Chanderi Saree: कभी राजघरानों की महिलाओं की शान बढ़ाने वाली चंदेरी साड़ी अब आम महिलाओं की भी पसंद है। हालांकि समय के साथ चंदेरी साड़ी बनाने में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों में भी बदलाव आया है। इन दिनों पट्टू सिल्क से बनी चंदेरी साड़ियां खूब पसंद की जा रही हैं। इसके साथ टिश्यू सिल्क और एक नलिया वर्क वाली साड़ियों की भी अच्छी मांग है। हालांकि ये साड़ियां कतान वाली साड़ियों से महंगी पड़ती हैं। फिर भी लोग इन्हें खूब खरीद रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि इस साल शादियों के दौरान इनकी बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है।
मध्य प्रदेश का चंदेरी शहर चंदेरी साड़ी के लिए मशहूर है। यहां छोटे-बड़े मिलाकर 250 से 300 चंदेरी साड़ी के कारोबारी हैं। चंदेरी में 5,000 से 5,500 हैंडलूम हैं। चंदेरी साड़ी कारोबार 20 से 25 हजार लोगों को रोजगार दे रहा है। कारोबारियों के अनुमान के मुताबिक इस समय चंदेरी साड़ी का सालाना कारोबार 200 से 225 करोड़ रुपये का है। कोरोना के समय यह घटकर 100 करोड़ रुपये से भी कम रह गया था। कोरोना से पहले यह 150 करोड़ रुपये के आस पास था। कारोबारियों का कहना है कि चंदेरी में सुपरहिट फिल्म ‘स्त्री-2’ की शूटिंग से पर्यटन और चंदेरी साड़ी कारोबार दोनों को फायदा हो सकता है।
चंदेरी साड़ी के कारोबारी बांके बिहारी लाल चतुर्वेदी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि कोरोना महामारी के दौरान चंदेरी साड़ी के कारोबार पर बड़ी मार पड़ी थी। मगर अब यह कारोबार बुरे दौर से पूरी तरह उबर चुका है। कोरोना के बाद से चंदेरी साड़ी में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले कतान सिल्क की साड़ियों की मांग अधिक रहती थी। लेकिन अब पट्टू सिल्क वाली साड़ियां ज्यादा पसंद की जा रही है।
पट्टू सिल्क मुलायम होता है जबकि कतान सिल्क से बनी साड़ियां कड़क होती हैं। हालांकि पट्टू सिल्क कतान सिल्क की तुलना में 1,000 रुपये किलो महंगा पड़ता है। लेकिन इस सिल्क की साड़ियां मुलायम होती हैं। इसलिए खरीदार ज्यादा पैसे देने को तैयार हैं।
चतुर्वेदी कहते हैं कि कोरोना से पहले चंदेरी साड़ी की कुल बिक्री में पट्टू सिल्क की हिस्सेदारी 15 से 20 फीसदी थी जो अब बढ़कर 40 फीसदी तक हो गई है। एक नलिया वर्क की साड़ियों की भी मांग है। इसकी खासियत यह रहती है कि इसमें महीन जरी वर्क किया जाता है और ये ज्यादा चमकदार होती हैं।
चंदेरी साड़ी कारोबारी अरुण सोमानी भी मानते हैं कि महंगी होने के बावजूद पट्टू सिल्क की साड़ियां ज्यादा पसंद की जा रही हैं। चंदेरी साड़ी उद्यमी आलोक कठेरिया ने कहा कि न केवल पट्टू सिल्क बल्कि टिश्यू सिल्क की साड़ियां भी खरीदारों को लुभा रही हैं। इन गाड़ियों में एक तार की जरी का काम होता है।
चंदेरी साड़ी बनाने की लागत बढ़ती जा रही है। चतुर्वेदी कहते हैं कि चंदेरी साड़ी का मुख्य कच्चा माल रेशम है। 4 से 5 साल पहले इसकी कीमत 3,000 से 3,500 रुपये किलोग्राम थी जो अब बढ़कर 4,000 से 4,500 रुपये किलो हो गई है। जरी और सूत के दाम बढ़ने के साथ ही बुनकरों की मजदूरी में भी इजाफा हुआ है।
कठेरिया के अनुसार लागत बढ़ने से मुनाफे पर चोट पड़ी है। पहले चंदेरी साड़ी पर 15 से 20 फीसदी मार्जिन आसानी से मिल जाता था। कई बार तो 30 फीसदी तक मुनाफा हो जाता जाता था। मगर अब 10 से 15 फीसदी ही मुनाफा मिल पाता है।
अगस्त महीने में रिलीज हुई स्त्री-2 फिल्म की शूटिंग चंदेरी में भी हुई और इस फिल्म ने अच्छी कमाई भी की है। इस फिल्म से चंदेरी साड़ी के कारोबारियों को फायदा मिलने की संभावना है। चंदेरी साड़ी के कारोबारी आलोक कठेरिया ने कहा कि चंदेरी में ‘स्त्री-2’ फिल्म की शूटिंग से यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावना है। ऐसे में यहां अधिक संख्या में पर्यटक आ सकते हैं, जो चंदेरी साड़ी भी खरीद सकते हैं। जिससे चंदेरी साड़ी की बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है।
कठेरिया कहते हैं कि इस साल शादियों के साये पिछले साल से ज्यादा हैं। ऐसे में चंदेरी साड़ियों की बिक्री 15 से 20 फीसदी बढ़ सकती है। चंदेरी साड़ी की कीमत 2,000 से 20,000 रुपये के बीच रहती है। लेकिन ज्यादातर साड़ियां 3,500 से 5,000 रुपये की कीमत वाली बिकती हैं। विशेष मांग पर 50 हजार से एक लाख रुपये तक कीमत की साड़ियां भी बनाई जाती हैं।