भारत ने श्रमिकों की ‘सार्वभौम सुरक्षा’ के प्रावधान पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) को आगाह किया है। भारत ने कहा है कि यह प्रावधान चुनौतीपूर्ण हो सकता है। आईएलओ ने हाल में कार्य स्थलों पर अनियंत्रित जैविक खतरे से श्रमिकों को बचाने के लिए एक संधि तैयार की है जिसमें सार्वभौम सुरक्षा का जिक्र है। भारत ने कहा कि अनौपचारिक क्षेत्रों एवं सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसएमई) में यह प्रावधान लागू करना खास तौर पर मुश्किल हो सकता है।
इसके अलावा भारत ने कार्यस्थल के अलावा दूसरी जगहों पर इसे लागू करने पर भी चिंता जताई है। श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा, ‘हम कामगारों की सुरक्षा की जरूरत से वाकिफ हैं। मगर यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रस्तावित सुरक्षा ढांचे की परिभाषा इतनी व्यापक न हो कि उसका दायरा कार्यस्थल से भी बाहर निकल जाए। सार्वभौम सुरक्षा लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर अनौपचारिक क्षेत्र एवं एमएसएमई के मामले में इसे लागू करना मुश्किल हो सकता है।’
नैशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (एनएफआईटीयू) के महासचिव विराट जायसवाल का कहना है कि आईएलओ ने जो व्यापक परिभाषा तैयार की है सरकार उससे चिंतित है। जायसवाल ने कहा कि सरकार की चिंता का कारण यह है कि इस परिभाषा का दायरा इतना बड़ा है कि वास्तविक कार्य स्थल के अलावा इसे लागू करना मुश्किल होगा।
जायसवाल ने कहा, ‘भारत में बड़ा अनौपचारिक क्षेत्र है और एमएसएमई के पास वृहद अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन के लिए संसाधनों की कमी है। इसे देखते हुए ही भारत ने चरणबद्ध एवं जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया है।’