देश की सात निजी कंपनियां अपनी तरह के पहले भारत-अमेरिका अंतरिक्ष और रक्षा सहयोग कार्यक्रम में शामिल होने जा रही हैं। इस कार्यक्रम के जरिए भारतीय कंपनियों के लिए बेहद आकर्षक एवं रणनीतिक बाजार के रास्ते खुल जाएंगे। मामले से वाकिफ तीन सूत्रों ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष इमेजिंग कंपनी कैलाइडो तथा रॉकेट बनाने वाली ईथरियलएक्स और आद्या स्पेस जैसी भारतीय कंपनियां अमेरिकी रक्षा विभाग की डिफेंस इनोवेशन यूनिट और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर उपग्रह अवलोकन के साथ उभरते अंतरिक्ष एवं रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करेंगी।
सूत्रों ने बताया कि इस साझेदारी से इन कंपनियों के लिए विश्व के सबसे बड़े रक्षा और अंतरिक्ष बाजार के दरवाजे खुल जाएंगे। उन्हें अमेरिकी रक्षा एवं अंतरिक्ष उद्योग की नॉरथ्रॉप ग्रुमैन, आरटीएक्स और लॉकहीड मार्टिन जैसी दिग्गज कंपनियों के ग्राहकों के साथ जुड़ने का मौका मिलेगा। इससे इन कंपनियों को सालाना 1.5 अरब डॉलर मूल्य के कारोबार के लिए अमेरिकी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा के कारण बाजार में बढ़त हासिल हो सकती है।
यह जानकारी साझा करने वाले सूत्रों ने अपना नाम नहीं बताया, क्योंकि अभी इस साझेदारी का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। इस बारे में जानकारी के लिए भेजी गई ईमेल का संबंधित सरकारी एजेंसियों ने खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं दिया। इस साझेदारी की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है और अभी यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि इस कार्यक्रम में कौन-कौन सी कंपनियां पुख्ता तौर पर शामिल हैं।
लॉकहीड और नॉरथ्रॉप ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जबकि आरटीएक्स ने अभी प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजे गए ईमेल का उत्तर नहीं दिया। भारतीय कंपनियों ने भी इस मामले में अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
भारत और अमेरिका के बीच नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए 2023 में डिफेंस एक्सलेरेशन इकोसिस्टम कार्यक्रम शुरू किया गया था। भारत ने अपने पारंपरिक साझेदार रूस पर निर्भरता कम करते हुए रक्षा एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए दरवाजे खोले थे। इस दृ़ष्टि से यह पहल काफी अहम है। सरकार के व्यापक प्रोत्साहन कार्यक्रम के अंतर्गत बीते साल सितंबर में लांचपैड स्थापित करने वाली भारतीय निवेशक इंडसब्रिज वेंचर्स और अमेरिका की फेडटेक ने सात भारतीय कंपनियों को चुना है और खास परियोजना पर काम करने के लिए बातचीत चल रही है।
वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े अमेरिकी रक्षा और अंतरिक्ष बाजार तक पहुंच भारत की निजी कंपनियों के कारोबार में बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है। सूत्रों ने बताया कि इससे उन्हें सालाना 50 करोड़ डॉलर से 1 अरब डॉलर का राजस्व जुटाने में मदद मिल सकती है।