अनाज और कृषि मंडियों में लगने वाले बाजार शुल्क (सेस) से परेशान महाराष्ट्र के कारोबारी संगठनों ने चुनाव के समय राजनीतिक दलों से अपनी बात मनवाने की रणनीति तैयार कर ली है। व्यापारी सेस को पूरी तरह खत्म करने वाला एक ज्ञापन तैयार किया है। इस ज्ञापन को सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को सौंपा जाएगा, जो उम्मीदवार इसको खत्म करने का लिखित में आश्वासन देगा व्यापारी उसका समर्थन करेंगे।
पुणे में आयोजित व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों की राज्यव्यापी परिषद में महाराष्ट्र राज्य व्यापारी कृति समिति ने निर्णय लिया कि वर्तमान समय में सेस की दरें घटाने के बजाय, सेस को पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए।
व्यापारियों ने पहले भी राज्य सरकार को इस तरह का प्रस्ताव दिया था। जिसके बाद राज्य सरकार ने 10 अक्टूबर को सेस की दर कम करने को लेकर महाराष्ट्र राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की है। सेस की न्यूनतम दर 100 रुपये की खरीद पर 25 पैसे और अधिकतम दर 50 पैसे कर दिया । लेकिन चुनावी आचार संहिता लागू होने के एक दिन पहले सरकार ने दूसरा जीआर निकल कर मंडी शुल्क को पहले जैसा कर दिया।
सरकार के इस कदम को व्यापारी अपने साथ विश्वासघात मान रहे हैं। सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के व्यापारी संगठनों ने बैठक की। महाराष्ट्र राज्य व्यापारी कृति समिति के समन्वयक राजेंद्र बाठिया ने बताया कि परिषद में महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स, फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र, चैंबर ऑफ एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड, द ग्रेन, राइस एंड ऑयलसीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन, पूना मर्चेंट्स चेंबर, सांगली चैंबर ऑफ कॉमर्स इत्यादि संगठनों के मुंबई, नवी मुंबई, नासिक, नागपुर, बारामती, अहमदनगर, बार्शी, लातूर, सोलापुर, कोल्हापुर, सांगली, कराड, सातारा, पंढरपुर, जलगांव, धुले, उल्हासनगर के पदाधिकारी शामिल हुए ।
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष जितेन्द्र शाह ने बताया कि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण, फिलहाल अगले कुछ दिनों में सरकार की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया जा सकेगा। इसीलिए बाजार समिति कानून से संबंधित विभिन्न समस्याओं और बाजार शुल्क को लेकर ज्ञापन तैयार किया है।
मौजूदा स्थिति में बाजार शुल्क ग्राहकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ है और पारंपरिक व्यापारियों के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। चूंकि खाद्यान्न और अनाज पर पहले से ही जीएसटी लागू है । एक देश, एक कर की अवधारणा के तहत बाजार शुल्क को रद्द किया जाना चाहिए था, लेकिन अब तक इसे समाप्त नहीं किया गया है।
इस संबंध में विस्तृत ज्ञापन तैयार कर आगामी चुनाव में महाराष्ट्र विधानसभा के सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के नेताओं को सौंपने का निर्णय लिया गया, ताकि नई विधानसभा के 288 विधायकों को इस मुद्दे की गंभीरता का एहसास हो और वे व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए सेस हटाने का निर्णय ले सकें।