अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा चीन पर लगाए गए आयात शुल्क (टैरिफ) पर 90 दिनों की अस्थायी राहत भले ही दी गई हो, लेकिन विशेषज्ञों और निवेशकों का मानना है कि इन टैरिफ को उसी सख्ती के साथ लागू रखा जाएगा।
इससे यह संकेत मिलते हैं कि चीन से अमेरिका में होने वाला निर्यात आगे भी बुरी तरह प्रभावित रहेगा। भले ही दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन इसका तात्कालिक असर चीनी अर्थव्यवस्था पर दर्दनाक हो सकता है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार और गुरुवार को किए गए एक सर्वे में सामने आया है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता से जल्दी किसी बड़ी राहत की उम्मीद नहीं है। इस सर्वे में कुल 22 लोगों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए शुल्क (ड्यूटी) उनके दूसरे कार्यकाल में हटाए जाने की संभावना बहुत कम है।
इस बीच, एक अन्य सर्वे के अनुसार सोमवार को आने वाले आधिकारिक आंकड़े यह दिखा सकते हैं कि अप्रैल महीने में चीन के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि टैरिफ यानी आयात शुल्क की आशंका के चलते चीन का निर्यात प्रभावित हुआ है।
डीएनबी बैंक की अर्थशास्त्री केली चेन का कहना है कि “2026 में होने वाले अमेरिका के मध्यावधि चुनाव से पहले दोनों देशों की स्थितियों में कोई बड़ा बदलाव संभव नहीं है, इसलिए किसी ठोस समझौते की उम्मीद नहीं की जा सकती।”
देशों के बीच विवाद सुलझाने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। एक सर्वे में पाया गया कि छह महीने बाद टैरिफ (आयात शुल्क) 30 प्रतिशत से नीचे आ सकते हैं, ऐसा सात विशेषज्ञ मानते हैं। वहीं छह अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ और बढ़ सकते हैं।
अगर अमेरिका और चीन के बीच अंतिम व्यापार समझौता होता है तो टैरिफ की दरें घटकर 20 प्रतिशत तक आ सकती हैं। यह आंकड़ा विशेषज्ञों के औसत अनुमान पर आधारित है।
अधिकांश विशेषज्ञों की राय है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में लगाए गए टैरिफ बरकरार रहेंगे। इन्हें हटाना ट्रंप के समर्थकों के बीच नाराजगी पैदा कर सकता है। इन टैरिफ की औसत दर करीब 12 प्रतिशत है, जो ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के अनुसार मानी गई है।
ट्रंप की चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ (शुल्क) नीति इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था और बाजारों को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले कारकों में से एक है। विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ और चीन की नीतिगत प्रोत्साहन (स्टिमुलस) को लेकर अनिश्चितता के चलते चीनी शेयर और संपत्तियां इस साल के अंत तक मौजूदा स्तरों के आसपास ही सीमित दायरे में कारोबार करेंगी।
2025 के अंत तक युआन की दर लगभग 7.2 प्रति अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा 17 विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। बीजिंग की ओर से अचानक मुद्रा अवमूल्यन (devaluation) की अटकलें फिलहाल थम गई हैं, जिससे मुद्रा दर में स्थिरता आने की संभावना जताई जा रही है। इसके पीछे सरकार की पूंजी के अधिक बहिर्वाह या अत्यधिक निवेश प्रवाह को रोकने की नीति है।
एबर्डीन इन्वेस्टमेंट्स के वरिष्ठ उभरते बाजार अर्थशास्त्री रॉबर्ट गिलहूली के अनुसार, “अगर टैरिफ को लेकर कोई अच्छी खबर आती है, तो चीनी सरकार भी अपनी नीति में ढील देने से बच सकती है। इससे बाजार में ज्यादा तेजी की गुंजाइश कम होगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर टैरिफ करीब 50 प्रतिशत तक तय होते हैं और अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होती है, तो सरकार अंततः युआन के अवमूल्यन को मंजूरी दे सकती है।
चीन के मुख्य भूमि शेयर बाजारों में धीरे-धीरे बढ़त देखने को मिल सकती है। अनुमान है कि CSI 300 इंडेक्स 4000 के स्तर तक पहुंच सकता है, जो गुरुवार के करीब 3900 के बंद स्तर से लगभग 2 प्रतिशत अधिक होगा। टैरिफ से बचने के लिए पहले से की जा रही निर्यात शिपमेंट्स से कंपनियों की कमाई में सुधार हो सकता है। साथ ही, तकनीकी प्रगति और संरचनात्मक आर्थिक बदलाव भी बाजार को सहारा दे सकते हैं।
सरकारी बांड की बात करें तो चीन के 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड में और गिरावट की संभावना कम नजर आ रही है। विश्लेषकों का अनुमान है कि यह सालभर 1.7 प्रतिशत के आसपास बनी रह सकती है, जो मौजूदा स्तर के लगभग बराबर है। इसकी वजह यह है कि बाजार अब तत्काल नीति राहत (पॉलिसी ईजिंग) की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।
सरकारी आंकड़े सोमवार सुबह जारी किए जाएंगे, जिनसे पता चलेगा कि अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन पिछले साल की तुलना में 5.9 प्रतिशत बढ़ा। हालांकि यह वृद्धि मार्च के 7.7 प्रतिशत की तुलना में धीमी रही है। इसी दौरान, निर्यात वृद्धि में भी कमी आई और फैक्ट्री गतिविधियों में भी सुस्ती देखी गई।
अप्रैल महीने में खुदरा बिक्री में 6 प्रतिशत की तेज़ वृद्धि होने की उम्मीद जताई गई है, जो मार्च के मुकाबले थोड़ी अधिक है। वहीं, फिक्स्ड एसेट निवेश (स्थिर पूंजी निवेश) में 4.3 प्रतिशत की स्थिर वृद्धि रहने की संभावना है, जो पिछले महीने की तुलना में थोड़ा सुधार दर्शाता है।
इस बीच, अमेरिका में संभावित टैरिफ (आयात शुल्क) को लेकर विशेषज्ञों ने सतर्कता बरतने की सलाह दी है। एक सर्वे में भाग लेने वाले कई जानकारों ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की अनिश्चितता के चलते भविष्यवाणी करना जोखिम भरा हो सकता है।
EFG एसेट मैनेजमेंट के अर्थशास्त्री सैम जोचिम ने कहा, “ट्रंप का पहला कार्यकाल यह दिखा चुका है कि हम अब भी जोखिम से बाहर नहीं हैं और समझौते टिकाऊ नहीं माने जा सकते। अमेरिका की व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता अब भी बनी हुई है।”