आर्थिक तंगहाली से गुजर रही महाराष्ट्र की महानंदा डेयरी के अधिग्रहण की अटकलें तेज हो गई हैं। इसी के साथ राज्य का राजनीतिक माहौल भी गर्मा गया है। विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार महानंद को गुजरात ले जाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए महाराष्ट्र सरकार महानंद को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंपने की तैयारी कर चुकी है।
सरकार की तरफ से जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि विपक्ष राजनीतिक फायदे के लिए महानंद डेयरी को लेकर झूठे आरोप लगा रहा है। महानंद डेयरी महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन लिमिटेड का उपक्रम है। महानंदा डेयरी लगातार घाटे में चल रही है।
घाटे से उबारने के लिए नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा महानंदा डेयरी का अधिग्रहण किए जाने की चर्चा पिछले कुछ महीनों से जोरों पर है।
हाल ही में खबर आई कि महानंद के चेयरमैन राजेश पराजन समेत निदेशक मंडल ने इस्तीफा दे दिया है। इससे महानंद को एनडीडीबी में स्थानांतरित करने का रास्ता साफ हो गया है। पराजन का इस्तीफा राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ के प्रबंध निदेशक को भेज दिया गया है। महानंद अब एनडीडीबी में जाएंगे। हालांकि इस पर महानंदा की तरफ से कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया गया, लेकिन इसके साथ ही विपक्ष का हमला तेज हो गया।
शरद पवार गुट के विधायक जीतेंद्र आव्हाड ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि सुबह महानंद डेयरी जाएं, डेयरी से दूध खरीदें, दूध को भगवान का अभिषेक करें, मीठा बनाएं, जितना हो सके उतना मीठा बनाएं, अब आप कहेंगे ये कौन सी नई बात है, ऐसा कहने का कारण यह है कि महानंद अब गुजरात को बेचा जा चुका है! जय हो, महानंद की ।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा ने विपक्ष ने आरोप लगाया कि महानंद को गुजरात के आनंद स्थित नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड को सौंपा जा रहा है, जो कि बिल्कुल झूठ है। मैं भी महानंद का निदेशक रह चुका हूं। उस वक्त संस्था का फिक्स्ड डिपॉडिट 150 करोड़ रुपये हो गया था।
हालांकि दूध उत्पादकों द्वारा चुने गए प्रबंधक बाद में महानंद को संभाल नहीं पाए। हमने मिल्क पाउडर बनाकर महानंद को नुकसान से निपटने के लिए प्रोत्साहित किया था। लेकिन यह काम नहीं आया। राज्य सरकार आगे महानंद पर निर्णय लेगी।
महानंद के निदेशकों के जबरन इस्तीफे के आरोपों पर पवार ने कहा कि यह बयान पूरी तरह से गलत है। राजनीति से प्रेरित है। इस्तीफे वाली बात सच है तो उन लोगों को पुलिस के पास जाना चाहिए और शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
शिवसेना (उद्धव) के प्रवक्ता संजय संजय राऊत सरकार पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि राज्य में महानंद, गोकुल और चितले के दूध ब्रांड हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों में दूध उत्पादन का बहुत बड़ा नेटवर्क है।
केंद्र सरकार ने कर्नाटक में नंदिनी नामक एक ऐसे ही दूध के ब्रांड को खत्म करने की कोशिश की थी। अब महानंद को गुजरात ले जाने का प्रयास जारी है। महानंद महाराष्ट्र की पहचान है और अब वह पहचान मिट्टी में मिलने जा रही है। हालांकि पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटील पहले की कह चुके हैं कि महानंद का पूरा कारोबार गुजरात स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। विपक्ष बेवजह के आरोप लगा रहा।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव अजित नवले ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि पहले राज्य के उद्योग राज्य से बाहर जा रहे थे वहीं अब डेयरी व्यवसाय भी राज्य से बाहर जा रहा है।
नवले ने कहा कि सरकार का यह फैसला पूर्वनियोजित है क्योंकि सरकार ने पिछले वर्ष विधानसभा में घोषणा की थी कि महानंद को पुनर्जीवित करने के लिए महानंद डेयरी परियोजना को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद ही यह कार्रवाई शुरू की गई है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ यानी महानंद को एनडीडीबी के निदेशक मंडल द्वारा चलाने का निर्णय लिया गया। बताया जाता है कि निदेशक मंडल का यह प्रस्ताव पहले ही राज्य सरकार को भेजा जा चुका है। अगर सरकार से मंजूरी मिल गई तो इसे एनडीडीबी अपने अधीन ले लेगी।
एनडीडीबी का कार्यालय गुजरात में है। इसलिए अटकलें लगाई जा रही है भविष्य में महानंद गुजरात चले जाएंगे। साल 2005 में एक समय महानंद का दूध कलेक्शन करीब आठ लाख लीटर था। यह फिलहाल 25 से 30 हजार लीटर ही है। पिछले 15 सालों से महानंद का मुनाफा भी लगातार गिर रहा है।