राज्य के किसानों को कृषि उपज का उचित और वाजिब मूल्य सुनिश्चित करने के लिए ‘ई-नाम’ योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत बाजार की स्थापना को सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार ने महाराष्ट्र कृषि उपज विपणन (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1963 में संशोधन को मंजूरी दी गई। सरकार राज्य में 133 कृषि उपज बाजार समितियों में ई-एनएएम योजना लागू कर रही है।
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दी गई जानकारी में कहा गया कि कृषि उपज बाजार समिति में कृषि उपज के व्यापार में बाधाओं को कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार राज्य में 133 कृषि उपज बाजार समितियों में ई-एनएएम योजना लागू कर रही है।
कृषि उपज के व्यापार के लिए ऑनलाइन तरीके लागू किए जा रहे हैं। लेकिन राज्य में ई-एनएएम के तहत अभी भी एकल एकीकृत लाइसेंस का प्रावधान नहीं होने के कारण अंतर-बाजार और अंतर-राज्य व्यापार शुरू नहीं हो पाया है। इस बीच , केंद्र सरकार के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने कृषि उपज और पशुधन विपणन (संचालन और सुविधाएं) अधिनियम, 2017 (मॉडल अधिनियम) प्रकाशित किया है।
तदनुसार, राज्य के महाराष्ट्र कृषि उपज विपणन (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1963 में संशोधन करने के लिए 2018 के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश किया गया था। तदनुसार, केंद्र के मॉडल अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, राज्य की उन बड़ी मंडी समितियों को, जो कम से कम दो अन्य राज्यों से कृषि उपज प्राप्त करती हैं, राष्ट्रीय स्तर पर नामित मंडी समितियां घोषित करने का प्रावधान किया जाएगा। ऐसी मंडी समितियों को राष्ट्रीय स्तर पर नामित मंडी समितियां घोषित करने के बाद, सरकार का इन मंडी समितियों पर सीधा नियंत्रण होगा और निर्णय लेने की प्रक्रिया तथा विपणन प्रक्रिया सुगमता एवं शीघ्रता से संपन्न हो सकेगी। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार के उक्त मॉडल अधिनियम, 2017 के अनुसार एकल एकीकृत लाइसेंस संबंधी प्रावधानों को भी इसमें शामिल करने की अनुशंसा की गई है।
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में कृषि उपज मंडी समितियों के सचिवों का एक कैडर बनाने की भी सिफारिश की गई है। ताकि सचिव इस कार्यालय के सीधे नियंत्रण में आ जाएं और सरकार व मंडी समिति के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करें , साथ ही कृषि उपज मंडी समितियों पर नियंत्रण भी रख सकें। इसके लिए सचिव को पर्यवेक्षण का कार्य सौंपा जाएगा। उक्त सचिव का वेतन पर्यवेक्षण शुल्क से एकत्रित राशि से दिया जाएगा। इसके लिए कृषि उपज मंडी समितियों से एकत्रित पर्यवेक्षण शुल्क की राशि सरकार के बजाय विपणन विभाग को सौंपने के लिए अधिनियम में संशोधन भी किया जाएगा। कैबिनेट की बैठक में इस अधिनियम में संशोधन के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्थानीय स्तर पर एक पर्यवेक्षण समिति के गठन को भी मंजूरी दी गई।
सरकार के मुताबिक ई-नाम किसानों को बिचौलियों के बिना, सीधे खरीदारों को अपनी उपज बेचने में सक्षम बनाता है। जिससे किसानों को पारदर्शिता के साथ बेहतर मूल्य दिलाने में मदद होती है। यह प्लेटफ़ॉर्म व्यापक बाजारों, वास्तविक समय मूल्य निर्धारण जानकारी और ई-भुगतान प्रणालियों तक पहुँच प्रदान करता है, जिससे किसानों को समय पर भुगतान प्राप्त होता है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में बताया कि 30 जून 2025 तक 1522 मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल के साथ एकीकृत किया जा चुका है। न्होंने बताया कि 30 जून 2025 तक पोर्टल पर कुल 1,79,41,613 किसानों ने पंजीयन कराया है। वहीं 2,67,719 व्यापारी और 4,518 किसान उत्पादक संगठन (FPO) पंजीकृत हुए हैं। उन्होंने बताया कि आज तक ई-नाम पोर्टल पर कारोबार की गई कृषि उपज का कुल मूल्य 4,39,941 करोड़ रुपए है।