सरकार ने गैर-लाभकारी संस्थाओं और राजनीति या सत्ता से जुड़े लोगों पर सख्ती बढ़ाते हुए धन शोधन (मनी लॉन्डरिंग) निषेध कानून के तहत ‘लाभार्थी’ के लिए खुलासे या रिपोर्टिंग के लिए सीमा मौजूदा 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी है।
इसका अर्थ है कि संस्था में 10 फीसदी हिस्सेदारी या पूंजी अथवा मुनाफे के 10 फीसदी हिस्से पर अधिकार रखने वाले व्यक्ति की जानकारी देनी होगी।
लाभार्थी का मतलब ऐसे व्यक्ति से है, जिनका उस व्यक्ति (इकाई) पर नियंत्रण या स्वामित्व होता है, जो धनशोधन निषेध कानून (पीएमएलए) के अंतर्गत आने वाली रिपोर्टिंग इकाई के साथ वित्तीय लेनदेन कर रहा होता है। इसके साथ ही इन दोनों इकाइयों के लिए जांच परख का दायरा भी बढ़ा दिया है ताकि काले धन को सफेद बनाने की उनकी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
इसके तहत संबंधित इकाई के वरिष्ठ प्रबंधकों के नाम, साझेदारों के नाम, लाभार्थियों के नाम, न्यासियों, ट्रस्ट बनाने वालों (सेटलर्स) के नाम या जो भी संगठन के गठन में कानूनी तौर पर शामिल हैं, उनका पूरा ब्योरा जमा करना होगा।
अभी तक जांच-पड़लात इन संस्थाओं के बुनियादी केवाईसी जैसे पंजीकरण प्रमाण पत्र, स्थायी खाता संख्या की प्रतियां (पैन कार्ड) और ग्राहक की ओर से लेनदेन करने वाले कानूनी अधिकारियों के दस्तावेज उपलब्ध कराने तक सीमित थी।
वित्त मंत्रालय ने 7 मार्च को अधिसूचना जारी कर कहा कि धन शोधन निषेध (रिकॉर्ड का रखरखाव) संशोधन नियम, 2023 में संशोधन किया गया है। इसमें जांच-परख की आवश्यकताओं के लिए ग्राहकों को जरूरी खुलासे करने होते हैं।
गैर-लाभकारी संस्थाओं का गठन धर्म और परमार्थ के उद्देश्य से किया जाता है जबकि राजनीतिक रूप से सक्रिय लोग ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें किसी दूसरे देश के प्रमुख, राज्यों या सरकार के प्रमुखों द्वारा सार्वजनिक कार्य सौंपे जाते हैं। इनमें वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी या न्यायिक या सैन्य अधिकारी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी आदि शामिल होते हैं।
इन इकाइयों को अब पंजीकृत कार्यालय के पते तथा रिपोर्टिंग इकाई के व्यवसाय के मुख्य स्थान की जानकारी देनी होगी। मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक रिपोर्टिंग इकाइयों को अब गैर-लाभकारी संस्था के रूप में नीति आयोग के पोर्टल ‘दर्पण’ पर ग्राहक के तौर पर पंजीकरण कराना होगा और संबंधित कार्य या व्यवसाय बंद करने या खाता बंद करने के बाद 5 साल तक पंजीकरण रिकॉर्ड रखना होगा।
नए नियमों के मुताबिक रिपोर्टिंग इकाइयों को लाभार्थी मालिकों की पहचान बतानी होगी।
नांगिया एंडरसन एलएलपी में विलय एवं अधिग्रहण टैक्स पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि लाभार्थी मालिक का अर्थ ऐसे व्यक्ति या इकाई से है जिनकी संबंधित कंपनी के लाभ या पूंजी या शेयर में 25 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी हो। अब इस सीमा को 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है। ऐसा करके सरकार ने अप्रत्यक्ष भागीदारों को भी रिपोर्टिंग दायरे में लाने का प्रयास किया है।