महाराष्ट्र सरकार ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 दोषियों को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के निर्णय के फैसले के खिलाफ मंगलवार को देश की सर्वोच्च अदालत का रुख किया। इस मामले में 189 लोगों की जानें गई थीं। सर्वोच्च न्यायालय गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय के एक खंडपीठ ने सोमवार को सभी 12 आरोपियों की दोषसिद्धि को यह कहते हुए पलट दिया था कि उनके खिलाफ मामला साबित नहीं हो सका है। एक विशेष अदालत द्वारा पांच को मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक के पीठ ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष मामले को संदेह से परे साबित करने में पूरी तरह विफल रहा।’ अदालत ने कहा कि जांच और सुनवाई प्रक्रिया गंभीर अनियमितताओं से भरी हुई थी। न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के लगभग सभी गवाहों के बयानों को अविश्वसनीय पाया।
उच्च न्यायालय के पीठ ने कहा, ‘विस्फोट के लगभग 100 दिन बाद टैक्सी चालकों या ट्रेन में सवार लोगों के लिए आरोपियों को याद कर पाना संभव नहीं था।‘ मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा पांच दोषियों को मृत्युदंड और शेष सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के लगभग एक दशक बाद, दोषियों की सजा को पलट दी गई है। मंगलवार को, महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से मामले की प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का आग्रह किया।