धार्मिक पर्यटन स्थलों से इतर इन दिनों उत्तर प्रदेश वन्यजीव अभ्यारण्यों में भी पर्यटकों की भीड़ उमड़ रही है। तेज गर्मी और चढ़ते पारे के बीच भी उत्तर प्रदेश के वन क्षेत्रों में पर्यटकों की भीड़ में कमी नहीं आ रही है। वन्यजीव अभ्यारण्यों के लिए पर्यटकों के बढ़ते रुझान को देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने न केवल यहां सुविधाओं में इजाफा किया है बल्कि नए क्षेत्रों का भी विकास किया है।
ईको टूरिज्म में रुचि रखने वालों के लिए वैसे तो उत्तर प्रदेश में दुधवा-पीलीभीत टाइगर रिजर्व पहली पसंद बना हुआ है पर हाल के दिनों में प्रदेश सरकार द्वारा विकसित चित्रकूट में रानीपुर टाइगर रिजर्व, महराजगंज जिले में भांवर वन जीव अभयारण और श्रावस्ती जिले का सुहेलवा भी पर्यटन के नक्शे पर प्रमुखता से उभरा है। बहराइच जिले में मौजूद कतर्नियाघाट में टाइगर, हाथी, घड़ियाल और डाल्फिन देखने देश ही नहीं विदेशों से पर्यटकों की बड़ी तादाद में आमद हो रही है।
वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड के गठन के बाद यहां के हिस्से में अकेला दुधवा नैशनल पार्क रह गया था जो वन्यजीव प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र था। बीते दो दशक में प्रदेश में पहले पीलीभीत फिर अमानगढ़, कतर्नियाघाट, रानीपुर, कैमूर, सोहेलवा और भांवर वन जीव अभ्यारण्यों में पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाते हुए खोला गया है।
अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश में एक दर्जन के लगभग स्थल वन्यजीव प्रेमी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं। इनमें नवाबगंज, सीतादोहर, शारदा और सांडी सहित कई पक्षी विहार भी शामिल हैं। इंडो-गैंजेटिक डाल्फिनों के दर्शन के लिए उत्तर भारत में कतर्नियाघाट से होकर बहने वाली गिरुवा नदी सबसे मुफीद स्थान है तो दुधवा में गैंडों की बढ़ती तादाद पर्यटकों को बड़ी तादाद में आकर्षित कर रही है।
प्रदेश के वन जीन अभ्यारण्यों में ईको पर्यटन सत्र नवंबर से लेकर जून तक चलता है। अभी सत्र समाप्त होने में काफी समय बाकी है पर पर्यटकों की आमद पिछले साल के आंकड़ों के पार निकल गई है। केवल दुधवा और पीलीभात में ही 30 अप्रैल तक 92,000 पर्यटक आ चुके हैं जबकि बीते साल यह आंकड़ा 75.000 के लगभग था। वहीं इस साल 1,000 से ज्यादा वन्यजीव प्रेमी विदेशियों नें दुधवा व पीलीभीत का भ्रमण किया है।
कतर्नियाघाट अभयारण का हाल यह है कि बेतहाशा गर्मी पड़ने के बाद भी पूरे मई से लेकर 15 जून तक वहां उपलब्ध विश्राम स्थलों में बुकिंग फुल है। अपेक्षाकृत नए विकसित किए गए सोहेलवा व भावंर वन्य जीव अभयारण में भी पर्यटकों की आमद हो रही है। सोहेलवा वन अभयारण में बाघों की आबादी को देखते हुए प्रदेश सरकार यहां पर्यटकों के लिए बड़े पैमाने पर सुविधाओं का विस्तार कर रही है।
हाल ही में घोषित टाइगर रिजर्व रानीपुर, चित्रकूट में भी पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। हाल ही में वन विभाग ने महराजगंज जिले में भावंर अभयारण के लिए जंगल सफारी की शुरुआत की है। सोहेलवा में भी सफारी की शुरुआत की जा रही है। प्रदेश सरकार का कहना है कि वन क्षेत्रों के लिए पर्यटकों के बढ़ते आकर्षण ने लखीमपुर, पीलीभीत, बिजनौर, चित्रकूट, महराजगंज, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर सहित कई जिलों में रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं।
