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India European Union FTA: भारत-EU के बीच FTA पर बनेगी बात? देश के लिए क्यों है जरूरी

भारत और यूरोपीय यूनियन (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत का इतिहास कई साल पुराना है। इसकी शुरुआत पहली बार साल 2007 में हुई थी।

Last Updated- January 19, 2025 | 4:35 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल 18 से 20 जनवरी तक ब्रुसेल्स के दौरे पर हैं। इस दौरान वह यूरोपीय यूनियन (EU) के व्यापार और आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफकोविच के साथ मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में अन्य एजेंडों के साथ भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर भी बातचीत होगी।

साथ ही गोयल अपनी यात्रा के दौरान विश्व व्यापार संगठन (WTO) की प्रमुख न्गोजी ओकोंजो-इवेला और बेल्जियम के व्यापार मंत्री बर्नार्ड क्विंटिन से भी मिल सकते हैं।

क्या होगी बैठक में चर्चा?

इस मुलाकात में गोयल और सेफकोविच भारत-यूरोपियन यूनियन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की प्रगति की समीक्षा करेंगे। साथ ही व्यापार और तकनीक से जुड़ी परिषद (Trade and Technology Council) की स्थिति का जायजा लेंगे और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने पर बात करेंगे।

वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि बैठक के दौरान दोनों नेता वैश्विक आर्थिक हालात और व्यापार में हो रहे परिवर्तन पर बातचीत करेंगे। साथ ही FTA पर बातचीत को तेजी से आगे बढ़ाने और एक ऐसा समझौता करने की कोशिश करेंगे जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो। यह बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच FTA वार्ता का अगला दौर 10-14 मार्च को ब्रुसेल्स में होना है।

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भारत और EU के बीच FTA का इतिहास

भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत का इतिहास कई साल पुराना है। इसकी शुरुआत पहली बार साल 2007 में हुई थी। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना था। इसे ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट (BTIA) का नाम दिया गया था।

2007 से 2013 के बीच, दोनों पक्षों ने कई बार बातचीत की, लेकिन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई। इनमें बाजार तक पहुंच, शुल्क में कटौती जैसे प्रमुख विषय शामिल थे। इन मुद्दों पर असहमति के चलते 2013 में यह बातचीत रुक गई थी।

करीब नौ सालों तक बातचीत रुकी रही, लेकिन 17 जून 2022 को भारत और यूरोपीय यूनियन ने इसे फिर से शुरू करने का फैसला किया। इस बार बातचीत में न केवल व्यापार, बल्कि निवेश बढ़ाने आदि पर भी चर्चा की जा रही है।

भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए वार्ता के नए दौर आयोजित हो रहे हैं। अब तक नौ दौर की बातचीत हो चुकी है, और 2025 में इसका दसवां दौर 10 से 14 मार्च के बीच ब्रसेल्स में आयोजित होने वाला है। दोनों पक्ष इस वार्ता के माध्यम से एक संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभदायक समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उनके व्यापारिक और आर्थिक संबंध और मजबूत हो सकें।

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भारत और EU के बीच FTA क्यों है जरूरी

भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौता जरूरी है, क्योंकि इससे दोनों पक्षों को कई लाभ मिलेंगे। इस समझौते से दोनों क्षेत्रों के व्यापारिक संबंधों को मजबूती मिलेगी, जिससे दोनों की अर्थव्यवस्थाओं को फायदा होगा।

प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक, भारत और यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-2024 तक 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।  अगर दोनों क्षेत्रों के बीच समझौता होता है तो इससे व्यापारिक बाधाओं को कम किया जा सकेगा, जिससे भारतीय उत्पादों को यूरोपीय बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी और यूरोपीय उत्पादों को भारतीय बाजार में ज्यादा से ज्यादा पहुंचाया जा सकेगा।

इसके अलावा, यूरोपीय संघ भारत का एक महत्वपूर्ण विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) स्रोत है, जिसका कुल FDI 117.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।  FTA के माध्यम से निवेश सुरक्षा और व्यापारिक वातावरण को सुधारने से और अधिक निवेश आकर्षित किया जा सकेगा, जिससे भारत में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

इस समझौते से भारत को फार्मा, मेडिकल उपकरण, फूड प्रोसेसिंग, रिसर्च और डेवलपमेंट जैसे सेक्टर में लाभ मिलेगा। यूरोपीय देशों को भारत के लगभग 150 करोड़ लोगों के बाजार तक आसान पहुंच मिलेगी, जिससे उनके उत्पादों की मांग बढ़ेगी। हालांकि, कुछ संवेदनशील क्षेत्रों जैसे डेयरी, सोया, कोयला और अन्य कृषि उत्पादों को इस लिस्ट से अलग रखा गया है, ताकि घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस प्रकार, भारत और यूरोपीय संघ के बीच FTA दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होगा, जिससे व्यापार, निवेश और आर्थिक संबंधों को मजबूती मिलेगी।

First Published - January 19, 2025 | 4:07 PM IST

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