संसद की स्थायी समिति ने श्रम मंत्रालय को कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) का मूल्यांकन तीसरे पक्ष से वर्ष 2025 के अंत तक कराने का निर्देश दिया है। इसका ध्येय केंद्र सरकार की औपचारिक संगठन के लिए महत्त्वाकांक्षी कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) का समुचित मूल्यांकन, स्थिरता और अधिक बेहतर बनाना है।
संसद में पेश की गई नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया, ‘इस योजना के करीब 30 वर्षों के बाद तीसरे पक्ष से मू्ल्यांकन करा रहा है। लिहाजा समिति ने इस बात पर जोर दिया कि निर्धारित समयसीमा में आकलन पूरा कर लिया जाए। प्राथमिकता यह दी जाए कि संभवत: वर्ष 2025 के अंत तक मूल्यांकन पूरा कर लिया जाए।’
ईपीएस की शुरुआत नवंबर 1995 से हुई थी और इस योजना का प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधिन संगठन (ईपीएफओ) करता है। श्रम अर्थशास्त्री केआर श्याम सुंदर ने कहा कि ईपीएस के ज्यादातर सदस्यों का वेतन कम है। इससे उनकी कार्यशील आयु में पेंशन के लिए योगदान सीमित हुआ है।
उन्होंने कहा कि वेतन में स्थिरता और कर्मचारी के जीवनकाल में महंगाई बढ़ने से बेहद छोटा कोष हो पाता है और इससे कम पेंशन आती है। लिहाजा यह जरूरी है कि मूल्यांकन समयबद्ध ढंग से किया जाए। यह मूल्यांकन स्वागतयोग्य कदम है।
समिति ने श्रम मंत्रालय से हालिया 1000 रुपये की न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने के मुद्दे को हल करने के लिए भी कहा है। यह संबंधित पेंशनर्स और उनके परिवार के सदस्यों के लिए ‘तत्काल विचारणीय’ है।
संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से लेकर 2014 के बीच कई कारणों से जीवनयापन की लागत बढ़ गई है। लिहाजा इस राशि को तत्काल बढ़ाए जाने की गंभीरता से जरूरत है।