केंद्रीय मंत्रिमंडल के शोध विकास व नवोन्मेष (आरडीआई) के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कोष की मंजूरी को देश में शोध व विकास और डीपटेक में निवेश के लिए बड़े प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है।
उद्योग जगत और संघों ने इस घोषणा की स्वागत की है और इसे सही दिशा में कदम करार दिया है। भारत का शोध व विकास में निवेश लंबे समय से चिंता का विषय रहा है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शोध व विकास के कोष की हिस्सेदारी 0.64 प्रतिशत है और यह अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों की 2 से 5 प्रतिशत हिस्सेदारी के मुकाबले बहुत कम है।
कई लोग उम्मीद कर रहे हैं कि भारत चीन के 2008 के कार्यक्रम ‘थाउजेंड टैलेंट प्लान’ के तहत प्रतिभाओं को अपने देश में वापस लाने की कोशिश व प्रयास कर सकता है। चीन के इस कार्यक्रम का ध्येय शोधकर्ताओं और उद्यमियों को देश में वापस आने और वैज्ञानिक व तकनीकी यात्रा में योगदान करने के लिए आकर्षित करना था।
3वन4 कैपिटल के संस्थापक साझेदार सिद्धार्थ पाई ने कहा, ‘उद्योग की इच्छा है कि यह कोष अनुसंधान के लिए अनुदान प्रदान करेगा और नवाचार के व्यावसायीकरण के लिए धन देगा। यह वैश्विक भारतीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने और उन्हें भारत में प्रयोगशालाए स्थापित करने की अनुमति देने की योजनागत सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण कारक होगा। यह इक्विटी कैपिटल को आगे बढ़ाएगा और भारतीय नवाचार के व्यवसायीकरण को भी तेजी से आगे बढ़ाएगा।’
उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिभा को फलने-फूलने और मूल्य श्रृंखला को आगे बढ़ाने के लिए आधारभूत और नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘प्रयोगशालाओं और उपकरणों के आयात के लिए एकल मंजूरी इस पारिस्थितिकीतंत्र को बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण होगी।’
इस योजना की घोषणा 2024 में जुलाई के बजट में की गई थी। हालांकि उद्योग जगत के लिए उत्साहित करने वाली बात यह है कि इस योजना ने धन उपलब्ध कराने के लिए दो-स्तरीय संरचना का प्रस्ताव किया है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला अनुसंधान नैशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण के अनुदान को उपलब्ध कराएगा।