Kumbh Mela 2025: रविवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि 45 दिन के महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण 50,000 से अधिक लोग अपने परिवारों से बिछड़ गए थे, जिन्हें सफलतापूर्वक उनके परिजनों से मिला दिया गया। सरकार द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, महाकुंभ मेले के दौरान देश और विदेश के हर कोने से आए 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में पवित्र स्नान किया।
इस दौरान, कुल 54,357 बिछड़े हुए लोग अपने परिवारों से मिल पाए। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। इस बार राज्य सरकार ने डिजिटल “लॉस्ट एंड फाउंड” केंद्र स्थापित किए थे, जिससे लोगों को जल्द से जल्द उनके परिवारों से मिलाया जा सके। इन डिजिटल केंद्रों के माध्यम से 35,000 से अधिक श्रद्धालुओं को महाकुंभ के दौरान उनके परिवारों से मिलाने में सफलता मिली। मकर संक्रांति पर 598 श्रद्धालु, मौनी अमावस्या पर 8,725 लोग और बसंत पंचमी पर 864 लोगों को इसके माध्यम से उनके परिवारवालों से मिलाया गया। इन डिजिटल लॉस्ट एंड फाउंड केंद्रों की मदद से अपने परिवारों से फिर से मिल गए।
इसके अलावा, अन्य स्नान पर्वों और सामान्य दिनों में 24,896 लोग अपने परिवारों से मिलाए गए। इस तरह, महाकुंभ समाप्त होने तक कुल 35,083 लोगों को उनके परिवारों से मिलाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर महाकुंभ नगरी में 10 डिजिटल लॉस्ट एंड फाउंड केंद्र स्थापित किए गए थे। इन केंद्रों में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित फेस रिकॉग्निशन सिस्टम, मशीन लर्निंग और बहुभाषी सपोर्ट जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं।
दूसरी ओर, गैर-सरकारी सामाजिक संगठन, जिसमें मुख्य रूप से भारत सेवा दल और हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति शामिल थी, ने भी खोए हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत सेवा दल के “भूल-भटके कैंप” के निदेशक उमेश चंद्र तिवारी के अनुसार, महाकुंभ समाप्त होने तक इस कैंप ने 19,274 बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवारों से मिला दिया। इसके अलावा, मेले के दौरान 18 खोए हुए बच्चे भी अपने परिवारों से मिल गए।
बता दें कि 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी को खत्म होने वाले इस महाकुंभ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था। खासकर मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी जैसे स्नान पर्वों पर भारी भीड़ उमड़ी थी।