सत्ता संभालने वाली नई सरकार के समक्ष खाद्य व कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती खाद्य वस्तुओं की महंगाई को काबू करना होगा। साल 2023 में आपूर्ति के दबाव के कारण खाद्य वस्तुओं की महंगाई के मामले में हालत खराब रही है।
ग्रामीण असंतोष से निपटना मुख्य चुनौती है। दरअसल, नौकरियों की संभावनाओं में गिरावट और गैर कृषि क्षेत्र में धीमी वृद्धि के कारण गांवों में असंतोष कई गुना बढ़ गया है। हालांकि अच्छी खबर यह है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2024 का पूर्वानुमान अच्छा है और इससे सभी जगह अच्छी बारिश की उम्मीद है।
भारत के मौसम विभाग ने दूसरे चरण में अनुमान जताया है कि देश के वर्षा आधारित क्षेत्रों में ‘सामान्य से अधिक’बारिश हो सकती है।
अच्छा दक्षिण पश्चिम मॉनसून देश के वर्षा आधारित क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण है। इस मॉनसून से मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बारिश होती है और इन क्षेत्रों में अच्छी बारिश देश के दलहन और तिलहन क्षेत्रों के लिए अच्छा संकेत है।
दलहन, तिलहन और अनाज का उत्पादन बढ़ने से घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने में मदद मिलेगी और इससे आने वाले महीनों में महंगाई घटने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अच्छे मॉनसून से रबी फसल के लिए जलाशयों और मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखने में मदद मिलती है।
वित्त वर्ष 24 में कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों के लिए सकल मूल्य वर्धित (GVA) की दर 1.4 फीसदीरही और यह 2018-19 के बाद सबसे कम थी। इसका कारण यह था कि 2023 में बारिश ‘सामान्य से कम’थी। कई विशेषज्ञों का विश्वास है कि खराब मॉनसून के बावजूद सकारात्म वृद्धि दर्ज हुई है और यह कृषि क्षेत्र की मजबूती प्रदर्शित करती है।
खाद्य उत्पादन में गिरावट होने से खाने वाले सामान की महंगाई बढ़ गई है। लिहाजा सरकार ने खाने की महंगी होती वस्तुओं के दाम नियंत्रित करने के लिए कई इंतजामों की घोषणा की है। इनमें चावल निर्यात पर प्रतिबंध और कम से कम मार्च 2025 तक दलहनों और तिलहनों का नि:शुल्क आयात शामिल है।
इसके अलावा प्याज और कुछ तिलहनों की तेल रहित खली के निर्यात को रोक दिया गया है। लिहाजा सरकार को कुछ फैसलों को शीघ्र अति शीघ्र पलटने की आवश्यकता है ताकि किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके।
विशेषज्ञों के अनुसार महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई ग्रामीण लोक सभा क्षेत्रों में भाजपा की हार का कारण किसानों को अपने खेत पर उपज का उचित मूल्य नहीं मिलना है।
अगली सरकार को नीति के स्तर पर कृषि क्षेत्रों के सुधार पर ध्यान देने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र में सुधार 2021 में तीन किसान विधेयकों को वापस लिए जाने के बाद कहीं धूमिल हो गए हैं।
सुधार के एजेंडे का लक्ष्य यह होना चाहिए कि वे भारत के किसानों को शीघ्र मंजूरियां उपलब्ध कराकर उनके जीवन को आसान बनाया जाए और इस दौरान गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाए। सूत्रों ने संकेत दिया कि मोदी 3.0 के 100 दिन के एजेंडे में इन सुधारों का खाका है।
उर्वरक के क्षेत्र में सब्सिडी का समुचित ढंग से प्रबंधन होना चाहिए और सब्सिडी की चोरी रोकी जानी चाहिए। उर्वरक की सब्सिडी को विविधीकृत करने की दिशा में नीम के लेप वाले यूरिया ने सफलता प्राप्त की है।
सूत्रों के अनुसार बीज और संयंत्र उर्वरक के मामले में कई सुधार तत्काल किए जाने की जरूरत है। इसका कारण यह है कि भारत में कई साझेदारों के शामिल होने के कारण विनियमन और मंजूरी प्रक्रियाएं लंबा समय लेती हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को कृषि रसायन क्षेत्र के लिए उचित नीतिगत वातावरण बनाना चाहिए और इस क्षेत्र के निर्यात को बढ़ावा देने की सुविधा देनी चाहिए। भारत विदेशी निवेश का आकर्षक गंतव्य है और सरकार को आकर्षक नीतिगत वातावरण बनाने के दौरान स्थानीय उद्योग में सक्रिय छोटे व स्थानीय खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।