नए कारखानों, सड़कों, बिजली संयंत्रों और ऐसी अन्य परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रस्ताव मार्च 2025 में अब तक के सर्वकालिक ऊंचाई पहुंच गए। महाराष्ट्र में की गई पहल के अलावा मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में आयोजित निवेश सम्मेलनों के दौरान निवेश की तमाम घोषणाएं की गई थीं। उन घोषणाओं के कारण मार्च 2025 में समाप्त तिमाही के दौरान नई परियोजनाओं का आकार बढ़कर 18.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसके अलावा बिजली क्षेत्र में किए गए भारी-भरकम निवेश ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान किया।
मार्च 2025 तिमाही के दौरान घोषित नई परियोजनाओं के तहत निवेश की रकम दिसंबर तिमाही के मुकाबले दोगुनी से भी अधिक है। यह रकम एक साल पहले की समान अवधि यानी मार्च 2024 तिमाही के मुकाबले भी अधिक है जबकि उस दौरान आम चुनाव से पहले नई परियोजनाओं में तेजी आई थी। पूरी हो चुकी परियोजनाओं की रकम में भी दिसंबर तिमाही के मुकाबले थोड़ी वृद्धि हुई है।
बिजली परियोजनाओं के लिए 8.8 लाख करोड़ रुपये की नई घोषणाएं हुईं। इस प्रकार यह नई परियोजनाओं की घोषणा के लिहाज से सबसे बड़ा क्षेत्र बन गया। उसके बाद 6.3 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं की घोषणा के साथ विनिर्माण दूसरे पायदान पर रहा। क्रमिक आधार पर देखा जाए तो विनिर्माण क्षेत्र में नई परियोजनाओं की घोषणाओं की रफ्तार कुल नई परियोजनाओं की घोषणाओं के मुकाबले धीमी रही।
स्वतंत्र बाजार विशेषज्ञ दीपक जसानी ने कहा, ‘पूंजीगत निवेश के लिए किए गए वादों का एक बड़ा हिस्सा प्रमुख बुनियादी ढांचा है।’ उन्होंने कहा कि भविष्य में क्षमता विस्तार के लिए की जाने वाली घोषणाओं के लिहाज से खाद्य प्रसंस्करण, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं अन्य क्षेत्रों पर ध्यान देना महत्त्वपूर्ण होगा क्योंकि इनमें रोजगार पैदा करने और भारत के विनिर्माण एवं व्यापार में विविधता लाने की पर्याप्त क्षमता है। बिजली की किल्लत होने के कारण यह क्षमता विस्तार के लिहाज से एक सुरक्षित क्षेत्र है। मगर इस्पात कंपनियां मध्यावधि के लिए निवेश कर रही हैं। अन्य क्षेत्रों में विस्तार काफी हद तक उनकी क्षमता उपयोगिता रुझानों पर निर्भर करेगा। अगर शुल्क के कारण उपयोगिता स्तर में गिरावट आती है तो कंपनियां निकट भविष्य में किसी नए निवेश के लिए उत्साहित नहीं दिखेंगी।
ऑर्डर बुकिंग, स्टॉक एवं क्षमता उपयोगिता पर भारतीय रिजर्व बैंक के तिमाही सर्वेक्षण (ओबीआईसीयूएस) के अनुसार, विनिर्माण कंपनियां अपनी मौजूदा उत्पादन क्षमता का 75 फीसदी से भी कम का उपयोग कर रही हैं। सितंबर 2024 के लिए ताजा आंकड़े फरवरी में जारी किए गए हैं। सितंबर में क्षमता उपयोगिता का स्तर 74.2 फीसदी और सीजन के हिसाब से समायोजित करने पर 74.7 फीसदी था।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि कंपनियों के बीच अधिक उम्मीद और सरकारी खर्च में तेजी के कारण निवेश प्रस्तावों को बल मिला है।
नई सरकारी परियोजनाएं एक तिमाही पहले के मुकाबले 287 फीसदी की उछाल के साथ 5.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गईं, जबकि निजी क्षेत्र की परियोजनाएं महज 89 फीसदी की बढ़त के साथ 12.9 लाख करोड़ रुपये की रहीं। आगामी तिमाहियों के लिए रुझान वैश्विक व्यापार घटनाक्रमों से प्रभावित हो सकता है।