Maharashtra Assembly election 2024, Mahayuti vs MVA: महाराष्ट्र में सियासी शंखनाद हो गया है । देश की दूसरी सबसे बड़ी विधानसभा महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी। राज्य के दो प्रमुख राजनीतिक गठबंधन महायुति और महा विकास आघाडी (एमवीए ) के बीच सीधा मुकाबला है। राज्य में चुनावी शंखनाद होते ही दोनों प्रमुख गठबंधनों ने जीत का दावा करते हुए मैदान में उतर गए ।
निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार महाराष्ट्र में 22 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी तथा नामांकन की आखिरी तिथि 29 अक्टूबर होगी। नामांकन पत्र चार नवंबर तक वापस लिए जा सकते हैं। प्रदेश में 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को मतगणना होगी। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है। कांग्रेस सांसद वसंत चव्हाण के निधन से खाली हुई नांदेड़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव भी 20 नवंबर को होगा।
महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति गठबंधन की सरकार है, जिसके मुखिया शिवसेना के एकनाथ शिंदे हैं। इस सत्ताधारी गठबंधन में शिवसेना के अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल है। दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) है। इसमें उद्धव बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और वरिष्ठ नेता शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल है।
दोनों ही गठबंधन ने अभी सीट बंटवारे समझौते की घोषणा नहीं की है। महाराष्ट्र में 2022 में शिवसेना और 2023 में राकांपा में विभाजन के बाद होने वाले पहले विधानसभा चुनाव दोनों प्रमुख गठबंधन को राजनीतिक ताकत दिखाने का यह बेहतरीन मौका है।
देवेंद्र फडणवीस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, शंखनाद… लोकतंत्र के सर्वोच्च पर्व की आज घोषणा हो गई है। दिवाली एक प्रकाश उत्सव होगी और फिर हम 20 नवंबर को दूसरा विकास प्रकाश पर्व एक साथ मनाएंगे। बीजेपी के नेतृत्व में हमने 2014, 2019 में बड़ी सफलता हासिल की, पूर्ण बहुमत दिया। आओ हम सब फिर एक साथ आएं और आइए 23 नवंबर को महायुति की जीत का जश्न मनाएं। महाराष्ट्र आपके आशीर्वाद और विकास के लिए मजबूत जनादेश का इंतजार कर रहा है ।
शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के रूप में हम सभी जिस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे वह आ गया है। 20 नवंबर मतदान का दिन है। विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए)जो बदलाव लाना चाहता , वह बदलाव एकनाथ शिंदे- भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करना है जो दो साल से महाराष्ट्र को लूट रही है। हम न्याय का इंतजार कर रहे थे लेकिन अब मतदाताओं द्वारा न्याय किया जाएगा।
साल 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति बिल्कुल बदल गई है। साल 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा और अविभाजित शिवसेना ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बैनर तले साथ मिलकर लड़ा था। राज्य की 288 विधानसभा में भाजपा ने 165 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे और 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।
शिवसेना ने 126 सीट पर चुनाव लड़ा था और उसे 56 पर जीत मिली थी। दूसरी तरफ कांग्रेस ने 147 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे और उसे 44 सीट पर जीत मिली थी, जबकि राकांपा को 121 में से 54 सीट पर जीत हासिल हुई थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में भले ही महायुति गठबंधन (48 में से 17 सीटों पर जीत) को झटका लगा और एमवीए (30 सीट पर जीत) ने अच्छा प्रदर्शन किया था ।
कांग्रेस नेता रत्नाकर महाजन ने कहा कि भाजपा का वोट बैंक सिकुड़ रहा है, जबकि कृषि संकट, बेरोजगारी और महंगाई जैसे प्रमुख मुद्दे उठाने के कारण उनकी पार्टी के जनाधार में वृद्धि हो रही है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में अपने उत्साहजनक प्रदर्शन से आत्ममुग्ध नहीं है और वह लगातार जनहित के मुद्दे उठा रही है।
उन्होंने कहा कि सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का ढहना, कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति,मराठा आरक्षण आंदोलन और कृषि संकट कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें विपक्ष लगातार रेखांकित कर रहा है।
चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक, मराठा आरक्षण की मांग ने लोकसभा चुनावों में महायुति गठबंधन को नुकसान पहुंचाया था और यह अभी भी बड़े पैमाने पर मतदाताओं को प्रभावित करती है।
पिछले पखवाड़े में शिंदे सरकार ने मुंबई के पांचों प्रवेश बिंदुओं पर हल्के मोटर वाहनों के लिए टोल शुल्क माफी सहित 1,500 फैसले लिए हैं। इनमें से लगभग 160 निर्णय राज्य मंत्रिमंडल की बैठकों में लिए गए। रक्षा बंधन से शुरू की गई लाडली बहिन योजना इस चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकती है।