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महंगाई रोकने को सरकार बेकरार

Last Updated- December 05, 2022 | 5:28 PM IST

महंगाई पर लगाम कसने में नाकाम साबित हुई सरकार लगातार बढ़ते इस मर्ज का इलाज ढूंढने के लिए 1960 के दशक में लौट रही है।


सरकार उस दशक जैसे नियंत्रण लगाने का विचार कर रही है, जिनमें कोटा प्रणाली लागू करना और शुल्क लगाना आदि शामिल हैं। सरकार खास तौर पर विनिर्माण उद्योग पर ध्यान दे रही है।


सरकार में एक वरिष्ठ मंत्री ने यह खुलासा किया। सरकार पहले ही यह मान चुकी है कि आर्थिक विकास की राह काफी टेढ़ीमेढ़ी है। कुछ क्षेत्रों में तो इसकी रफ्तार बेहद तेज है, जबकि कुछ दूसरे क्षेत्र में विकास की गाड़ी धक्का लगाने की नौबत तक पहुंच गई है। इस असमानता की वजह से ही महंगाई आसमान पर पहुंचती जा रही है। इससे निपटने के लिए सरकार खाद्यान्न कीमतों पर सबसे पहले अंकुश लगाने की तैयारी कर रही है।


इसमें भारत से किसानों को म्यांमार और नामीबिया जैसे देशों में भी भेजा जा सकता है। वहां जाकर किसान दालों की खेती करेंगे और भारत सरकार उनकी फसल खरीद लेगी।हालांकि किसी और देश में जाकर ठेके पर खेती कराना अजीब लगता है। लेकिन मंत्री के मुताबिक वाम दलों की वजह से ही ऐसा करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘जब वाम दल हमें देश में ऐसा नहीं करने दे रहे हैं, किसी दूसरे देश में ठेके पर खेती ही हमारे लिए एकमात्र विकल्प बचता है।’


महंगाई की इस समस्या के लिए सरकारी कुनबे में ही किसी रोआबदार मंत्री को ‘खलनायक’ माना जा रहा है। वह हैं कृषि मंत्री शरद पवार। दुनिया भर में खाद्यान्न की कमी का अंदेशा सभी को था, लेकिन भारत ने उससे निपटने की तैयारी पहले से नहीं की। इसके लिए आम तौर पर पवार को ही जिम्मेदार बताया जा रहा है। ईंधन की बढ़ती कीमत और बुनियादी ढांचे का ढीला ढाला विकास भी इसके कारण माने जा रहे हैं।


सरकार मानती है कि महंगाई की लगाम कसने के लिए मौद्रिक उपाय करने से विकास की गति धीमी हो जाएगी। एक मंत्री ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था को भस्मासुर बनाने वाले विकल्पों की तरफ सरकार देख भी नहीं रही है। बाकी सारे उपायों पर विचार किया जा रहा है।’


सरकार को इस बात की चिंता सबसे ज्यादा है कि आबादी के मुताबिक खाद्यान्न उत्पादन नहीं हो पा रहा है। मंत्री ने कहा, ‘अगर मुल्क का हरेक परिवार यह सोच ले कि हम खाद्यान्न संकट के करीब हैं और उससे निपटने के लिए वह महज 1 किलोग्राम गेहूं खरीद ले, तो भी अनाज की जबर्दस्त किल्लत पैदा हो जाएगी।’ इसीलिए ऐसे किसी भी उपाय से बचना चाहिए, जिससे आम जनता के बीच घबराहट पैदा हो सकती है।


ऊंची कीमतों और अनाज की कमी की वजह से जमाखोरी भी शुरू हो जाएगी। सरकार इससे निपटने के उपायों पर भी विचार करेगी। कीमतों में इजाफा कम करने के लिए कुछ वित्तीय कदम उठाए भी गए हैं। इनमें पाम ऑयल तथा दूसरे खाद्य तेलों के निर्यात पर प्रतिबंध शामिल है।

First Published - April 1, 2008 | 1:48 AM IST

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