अक्सर सूखे की मार झेलने वाला महाराष्ट्र का मराठवाड़ा इलाका एक बार फिर से सूखे की गिरफ्त में जाता दिखाई दे रहा है। मराठावाड़ा को सूखे से बचाने के लिए राज्य सरकार नदी जोड़ो परियोजना, जल ग्रिड और पड़ोसी राज्यों से पानी लाने की योजना तैयार करने में जुट गई है। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार केन्द्र सरकार से मदद की गुहार भी लगाई है।
राज्य सरकार की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कैलेंडर वर्ष के लिए मराठवाड़ा में अपेक्षित वर्षा 679.5 मिमी है। फिलहाल यह आंकड़ा 364.9 मिमी रिकॉर्ड किया गया है। यानी इस क्षेत्र में 21 अगस्त तक वार्षिक वर्षा का 53.7 प्रतिशत ही प्राप्त हुआ है। चालू मानसून के करीब 85 दिन हो चुके हैं जिनमें से करीब 52 दिन मराठावाड़ा में कोई बारिश नहीं हुई। मराठवाड़ा के औरंगाबाद, जालना, बीड, हिंगोली, उस्मानाबाद, लातूर और नांदेड़ जिलों जून में मराठवाड़ा क्षेत्र में औसतन 7 दिन बारिश हुई। जुलाई के 31 दिनों में से 9 दिन सूखे गुजरे। अगस्त में अभी तक इस क्षेत्र में औसतन 3 दिन बारिश हुई है।
बारिश के आंकड़ों से साफ है कि मराठवाड़ा एक बार फिर भीषण सूखे की चपेट में आ चुका है। इस बात को सरकार भी समझ रही है इसीलिए अभी से सूखे से निपटने की तैयारियां भी शुरु कर दी गई हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कहते हैं कि सूखाग्रस्त मराठवाड़ा में पानी की समस्या है। नदी जोड़ो परियोजना, मराठवाड़ा जल ग्रिड और कोंकण से समुद्र में मिलने वाले पानी के समुचित उपयोग के लिए केंद्र से मदद की जरूरत है। तिलारी सिंचाई परियोजना को पूरा करने के लिए गोवा राज्य के साथ समन्वय में काम कर रहे हैं । मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि इस समय राज्य के कई जिलों में बारिश नहीं होने के कारण खरीफ की फसल को नुकसान हो रहा है। ऐसी स्थिति में किसान डरे नहीं, चिंता न करे, यह सरकार किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है और किसानों को ऐसे ही बेसहारा नहीं छोड़ेगी।
मराठवाड़ा में गहराते सूखे पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस भरोसा दिलाते हुए कहा कि मराठवाड़ा को हर चार से पांच साल में सूखे का सामना करना पड़ता है , मराठवाड़ा को सूखा मुक्त करने के लिए बारिश गोदावरी नदी का पानी यहां लाया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी सूखा की मार न देख सके। पिछली पीढ़ी को सबसे पहले सूखे का सामना करना पड़ा था, लेकिन अगली पीढ़ी को सूखा नहीं देखने दिया जाएगा। मराठवाड़ा के कुछ इलाकों में पानी की कमी हो गई है। हर चार साल में सूखे का सामना करना पड़ता है। 2014 में 53 फीसदी बारिश हुई थी। 2018 में 64 फीसदी बारिश हुई थी। अब भी लगभग 50 फीसदी बारिश हो चुकी है। इसलिए हम मराठवाड़ा को हमेशा के लिए सूखा मुक्त बनाने का प्रयास कर रहे हैं और हमने इस संबंध में निर्णय भी लिया है।
फड़णवीस ने कहा कि इसके लिए कुछ योजनाएं बनाई गई हैं और मराठवाड़ा ग्रिड योजना लाई गई है। इससे मराठवाड़ा के बांधों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। अगर एक इलाके में ज्यादा बारिश होगी तो वहां से पानी दूसरी जगह ले जाया जाएगा। पिछले ढाई साल में कई विकास कार्यों पर ब्रेक लग गया था लेकिन, अब फिर से हमने ये काम शुरू कर दिया है। हमने मराठवाड़ा ग्रिड योजना के लिए केंद्र से धन की मांग की है और हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे हमें देंगे। इसलिए हम पश्चिमी चैनलों से बहने वाले पानी को गोदावरी घाटी में लाने की योजना लेकर आए।