Fastag For All Vehicles: महाराष्ट्र में एक अप्रैल से सभी गाड़ियों पर फास्टैग अनिवार्य हो जाएगा। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने फैसला लिया कि एक अप्रैल से अनिवार्य रूप से फास्टैग के माध्यम से ही टोल संग्रह किया जाएगा और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए कारोबार के नियमों में बदलाव किया जाएगा। इस बदलाव को सुगम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी नीति 2014 में संशोधन को भी मंजूरी दी गई।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लोक निर्माण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस फैसले के बाद अब वाहन मालिकों को एक अप्रैल 2025 से अपने गाड़ियों में फास्टैग लगाना होगा। केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार 1 दिसंबर, 2017 से नए चार पहिया वाहनों के पंजीकरण के लिए फास्टैग को अनिवार्य किया गया है। अब महाराष्ट्र सरकार ने सभी वाहनों पर फास्टैग होने को अनिवार्य कर दिया है।
फास्टैग राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए भारत का इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह चिप है। सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से टोल संग्रह में दक्षता और पारदर्शिता आएगी और टोल प्लाजा पर वाहनों की भीड़ कम होगी एवं यात्रियों के समय और ईंधन की बचत होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि बिना फास्टैग वाले वाहनों या बिना उचित टैग के समर्पित लेन में प्रवेश करने वाले वाहनों को दोगुना टोल शुल्क देना होगा।
वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत 13 सड़क परियोजनाओं और महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम द्वारा प्रबंधित नौ परियोजनाओं पर टोल वसूला जा रहा है। यह निर्णय इन पर और राज्य में भविष्य में सभी टोल नाकों पर लागू होगा।
राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के बाद जहां सभी वाहनों में फास्टैग अनिवार्य होगा तो वहीं दूसरी राज्य में फास्टैग की सेवा देने वाली कंपनियों के डेटाबेस की गहन तरीके से जांच की जाएगी। इसमें यह पुष्टि की जाएगी कि प्रत्येक फास्टैग का विवरण वाहन डेटाबेस में दी गई जानकारी से मेल खाता है या फिर नहीं। इस प्रक्रिया को हर हाल में पूरा करके डेटाबेस को अपडेट किया जाएगा।
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टोल प्लाजा पर भीड़भाड़ और वाहनों की लंबी कतारों से बचने और इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा फास्ट टैग की अवधारणा को पूरे देश में लागू किया गया था। मोदी सरकार ने एक जनवरी 2021 से सभी चार पहिया वाहनों के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिया था। लेकिन इस पर शत प्रतिशत अमल नहीं हुआ है।
एक अन्य निर्णय में, मंत्रिमंडल ने प्रशासनिक कामकाज को अधिक सुचारू और कुशल बनाने के लिए संशोधित महाराष्ट्र सरकार के कार्य नियमों को मंजूरी दी। इस तरह के पहले नियम 1975 में बनाये गये थे और यह तीसरा बड़ा संशोधन है। विज्ञप्ति के मुताबिक राज्यपाल की मंजूरी के बाद संशोधित नियम आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किए जाएंगे। इन बदलावों का उद्देश्य पारदर्शिता, दक्षता और जन-केंद्रित शासन को बढ़ाना है, जिससे अंततः राज्य के नागरिकों को लाभ होगा। संशोधित नियमों में 48 विनियम, चार अनुसूचियां और एक अनुलग्नक शामिल हैं, जिन्हें नौ खंडों में विभाजित किया गया है।