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जुलाई में ‘सामान्य’ रहेगा मॉनसून, कुछ खेती वाले इलाकों में संकट के बादल छाए रहने की आशंका

IMD के अनुसार मध्य भारत के मुख्य मॉनसून क्षेत्र के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी जुलाई महीने के दौरान अच्छी बारिश होने का अनुमान है

Last Updated- June 30, 2023 | 11:20 PM IST
rain in Delhi
PTI

खेतीबाड़ी के लिहाज से बेहद अहम जुलाई महीने में द​क्षिण- प​श्चिम मॉनसून सामान्य रहने के आसार हैं। इस दौरान दीर्घाव​धि औसत (एलपीए) के 94 से 106 फीसदी के दायरे में बारिश हो सकती है। मगर उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, द​क्षिण कर्नाटक के आंतरिक क्षेत्र, ​तमिलनाडु, पंजाब और मेघालय जैसे प्रमुख कृ​षि क्षेत्रों पर संकट के बादल छाने की आशंका बनी हुई है।

मॉनसून कमजोर पड़ा तो धान की बोआई और खड़ी फसल को नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि इन्हीं राज्यों में धान की ज्यादातर खेती होती है। इस साल 30 जून तक धान की बोआई पहले ही जून, 2022 के मुकाबले 26 फीसदी कम है।

द​क्षिण-प​श्चिम मॉनसून के चार महीनों में जुलाई और अगस्त सबसे महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि सबसे अ​धिक बारिश (औसत मौसमी बारिश के 60 फीसदी से अ​धिक) इन्हीं महीनों में होती है। राहत की बात यह है कि धान के उत्पादन में गिरावट की भरपाई केंद्रीय पूल में मौजूद पर्याप्त स्टॉक से की जा सकती है। साथ ही पंजाब जैसे कुछ राज्यों में ज्यादातर कृषि भूमि की सिंचाई होती है।

मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि जुलाई में मध्य भारत के अधिकांश हिस्सों एवं आसपास के दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र, पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर एवं पश्चिमोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में बारिश सामान्य अथवा सामान्य से अधिक होने की संभावना है। मगर पश्चिमोत्तर, पूर्वोत्तर और दक्षिण-पूर्व प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में बारिश सामान्य से कम रहने की आशंका है।

विभाग के अनुसार मध्य भारत के मुख्य मॉनसून क्षेत्र के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी जुलाई महीने के दौरान अच्छी बारिश होने का अनुमान है। मध्य भारत में अच्छी बारिश होने से तिलहन और दलहन की बोआई का रकबा बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने आज एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 4 जुलाई के बाद बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बनने से मध्य भारत में मॉनसून सक्रिय रहेगा। पश्चिमी तट पर अरब सागर के ऊपर मॉनसून की गतिविधि सामान्य रहने से भी बारिश होने में मदद मिलेगी।

खतरनाक अल नीनो प्रभाव की बात करते हुए विभाग ने चेताया कि भले ही जून में इसका असर न दिखा हो मगर जुलाई में असर हो सकता है। हिंद महासागर डाइपोल (आईओडी) के अन्य कारक आगामी महीनों में सकारात्मक होने की उम्मीद है जो ​फिलहाल तटस्थ स्थिति में है। सकारात्मक आईओडी भारतीय मॉनसून पर गहरा प्रभाव डालता है। मई, जून और जुलाई में 0.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार कर चुका अल नीनो यहां से और मजबूत हो सकता है।

First Published - June 30, 2023 | 11:20 PM IST

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