डॉक्टरों और महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि मध्यम लेकिन संक्रामक वेरिएंट के उभरने, जांच में कमी और वायरल सीजन की शुरुआत के कारण कोविड-19 के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है और 28 अप्रैल को जहां कोविड के मामले महज 35 थे वहीं एक महीने के भीतर ऐसे मामलों की संख्या 3,700 से अधिक हो गई।
भारत में 1 जून को कोविड-19 के 3,758 सक्रिय मामले दर्ज किए गए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक, इन पांच राज्यों में देश के कुल संक्रमण का 76 फीसदी हिस्सा है।
सभी राज्यों में केरल में सबसे ज्यादा 1,400 मामले हैं जो पिछले एक हफ्ते में 970 मामले की बढ़ोतरी को दर्शाता है। इसके बाद महाराष्ट्र में कोविड-19 के 485 मामले सामने आए हैं जिनमें से 50 मामले शनिवार को दर्ज किए गए।
दिल्ली में भी 26 मई के बाद से कोविड-19 के 332 मामलों की बढ़ोतरी देखी गई और फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी में 436 सक्रिय कोविड-19 मामले हैं। इसी तरह गुजरात और कर्नाटक में भी क्रमशः 320 और 238 सक्रिय मामलों के साथ अधिक संख्या दर्ज की गई।
मई 2025 के अंतिम सप्ताह में यह बढ़ोतरी अधिक स्पष्ट तौर पर दिखने लगी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 26 मई (1,010 मामले) से 1 जून तक की 6 दिनों की अवधि के भीतर कोविड-19 के मामलों में 272 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में संक्रामक रोग विशेषज्ञ नेहा रस्तोगी पांडा ने कहा कि केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में जेएन.1 वेरिएंट के उभरते सबवेरिएंट जैसे कि एनबी.1.8.1 और एलएफ.7. के कारण संक्रमण में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।
इंडियन सार्स-कोव-2 जिनॉमिक्स कंसोर्टियम (इन्साकॉग) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में गुजरात और तमिलनाडु में पहले से ही एलएफ.7 वेरिएंट के छह मामले सामने आ चुके हैं। इसी तरह, इस महीने महाराष्ट्र और तमिलनाडु से एनबी.1.8.1 के उप वेरिएंट के दो मामले सामने आए हैं।
हालांकि ये उप वेरिएंट भारत में कोविड-19 के मामले में आई तेजी के पीछे प्रमुख कारक नहीं हो सकते हैं लेकिन जेएन.1 अब भी देश में प्रमुख स्ट्रेन बना हुआ है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस तेजी जेएन.1, एक्सएफजी और एलएफ 7.9 वेरिएंट के कारण देखी जा रही है जिसका संबंध ओमिक्रॉन परिवार से है और इससे मध्यम स्तर का संक्रमण होता है।
मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, ‘देश के कुछ हिस्से में मौसमी इन्फ्लूएंजा, सार्स-कोव-2 और रेस्पिरेटरी सिन्सिशीयल वायरस (आरएसवी) के कारण होने वाली सांस संबंधी बीमारियों (एआरआई) के मामलों में उल्लेखनीय तरीके से लेकिन धीरे-धीरे वृद्धि देखी जा रही है।’
पांडा ने कहा कि संक्रमण के मामले में प्रसार तेजी से हो रहा है लेकिन गंभीर मामलों में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई है जिसके कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़े।
दूसरे डॉक्टर ने कहा कि कोविड-19 के मामले में तेजी का एक कारण यह भी हो सकता है कि जांच में तेजी आई है। उन्होंने कहा, ‘मामलों की संख्या बढ़ने के कारण, जांच में भी तेजी आई है जो साल भर में काफी कम हो गया था।’
संयुक्त राष्ट्र कोविड-19 टास्क फोर्स की सलाहकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य सेवाओं की रणनीतिकारण सबीन कपसी ने कहा कि आंकड़े इतने चिंताजनक नहीं हैं लेकिन इससे सतर्क रहने के संकेत जरूर मिलते हैं।
कोविड-19 के मामले में मौजूदा वृद्धि को देखते हुए कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने सुझाव दिया है कि सरकारी और निजी अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक और अन्य दवाइयों के लिहाज से अपनी तैयारी पूरी रखें।
राज्य सरकारों ने अस्पतालों से एन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों (आईएलआई) और सांस संबंधी गंभीर बीमारी (एसएआरआई) की रोजाना की रिपोर्ट केंद्र के एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) को देने के लिए कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी कार्रवाई करते हुए देश में स्थिति का आकलन करने के लिए कई समीक्षा बैठकें बुलाईं हैं।