भारत में हवाई अड्डों पर रनवे से जुड़ी घटनाओं का जोखिम कम करने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने मंगलवार को विमानन क्षेत्र की कंपनियों को विशेष निर्देश जारी किए।
इन उपायों में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (एटीसी) द्वारा विमान को उड़ान न भरने के लिए सूचित करने के लिए स्टॉप बार्स को ऐक्टीवेट करना, स्टॉप बार्स में गड़बड़ी की स्थिति में आकस्मिक योजना तैयार करना, हवाई अड्डों पर रनवे सेफ्टी टीम तैयार करना और पायलटों, एटीसी कर्मियों, एयरक्राफ्ट मैंटेनेंस इंजीनियरों और एयरपोर्ट चालकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना शामिल हैं।
डीजीसीए ने यह निर्देश 2 जनवरी को टोक्यो में हनेडा एयरपोर्ट पर हुए हादसे को ध्यान में रखते हुए जारी किए हैं। इस हादसे में जापान कोस्ट गार्ड का डीएचसी-8 विमान रनवे में घुस गया था, जिससे उसकी टक्कर जापान एयरलाइंस ए350 विमान से हो गई।
इस टक्कर में डीएचसी-8 के 6 क्रू सदस्यों में से 5 की मौत हो गई थी, सिर्फ कैप्टन की जान बच गई। सौभाग्य से, ए350 में सवार सभी यात्री बच गए थे।
जब कोई विमान, व्यक्ति या वाहन रनवे के गलत क्षेत्र में होता है तो इससे उड़ान भरने या उतरने वाले किसी अन्य विमान के साथ दुर्घटना हो सकती है। ऐसी दुर्घटनाओं को ‘रनवे इनकरसंस’ कहा जाता है।
डीजीसीए के अनुसार, भारत में 2018, 2019, 2020, 2021 और 2022 में रनवे पर हुए हादसों की संख्या 40, 25, 15, 35 और 45 रही। डीजीसीए ने हरेक हवाई अड्डे से रनवे सेफ्टी टीम बनाने और इसका सही तरीके से कामकाज सुनिश्चित करने को भी कहा है।