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20 मिनट में पूरा होगा 2 घंटे का सफर! PM मोदी कल करेंगे अटल सेतु का उद्घाटन, जानिए कितना है टोल

अटल सेतु की कुल लंबाई 22 किमी है जिसमें से 16.5 किमी समुद्र में है और लगभग 5.5 किमी जमीन पर है। दोनों तरफ तीन-तीन लेन होंगी।

Last Updated- January 11, 2024 | 8:05 PM IST
Atal Setu

देश के सबसे लंबे समुद्री पुल मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक (MTHL) का उद्घाटन कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) करेंगे। जिसे अब अटल बिहारी वाजपेयी सेवरी-न्हावा शेवा अटल सेतु नाम दिया गया है। मोदी ने दिसंबर 2016 में इस पुल की आधारशिला रखी थी। करीब 21.8 किमी लंबा छह लेन वाला पुल है, जिसकी लंबाई समुद्र के ऊपर लगभग 16.5 किमी और जमीन पर लगभग 5.5 किमी है।

मुंबई महानगर क्षेत्र में परिवहन नेटवर्क का विस्तार करते हुए देश के इस सबसे बड़े समुद्री पुल का निर्माण मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) द्वारा किया गया है और अब यह यातायात के लिए खुलने जा रहा है। इस परियोजना में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किए जाने से ये इंजीनियरिंग का अविष्कार मानी जा रही है।

क्यों खास है अटल सेतु परियोजना ?

21 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना के निर्माण में 10 देशों के विशेषज्ञों ने अपना योगदान दिया है और 1500 से अधिक इंजीनियरों तथा लगभग 16 हजार 500 कुशल मजदूरों ने तीन शिफ्ट में दिन-रात काम किया है। इस प्रोजेक्ट में करीब 1.2 लाख टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इतनी मात्रा में स्टील से चार हावड़ा ब्रिज बनाए जा सकते हैं।

प्रोजेक्ट में 8 लाख 30 हजार क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है। यह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को खड़ा करने में इस्तेमाल किए गए कंक्रीट से छह गुना ज्यादा है। इस परियोजना में उपयोग किया गया स्टील एफिल टॉवर में इस्तेमाल किए गए स्टील से 17 गुना अधिक है। लगभग एक हजार खंभों पर बने इस मार्ग पर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा की जा सकती है और प्रतिदिन लगभग 70 हजार वाहनों की आवाजाही की क्षमता ये सेतु रखता है।

22 किलोमीटर लंबा है अटल सेतु

अटल सेतु की कुल लंबाई 22 किमी है जिसमें से 16.5 किमी समुद्र में है और लगभग 5.5 किमी जमीन पर है। दोनों तरफ तीन-तीन लेन होंगी। ईस्ट एक्सप्रेसवे को जोड़ा गया है और ईस्ट-वेस्ट वर्ली-शिवडी एलिवेटेड एक्सप्रेसवे को भविष्य में अटल सेतु परियोजना से जोड़ा जाएगा।

इससे दक्षिण मुंबई और पश्चिमी उपनगरों से मुंबई सी कोस्ट रोड के जरिए आने वाले यात्री अटल सेतु के जरिए बिना रुके मुख्य भूमि तक पहुंच सकेंगे। एक घंटे से अधिक की यात्रा का समय बचेगा और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी कम होगा।

पुल के दूसरी ओर नवी मुंबई के उलवे स्थित शिवाजी नगर, उरण-पनवेल राज्य महामार्ग और मल्टीमॉडल कॉरिडोर चिर्ले में इंटरचेंज किया गया है। इसके माध्यम से नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी, पुणे या गोवा से यात्री, भारी वाहन आसानी से मुंबई में प्रवेश कर सकेंगे।

यह सेतु मार्ग मुंबई-गोवा महामार्ग, मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे, वसई-विरार, नवी मुंबई, रायगढ़ जिले की विभिन्न संपर्क सड़कों से जोड़ा गया है। इसमें भारत की पहली ओपन रोड टोलिंग प्रणाली का भी उपयोग किया गया है।

अटल सेतु के निर्माण में पर्यावरण संतुलन का ध्यान रखा गया है। इस क्षेत्र में स्थानांतरित पक्षियों, विशेषकर फ्लेमिंगो, का प्राकृतिक आवास है इसलिए परियोजना के समंदर क्षेत्र के मैंग्रोव और दलदल इत्यादि पर्यावरण से संबंधित विशेषताओं को कम से कम नुकसान हो, इसका पूरा ख्याल रखा है।

कितना वसूला जाएगा टोल ?

मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का इस्तेमाल करने के लिए आपको एक तरफ की यात्रा के लिए 250 रुपये का टोल देना होगा जबकि राउंड ट्रिप के लिए 375 रुपये खर्च करने होंगे। राज्य सरकार का कहना है कि एक साल के बाद टोल की समीक्षा की जाएगी।

सुरक्षा के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, बंद होने वाले वाहनों को ले जाने के लिए स्वतंत्र आपातकालीन लेन, दुर्घटना-रोधी बाधाओं के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टिम और पक्षियों को किसी भी असुविधा से बचाने के लिए ध्वनि अवरोधक (साऊंड बैरियर्स) स्थापित किए गए हैं।

भूकंप, चक्रवात, हवा के दबाव को झेलने में भी सक्षम अटल सेतु

परियोजना को भूकंप, चक्रवात, हवा के दबाव और ज्वार के प्रभावों को झेलने में सक्षम बनाया गया है। समुद्री पुल के घटक अगले 100 वर्षों तक टिके रह सकें, इसके लिए जंग प्रतिरोधी सामग्री से बनाए गए हैं।

अटल सेतु के निर्माण में चुनौतियों को देखते हुए नवीनतम जापानी तकनीक करके इस पुल को बनाया गया। एक तरफ मुंबई पोर्ट ट्रस्ट और दूसरी तरफ जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी है, यहां मुंबई खाड़ी में ये सेतु बनाया गया है। यहां से बड़े कंटेनर जहाजों के साथ ही मछली पकड़ने वाली नौकाओं का भी लगातार आना-जाना लगा रहता है।

उनके यातायात को सुविधाजनक बनाने के अलावा, कच्चे तेल का परिवहन करने वाले समुद्र के नीचे के चैनलों, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और बीपीसीएल के तेल टर्मिनलों की सुरक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए व्यूह बैरियर्स का नियोजन किया गया है।

इस परियोजना के कारण तीसरी मुंबई के रूप में माने जाने वाले क्षेत्र में बड़े उद्योगों और विकास परियोजनाओं के आने से आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, औद्योगिक के संदर्भ में समग्र व सतत विकास में मदद मिलेगी। इससे क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अर्थव्यवस्था को अपेक्षित बढ़ावा मिलने और नए रोजगार सृजन के कारण यह परियोजना गेम चेंजर साबित होने वाली है।

First Published - January 11, 2024 | 8:05 PM IST

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