उत्तर प्रदेश के सबसे प्रमुख दुधवा नैशनल पार्क में पर्यटकों की सुविधा के लिए हेलीकॉप्टर सेवा की शुरुआत की गई है। बड़ी तादाद में दुधवा के करीब के गांवों व कस्बों में होम स्टे बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। प्रदेश सरकार यहां की थारू जनजाति की संस्कृति व रहन सहन से लोगों को परिचित कराने के लिए थारू विलेज में ठहरने की सुविधाओं का विकास कर रही है।
दुधवा नैशनल पार्क में बाघों की बड़ी आबादी के साथ ही हिरण, भालू, जंगली सुअर व अन्य जीवों के साथ गैंडों की बढ़ती आबादी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर दुधवा को ईको पर्यटन क्षेत्र के तौर पर विकसित करने के लिए ईको टूरिज्म बोर्ड और बेंगलूरु का इन्फ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन रिपोर्ट तैयार कर रहा है। मुख्यमंत्री ने 30 मई तक रिपोर्ट देने को कहा है। पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार की ओर से पीलीभीत में 75 तो दुधवा में 90 नेचर गाइड स्थानीय लोगों को बनाया गया है। दुधवा के वन विभाग के गेस्ट हाउस कर्मियों को इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) से प्रशिक्षण दिलवाया गया है।
दुधवा नैशनल पार्क से सटे हुए कतरानिया घाट अभयारण में आने वाले पर्यटकों को एक ही स्थान पर जंगली जानवरों के साथ ही जलचरों के दर्शन होते हैं साथ ही जाड़े के दिनों में विदेशी पक्षियों से भी दीदार होते हैं। नेपाल से निकल कर इस अभयारण में बहने वाली गिरुवा नदी मगर व घड़ियालों का प्राकृतिक रहवास है तो देश के किसी भी स्थान के मुकाबले यहां सबसे आसानी से डॉल्फिनों के दीदार होते हैं। हाल ही में पड़ोसी देश नेपाल के रॉयल वर्दिया नैशनल पार्क से यहां आकर बस गए जंगली हाथियों ने कतर्नियाघाट को वन्य जीवों से खासा समृद्ध कर दिया है।
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्लू डब्लू एफ) के प्रोजेक्ट टाइगर के परियोजना अधिकारी दबीर हसन बताते हैं कि कतर्नियाघाट में कम क्षेत्र में जिस तरह के विविध वन्यजीव दिखते हैं वैसा कहीं और संभव नहीं है। यहां आने वालों को बाघ, तेंदुए, हिरण, भालू, जंगली सुअर, अजगर, हाथी के साथ मगर, घड़ियाल व हाथियों के दर्शन आसानी से होते हैं। प्रदेश सरकार ने कतर्नियाघाट में वन विश्रामगृहों में कमरों की तादाद बढ़ाने के साथ ही थारू हट का निर्माण कराया है तो बीते दो सालों में ही यहां बड़ी तादाद में रिसार्ट खुले हैं।
सबसे ज्यादा बाघ दिखने के कारण और उत्तर प्रदेश के गोवा के रूप में मशहूर चूका बीच की वजह से पीलीभीत वन्यजीव प्रेमियों व पर्यटकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पिछले सत्र में 45500 देशी पर्यटक घूमने के लिए आए तो इस साल अभी तक यह संख्या 42000 के पार हो गयी है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में स्थित चूका बीच पर्यटतकों के बीच यूपी के गोवा के नाम से मशहूर है जहां सूर्योदय और सूर्यास्त देखने वालों की भीड़ लग रही है। हालांकि अभी यहां रात में ठहरने की सुविधाएं विकसित नहीं की गयी हैं पर पर्यटकों की उमड़ती भीड़ को देखते हुए प्रदेश सरकार आसपास के इलाकों में होम स्टे से लेकर गेस्ट हाउस खोलने के लिए प्रोत्साहन दे रही है।
टाइगर रिजर्व के बीच में मौजूद झील के किनारे ट्री हाउस के साथ बोटिंग वगैरा की सुविधाएं उपलब्ध कराई गयी हैं। इसके अलावा पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के लिए खोले गए जोन 1 व 2 में पर्यटकों को सबसे ज्यादा बाघ दिख रहे हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि एनटीसीए गाइडलाइन्स के मुताबिक अभी पीलीभीत वन क्षेत्र का केवल 20 फीसदी हिस्सा ही पर्यटकों के लिए खोला गया है पर जिस कदर भीड़ बढ़ रही है उसे देखते हुए जल्दी ही यहां अन्य आकर्षण बढ़ाने होंगे।