कीमतों में तेजी और आभूषण निर्माण में आयी भारी कमी के कारण दिल्ली में तकरीबन 3 लाख कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।
इनमें से आधे अपने मूल राज्य के लिए पलायन कर चुके हैं, तो बाकी के पास कोई काम नहीं है। हालत ऐसी है कि जो कारीगर काम में जुटे हैं, उन्हें भी समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है।
सर्राफा कारोबारी कहते हैं कि पूरा करोलबाग खाली हो गया है। दिल्ली में सर्राफा बाजार से ऑर्डर लेकर आभूषण बनाने का अधिकतम काम करोलबाग में ही होता है। कारोबारियों के मुताबिक, पिछले छह-आठ महीनों के दौरान काम में जबरदस्त कमी आयी है।
लिहाजा, कारीगरों को उनके मालिकों ने जबाव दे दिया है। आभूषण निर्माण से जुड़े सोनार मासिक वेतन, कमीशन व दिहाड़ी पर काम करते हैं।
दिल्ली सर्राफा बाजार संघ प्रधान विमल कुमार गोयल कहते हैं, ‘दिल्ली से पूरे उत्तर भारत में जेवरात की आपूर्ति की जाती है। यहां तक कि असम तक यहां से जेवर भेजे जाते हैं। इस कारण यहां बड़े पैमाने आभूषण का निर्माण होता है और इस काम से लगभग 5 लाख कारीगर जुड़े हुए हैं।’
वे कहते हैं कि काम में कमी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 2008 में कुल 402 टन सोने की खपत रही, जो 2007 के मुकाबले 50 फीसदी भी नहीं है। गत दिसंबर माह में 2 टन सोने की खपत हुई तो गत जनवरी में यह आंकड़ा घटकर 1.8 टन पर पहुंच गया।
काम में आयी भारी गिरावट से 3 लाख कारीगारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। पहाड़गंज स्थित आरके गोल्ड स्मिथ के प्रबंधक कहते हैं कि चेन बनाने वाले अधिकतर कारीगर मिदनापुर के रहने वाले हैं और बाप-दादों के जमाने से वे इस काम को कर रहे हैं। वे किसी और काम में खुद को सहज महसूस नहीं करते हैं, इसलिए अधिकतर अपने घर चले गए हैं।