इनमें चीन की कंपनियों द्वारा एपीआई एवं मध्यवर्ती वस्तुओं की के दाम कम करना, पैरासिटामोल जैसी कुछ प्रमुख एपीआई के उत्पादन में हमारी आत्मनिर्भरता बढ़ना आदि कारण हैं। उत्पादन बढ़ने से कंपनियों के पास इनका (एपीआई) का भंडार बढ़ रहा है।
भारत पेनिसिलिन एवं की स्टार्टिंग मटीरियल का उत्पादन करने के काफी करीब पहुंच चुका है।
गुजरात की एक दवा कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘वर्ष 1990 के दशक में भारत में पेनिसिलिन बनाने वाली कई कंपनियां थीं मगर उस समय चीन की कंपनियों ने इसकी कीमतें घटाकर आधी कर दी थीं। इसके बाद ये कंपनियां चीन से एपीआई का आयात करने लगीं जिससे स्थानीय उत्पादन संयंत्र बंद हो गए। दवाओं में इस्तेमाल होने वाले एपीआई की कीमतें नियंत्रित होती हैं इसलिए एपीआई विनिर्माताओं को इनकी लागत कम रखनी पड़ी।’