महाराष्ट्र सरकार ने बैंकों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसानों को लोन आसानी से समय पर मिले। सरकार किसानों के साथ खड़ी है और संकट के समय बैंकों को भी किसानों का साथ देना चाहिए। बैंकों को अल्प और अत्यल्प भूमि वाले किसानों को फसल ऋण देने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। फसल ऋण देते समय किसानों को सिबिल स्कोर के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है और ऐसा करने वाले बैंकों के खिलाफ सरकार सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होगी।
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 163वीं बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि किसानों को फसल ऋण के लिए आवेदन करते समय अपना सिबिल स्कोर प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। सरकार लगातार किसानों के हित के लिए काम कर रही है।
महाराष्ट्र के किसानों को खेती करने के लिए आर्थिक मदद मिल सके इसके लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार बैंकों और किसानों के बीच सक्रिय उपायों और मजबूत साझेदारी करने का प्रयास कर रही है। गौरतलब है कि सिबिल स्कोर किसी व्यक्ति की बैंकों, एनबीएफसी और वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने की क्षमता का माप है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमें आश्वासन देने के बाद भी बैंक किसानों को कर्ज देने से पहले उनका क्रेडिट स्कोर मांगते हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम उन बैंकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेंगे जो किसानों को उनके सिबिल स्कोर के आधार पर ऋण देने से मना करते हैं। हमने बैंकों से इस बारे में अपनी शाखाओं को सूचित करने को कहा है।
Also read: सीमांत किसानों पर पड़ी मौसम की मार, आधी खड़ी फसलें हुई बर्बाद
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र किसानों को प्राथमिकता देने वाले राज्य के तौर पर जाना जाता है। हमारा किसान ईमानदार और स्वाभिमानी है। दुर्भाग्य से, अगर प्रकृति की अनिश्चितताओं के कारण उन्हें किसी संकट का सामना करना पड़ता है तो हम एक सरकार के रूप में उनके साथ मजबूती से खड़े हैं। इसके लिए हमने संकटग्रस्त किसानों की मदद के लिए एनडीआरएफ के मानदंडों को दोगुना कर दिया है और हेक्टेयर की सीमा भी बढ़ा दी है। एक रुपये में फसल बीमा दिया जाता है। यदि संकट के समय बैंक उसकी आर्थिक सहायता नहीं करते तो उसे अन्य तरीकों से धन जुटाना पड़ता है। इसके चलते आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ रहा है। किसान बचेगा तभी हम सब बचेंगे ।
शेतकरी सम्मान योजना के माध्यम से केंद्र की ओर से 6,000 रुपये और राज्य की ओर से 6,000 रुपये की मदद दी जाती है। बैंक बड़े किसानों और कुछ कृषि व्यवसायों को ऋण देते हैं। अल्प और अत्यल्प भूमिधारक किसानों को वित्तीय सहायता देने में भी लापरवाही नहीं की जानी चाहिए। संकट के समय बैंक किसानों के साथ खड़े रहेंगे तो वे भी मजबूती से खड़े रहेंगे। हम यह भी प्रयास करते हैं कि किसान अपना ऋण चुका सकें।
कृषि क्षेत्र के अंतर्गत वार्षिक लक्ष्य की तुलना में बैंकों ने 1,68,481 करोड़ रुपये की उपलब्धि हासिल की है। पिछले वित्त वर्ष में 1,54,120 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है जो वार्षिक लक्ष्य का 91 फीसदी है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वार्षिक ऋण आपूर्ति करने लक्ष्य 41,00,286 करोड़ का प्रस्ताव किया गया है। जो पिछले वर्ष की तुलना में 21 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है। कुल ऋण प्रारूप में से प्राथमिकता क्षेत्र के लिए 6,78,540 करोड़ का प्रस्ताव है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 6,51,401 करोड़ रुपये था ।