भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा की। समिति, सेबी के अधिकारियों तथा बोर्ड सदस्यों के निवेश, संपत्ति और देनदारियों आदि के मामलों में हितों के टकराव, प्रकटीकरण आदि को लेकर सेबी के प्रावधानों की व्यापक समीक्षा करेगी।
कंपनी मामलों के मंत्रालय के पूर्व सचिव तथा गिफ्ट सिटी नियामक आईएफएससीए के पूर्व चेयरमैन इंजेति श्रीनिवास को समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उच्चस्तरीय समिति की स्थापना का निर्णय सबसे पहले मार्च में सेबी की बोर्ड बैठक में सामने आया था। बोर्ड सदस्यों के बीच हितों के टकराव की बढ़ती चिंता इसकी वजह थी।
छह सदस्यीय समिति में कुछ प्रमुख हस्तियां मसलन कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और निदेशक उदय कोटक, सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य और रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक जी. महालिंगम, पूर्व उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक सरिता जाफा और आईआईएम बेंगलूरु के पूर्व प्रोफेसर आर. नारायणस्वामी शामिल हैं।
नियामक ने कहा, ‘उच्चस्तरीय समिति हितों में टकराव, प्रकटीकरण तथा इनसे संबंधित मुद्दों के प्रबंधन के मौजूदा ढांचे की व्यापक समीक्षा करेगी और इनमें सुधार की अनुशंसा करेगी ताकि सेबी के सदस्यों और अधिकारियों के बीच उच्चतम स्तर की पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिक आचरण सुनिश्चित किया जा सके।’ समिति से यह भी उम्मीद है कि वह तीन माह के भीतर अपनी अनुशंसाएं सेबी के बोर्ड को सौंपेगी। उसके दायरे में सार्वजनिक प्रकटीकरण, निवेश नियमन और रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण और निगरानी आदि शामिल हैं। इसके अलावा यह ऐसी भी प्रणाली सुझाएगी ताकि लोग हितों के टकराव के बारे में रिपोर्ट कर सकें और ऐसी शिकायतों की जांच प्रक्रिया भी रेखांकित की जाएगी।
गौरतलब है कि पिछला साल सेबी के लिए काफी उथलपुथल भरा था। गत वर्ष हिंडनबर्ग रिसर्च (अब बंद हो चुकी शॉर्ट सेलिंग फर्म) ने सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच पर हितों के टकराव के मामलों का आरोप लगाया था। विपक्षी दल कांग्रेस ने आय के अनुचित और अघोषित स्रोतों का आरोप लगाकर विवाद को और बढ़ा दिया था। बुच और उनके पति ने इन आरोपों का लगातार खंडन किया था।