उत्तर प्रदेश में इस बार समय से पहले पड़ रही गर्मी के चलते बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर जा सकती है। मार्च के महीने में ही प्रदेश में बिजली की दैनिक मांग 21000 मेगावाट के पार जा पहुंची है और जिस तरह से पारा चढ़ रहा है तो इसके आने वाले दिनों में 25000 मेगावाट पहुंचने के आसार हैं। बेतहाशा गर्मी और बिजली की संभावित मांग को देखते हुए इस बार उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने एनर्जी एक्सचेंज से खरीद के लिए पहली बार अलग से 3000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।
कॉर्पोरेशन के अनुमान के अनुसार इस साल अप्रैल के अंत व मई में बिजली की मांग 33000 मेगावाट तक जाने की संभावना है। प्रदेश में आमतौर पर बिजली की खरीद मई के आखिरी हफ्ते से की जाती है पर इस साल अप्रैल से ही एनर्जी एक्सचेंज से खरीद शुरू हो जाएगी। कॉर्पोरेशन अधिकारियों का मानना है कि अप्रैल से ही अतिरिक्त बिजली खरीदने की जरूरत होगी। उनका मानना है कि अप्रैल के दूसरे हफ्ते से ही प्रतिदिन 1500 से 2000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ेगी, जबकि जून आते-आते यह 4000 मेगावाट तक हो सकती है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले सालों की तरह इस बार भी जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों में सरप्लस बिजली वाले राज्यों से समझौते के आधार पर बिजली ली जाएगी, पर इससे पहले एनर्जी एक्सचेंज से खरीद का दबाव ज्यादा रहेगा।
बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस साल पहले के मुकाबले ज्यादा गर्मी पड़ेगी, लिहाजा मांग में उछाल आएगा। बीते साल भी जुलाई के महीने में मांग 30000 मेगावाट के पार गई थी, जबकि इस बार जून में ही 32-33000 मेगावाट की मांग हो सकती है। पिछले साल उत्तर प्रदेश में अप्रैल से सितंबर तक बिजली की औसत मांग 25000 से 30000 मेगावाट के बीच रही थी, जबकि इस बार इसमें 2000 से 3000 मेगावाट का इजाफा होगा। मांग को देखते हुए पावर कॉर्पोरेशन कुछ शॉर्ट टर्म एग्रीमेंट भी कर रहा है जिससे राहत मिल सके।
हालांकि कॉर्पोरेशन अधिकारियों का कहना है कि अभी आपूर्ति रोस्टर में परिवर्तन करने का विचार नहीं है और पुराने सिस्टम के तहत जिला मुख्यालयों को 24 घंटे, तहसीलों को 20 घंटे और गांवों में 16 से 18 घंटे बिजली दी जाएगी। मांग में बढ़ोतरी और उपलब्धता के आधार पर ही नया रोस्टर लागू किया जाएगा।