facebookmetapixel
नोवो नॉर्डिस्क-एम्क्योर फार्मा में साझेदारी, भारत में वजन घटाने की दवा पोविजट्रा लॉन्च की तैयारीBolt.Earth 2027 में मुनाफे में आने की राह पर, EV चार्जिंग नेटवर्क के विस्तार के साथ IPO की तैयारी तेजQ2 Results: VI, Hudco, KPIT से लेकर SJVN तक; Q2 में किसका क्या रहा हाल?गोल्डमैन सैक्स ने भारत की रेटिंग बढ़ाई, ‘न्यूट्रल’ से बदलकर ‘ओवरवेट’ कियाGST छूट और बढ़ती मांग से जीवन बीमा कंपनियों का न्यू बिजनेस प्रीमियम अक्टूबर में 12% बढ़ालेंसकार्ट का IPO उतार-चढ़ाव भरा, शुरुआती कारोबार में मामूली बढ़त के साथ बंदअक्टूबर में स्वास्थ्य बीमा में रिकॉर्ड 38% उछाल, खुदरा योजनाओं और GST कटौती से प्रीमियम में आई तेजीत्योहारी सीजन में क्रेडिट कार्ड से खर्च में आई 15% की तेजी, HDFC और ICICI Bank रहे शीर्ष परHNI को अच्छे लाभ की चाहत, पोर्टफोलियो मैनेजरों की तलाश में अमीरदेश में घटी बेरोजगारी दर, श्रम बाजार में आई तेजी से रोजगार के नए अवसरों में हुआ इजाफा

UNSC: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में महिलाओं पर लगे प्रतिबंधों की निंदा की

Last Updated- December 28, 2022 | 5:03 PM IST
Afghanistan women

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा और उनके काम करने के अधिकारों पर लगातार बढ़ते प्रतिबंधों की निंदा करते हुए देश के तालिबान शासकों से उन्हें तुरंत बहाल करने का आग्रह किया। सुरक्षा परिषद ने मंगलवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। यूएनएससी की मौजूदा अध्यक्षता भारत के पास है।

सुरक्षा परिषद ने तालिबान से इन प्रतिबंधों को वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत और दिसंबर महीने के लिए यूएनएससी अध्यक्ष रुचिरा कंबोज ने 15 देशों की परिषद की ओर से मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की।

सुरक्षा परिषद ने कहा कि इसके सदस्य इन रिपोर्टों से “बेहद चिंतित” हैं कि तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों के लिए विश्वविद्यालयों तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया है। बयान के मुताबिक, ‘सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए छठी कक्षा से आगे के स्कूलों के निलंबन को लेकर फिर से गहरी चिंता व्यक्त की है। सुरक्षा परिषद अफगानिस्तान के विकास और प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों की पूर्ण, समान और सार्थक भागीदारी की मांग करती है।’

यूएनएससी ने तालिबान से यह फैसले वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि महिलाओं की शिक्षा और काम करने पर प्रतिबंध लगाने से उनके मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का घोर रूप से उल्लंघन हो रहा है। इसने कहा कि ये प्रतिबंध तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के लोगों के साथ की गई प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं के विपरीत हैं।

भारत की सुरक्षा परिषद की वर्तमान अध्यक्षता और इसका दो साल का यूएनएससी कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। पिछले साल अगस्त में भारत की सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के दौरान, परिषद ने प्रस्ताव 2593 को अपनाया था। इस प्रस्ताव ने अफगानिस्तान के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को निर्धारित किया था, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल था कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी हमले शुरू करने के लिए नहीं किया जाएगा।

मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने अफगानिस्तान में महिलाओं को गैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने से रोकने के फैसले के ‘गंभीर परिणामों’ की ओर भी इशारा किया। दरअसल, तालिबान अधिकारियों ने पिछले सप्ताह महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय में जाकर शिक्षा प्राप्त करने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।

तालिबान के इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आक्रोश है और अफगानिस्तान के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन भी हो रहे हैं। मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त तुर्क ने जिनेवा से एक बयान जारी कर कहा, ‘कोई भी देश अपनी आधी आबादी को अलग रखकर सामाजिक और आर्थिक रूप से विकास नहीं कर सकता।’

तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने वाले अधिक उदार शासन का वादा करने के बावजूद व्यापक रूप से इस्लामी कानून लागू किए हैं। उन्होंने माध्यमिक और उच्चत्तर माध्यमिक स्कूलों में लड़कियों के शिक्षा ग्रहण करने पर पाबंदी लगा दी है, महिलाओं को अधिकांश रोजगार से प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक ढकने वाले कपड़े पहनने का आदेश दिया है। इसके अलावा, महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी पाबंदी है।

First Published - December 28, 2022 | 5:03 PM IST

संबंधित पोस्ट