Mumbai master plan: मुंबई महानगर क्षेत्र के आर्थिक विकास ही नहीं बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास और क्षेत्र की जीडीपी को 300 अरब डॉलर तक ले जाने को लेकर आज नीति आयोग के साथ राज्य सरकार की एक बैठक हुई। मुंबई के आर्थिक विकास के लिए मास्टर प्लान (व्यापक योजना) की तैयारी पर प्रारंभिक रूपरेखा पेश की गई। अगले चार महीने में नीति आयोग इसके लिए एक योजना भी पेश करेगा। इस योजना को तैयार करने के लिए राज्य सरकार पूर्ण स्वतंत्र एवं समर्पित अधिकारियों की एक टीम तथा एक नोडल अधिकारी की नियुक्त करेंगी।
मंत्रालय में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम और उनके प्रतिनिधिमंडल ने अगले कुछ वर्षों में मुंबई के आर्थिक विकास के लिए मास्टर प्लान (व्यापक योजना) की तैयारी पर एक प्रस्तुति दी। देश के चार शहरों मुंबई, सूरत, विशाखापत्तनम, वाराणसी के लिए ऐसी व्यापक योजना तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्य सरकार नीति आयोग के साथ पूरा समन्वय बनाए रखेगी और इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक स्वतंत्र टीम नियुक्त की जाएगी। उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने भी अपने सुझाव दिये।
मुंबई महानगर क्षेत्र की वर्तमान GDP (सकल घरेलू उत्पाद) 140 अरब डॉलर है। यह GDP पुर्तगाल, कोलंबिया, सऊदी अरब, मलेशिया, इजराइल, चिली से भी ज्यादा है। वर्ष 2030 तक मुंबई महानगर की जनसंख्या बढ़कर 2.70 करोड़ हो जाएगी। पिछले 5 वर्षों में मुंबई महानगर की विकास दर 5 से 5.5 फीसदी रही है। 2030 तक मुंबई की GDP बढ़ाने के लिए 150 अरब डॉलर के अतिरिक्त निवेश की जरूरत है। तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पंजाब में 2030 तक 50 प्रतिशत शहरी आबादी होगी। बीवीआर सुब्रमण्यम ने अपने प्रेजेंटेशन में कहा कि राज्य के महत्वपूर्ण शहरों में ऐसी आर्थिक क्षमता बनाना जरूरी है।
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देश की कुल GDP में महाराष्ट्र का योगदान सबसे ज्यादा 13 फीसदी है। इस तरह की व्यापक योजना इस योगदान को बढ़ाने और विकास दर में सुधार के लिए उपयोगी होगी। विकास का मतलब सिर्फ बुनियादी ढांचा नहीं है, बल्कि असल मायनों में मुंबई महानगर की क्षमता को देखते हुए इस क्षेत्र का आर्थिक विकास जरूरी है। अगले चार महीने में नीति आयोग इसके लिए एक योजना भी पेश करेगा।
आयोग ने अनुरोध किया कि राज्य सरकार इस योजना को तैयार करने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र एवं समर्पित अधिकारियों की एक टीम बनाये तथा एक नोडल अधिकारी नियुक्त करे। मुंबई की तरह राज्य के अन्य सभी शहरों को भी इसी तरह चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाना चाहिए। नीति आयोग के सुझाव को मानते हुए राज्य सरकार दिसंबर तक इस योजना का प्रारंभिक प्रस्तुतीकरण तैयार करके मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के समक्ष पेश करेगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के साथ मिलकर मुंबई और उसके आसपास के आर्थिक विकास के लिए निश्चित रूप से प्राथमिकता वाले कदम उठाए जाएंगे। पोर्ट ट्रस्ट के पास केंद्र में काफी जगह है। इसका सही तरीके से उपयोग करने पर यह मुंबई की आर्थिक विकास प्रक्रिया में बहुत काम आ सकता है। इस संबंध में केंद्र से समन्वय स्थापित कर कार्रवाई की जायेगी। पूर्वी सागर तट को भी मरीन ड्राइव की तरह विकसित और सुंदर बनाया जा सकता है।
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मुंबई के आर्थिक विकास की योजना बनाते समय रोजगार, बुनियादी ढांचे और भूमि के उचित उपयोग, वित्तीय नीति पर जोर दिया जाएगा। मुंबई महानगर क्षेत्र के विकास, विभिन्न माध्यमों से सरकार की ओर से वित्तीय आपूर्ति, बिजली, सड़क, रियायतें और प्रोत्साहन जैसे बुनियादी ढांचे से संबंधित एमएमआरडीए जैसे संस्थानों की भूमिका देखी जाएगी। प्रेजेंटेशन में यह भी कहा गया कि निर्माण, आतिथ्य क्षेत्र, विनिर्माण, पर्यटन, वित्तीय सेवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, लॉजिस्टिक्स के आमूल-चूल विकास पर जोर दिया जाएगा।