जल्द ही उत्तर प्रदेश में भौगोलिक सूचकांक (GI) प्राप्त विशिष्ट उत्पादों (स्पेसिफिक प्रोडक्ट) की तादाद दोगुनी होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में GI टैग वाले प्रोडक्ट्स की तादाद को रिकॉर्ड स्तर पर ले जाने के निर्देश दिए हैं। अभी देश भर में 77 GI टैग वाले प्रोडक्ट्स के साथ उत्तर प्रदेश अव्वल है, मगर अब योगी सरकार अपनी इस बढ़त को नए आयाम पर पहुंचाने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर एक एक्शन प्लान तैयार किया गया है जिसके जरिए प्रदेश में GI टैग वाले प्रोडक्ट्स की संख्या में रिकॉर्ड स्तर के इजाफे की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
एक्शन प्लान के अनुसार साल 2025-26 में 75 अतिरिक्त GI प्रोडक्ट्स को घोषित करने का टारगेट रखा गया है। इसमें से 25 प्रोडक्ट्स का आवेदन GI रजिस्ट्री (चेन्नई) में फाइल किया जा रहा है जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश जल्द ही देश में 152 GI टैग प्रोडक्ट्स वाला पहला राज्य बन जाएगा। इसके साथ ही, प्रदेश के GI प्रोडक्ट्स को लोकप्रिय बनाने, जागरूकता फैलाने तथा इसके यूजर बेस को बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए जाएंगे।
MSME डिपार्टमेंट द्वारा तैयार की जा रही एक्शन प्लान में GI टैग वाले प्रोडक्ट्स की संख्या बढ़ाने के साथ उनकी लोकप्रियता, जागरूकता और ऑथोराइज्ड यूजर बेस बनाने के लिए एक विस्तृत फ्रेमवर्क पर काम चल रहा है। इसके तहत प्रदेश में GI टैग प्रोडक्ट्स का ऑथोराइज्ड यूजर बेस बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक उद्यमियों को जोड़ने की तैयारी है। इन्हें बाकायदा ऑथोराइज्ड यूजर्स के तौर पर पहचान दी जाएगी। ये GI प्रोडक्ट्स के प्रोडक्शन के साथ ही उनको लोकप्रिय बनाने और अन्य उद्यमियों में जागरूकता प्रसार करने का माध्यम बनेंग। उल्लेखनीय है कि देश में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक GI टैग प्राप्त प्रोडक्ट्स वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र सबसे ज्यादा GI प्रोडक्ट्स वाले राज्यों में शामिल हैं।
MSME डिपार्टमेंट द्वारा प्रदेश में GI ऑथोराइज्ड यूजर्स का बेस बढ़ाने के जिस एक्शन प्लान पर काम चल रहा है उसमें GI एक्सपर्ट संस्था के साथ MOU अहम कड़ी साबित होगी। विभाग द्वारा इस दिशा में एक विशिष्ट GI एक्सपर्ट संस्था ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा MOU साइन करने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है जिसे जल्द ही पूरा करने की तैयारी है। इस MOU के बाद प्रदेश में GI प्रोडक्ट्स के ऑथोराइज्ड यूजर बेस में बढ़ोतरी हो सकेगी। साथ ही, GI प्रोडक्ट्स की संख्या बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। स्थानीय प्रोडक्ट्स की विशिष्ट पहचान की रक्षा हो सकेगी तथा प्रोडक्ट्स के अनधिकृत उपयोग या नकल से बचाव होगा। मार्केटिंग कैपेबिलिटी और निर्यात में बढ़ोतरी के साथ ही ग्रामीण विकास और पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण को भी बढ़ावा देने में यह कदम सहायक सिद्ध होगा।