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औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के फैसले में कोई खामी नहीं: बॉम्बे हाई कोर्ट

केंद्र सरकार और राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ स्थानिक नागरिकों ने याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी जिसे बंबई उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।

Last Updated- May 08, 2024 | 7:06 PM IST
Bombay HC

महाराष्ट्र के दो जिलों औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के विरोध में दायर की गई याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय का फैसला राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है । बंबई उच्च न्यायालय ने औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दीं।

केंद्र सरकार और राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ स्थानिक नागरिकों ने याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी जिसे बंबई उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया । अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने शहरों के नाम बदलने का जो निर्णय लिया है उससे किसी को कोई नुकसान नहीं है ।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। पीठ ने कहा कि हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी की गयी अधिसूचना में कुछ भी गैरकानूनी या कानूनी खामी नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाओं में दम नहीं है इसलिए उन्हें खारिज किया जाता है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने 2022 में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर क्रमश: छत्रपति संभाजीनगर और धाराशिव करने को मंजूरी दी थी। 16 जुलाई 2022 को दो सदस्यीय मंत्रिमंडल ने नामों को बदलने का एक सरकारी प्रस्ताव पारित किया था और उसे केंद्र सरकार के पास भेजा था।

फरवरी, 2023 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शहरों एवं जिलों के नामों को बदलने लिए अनापत्ति पत्र दिया था जिसके बाद राज्य सरकार ने औरंगाबाद एवं उस्मानाबाद के नामों को बदलते हुए गजट अधिसूचना जारी की थी। तब औरंगाबाद के निवासियों ने इस जगह का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की थीं।

उस्मानाबाद के 17 लोगों ने इस स्थान का नाम बदलकर धाराशिव करने के सरकार के निर्णय के खिलाफ अन्य जनहित याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं में सरकार के फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने यह दावा करते हुए इन अर्जियों का विरोध किया था कि इन स्थानों के नाम किसी राजनीतिक वजह से नहीं बल्कि उनके इतिहास के कारण बदले गए हैं।

महाराष्ट्र के मामले में औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के लिए महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता 1966 की धारा 4 का उपयोग किया गया। यह एक्ट राज्य सरकार को राजस्व क्षेत्र की सीमा को बदलने या ऐसे किसी भी राजस्व क्षेत्र को समाप्त करने और उसका नामकरण करने की अनुमति देता है।

First Published - May 8, 2024 | 7:06 PM IST

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