facebookmetapixel
हर साल रिटर्न जरूरी नहीं, इक्विटी सबसे लंबी अवधि का एसेट क्लास है: मॉर्गन स्टेनली एमडी रिधम देसाई‘उबाऊ’ बाजार से मत घबराओ, यहीं से शुरू होगी भारत की नई उड़ान – मार्क मैथ्यूजबाजार डगमगाए, मगर निवेश मत रोकिए! फंड गुरुओं ने बताया पैसा बढ़ाने का असली राजNSE IPO का इंतजार जल्द खत्म! सेबी चीफ बोले – अब देर नहीं, लिस्टिंग की राह खुली1 लाख फेक अकाउंट बंद, NSE IPO आने को तैयार – सेबी चीफ ने बताया भारत का फाइनेंस फ्यूचरSEBI के नए नियम, अब बैंक निफ्टी में होंगे 14 शेयर; टॉप स्टॉक्स के वेटेज पर लिमिटApple India को ​सितंबर तिमाही में रिकॉर्ड रेवेन्यू, iPhone की दमदार बिक्री से मिला बूस्टIndia’s Biggest BFSI Event – 2025 | तीसरा दिन (हॉल- 2)Swiggy के शेयर में 34% तक उछाल की संभावना! Nomura और Motilal Oswal ने कहा – खरीद लोसोने के भाव फिसले, चांदी की कीमतों में भी गिरावट; चेक करें आज का भाव

परमाणु कानून को शिथिल करने की तैयारी में भारत

असीमित जवाबदेही को सीमित करने से अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित करने की उम्मीद, 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य।

Last Updated- April 18, 2025 | 10:41 PM IST
Preparation to invest 26 billion dollars in Nuclear Energy, government will invite private sector!, Nuclear Energy में 26 अरब डॉलर के निवेश की तैयारी, प्राइवेट सेक्टर को आमंत्रित करेगी सरकार!

भारत अपने परमाणु उत्तरदायित्व कानूनों को सरल बनाने की योजना बना रहा है। इसका मकसद उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर दुर्घटना से जुड़े जुर्माने की सीमा तय करना है। यह कदम मुख्य रूप से अमेरिका की उन कंपनियों को आकर्षिच करने के लिए उठाया जा रहा है, जो जोखिम को लेकर असीमित जवाबदेही के कारण पीछे हट रही हैं। मामले से जुड़े 3 सूत्रों ने यह जानकारी दी।

भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 2047 तक 12 गुना बढ़ाकर 100 गीगावॉट करने की नरेंद्र मोदी सरकार की योजना की दिशा में यह ताजा कदम है। साथ ही इससे अमेरिका के साथ व्यापार और शुल्क से जुड़ी बातचीत में मदद मिलेगी।

मसौदा कानून परमाणु ऊर्जा विभाग ने तैयार किया है। सूत्रों ने बताया कि इसमें से सिविल न्यूक्लियर लायबिलिटी डैमेज ऐक्ट 2010 के प्रमुख प्रावधानों को हटा दिया गया है, जिसमें दुर्घटना होने की स्थिति में आपूर्तिकर्ताओं पर असीमित जिम्मेदारी डाली गई है।

इस सिलसिले में प्रतिक्रिया के अनुरोध पर भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं दिया। डेलॉयट साउथ एशिया के चीफ ग्रोथ ऑफिसर देवाशिष मिश्र ने कहा, ‘भारत को परमाणु बिजली की जरूरत है, जो स्वच्छ और जरूरी है।’ उन्होंने कहा, ‘जवाबदेही सीमित करने से परमाणु रिएक्टरों के आपूर्तिकर्ताओं की प्रमुख चिंता दूर हो जाएगी।’

ये संशोधन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल हैं, जिसमें ऑपरेटर के ऊपर सुरक्षा का दायित्व होता है, न कि परमाणु रिएक्टरों के आपूर्तिकर्ता के ऊपर। भारत को उम्मीद है कि इस बदलाव से जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी जैसी अमेरिकी फर्मों की चिंता कम होगी, जो दुर्घटना की स्थिति में असीमित दायित्व के प्रावधान के कारण दूरी बनाए हुए हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि संशोधित कानून पारित करना भारत और अमेरिका के बीच इस साल होने वाले व्यापार समझौते को लेकर चल रही बातचीत के लिए अहम है, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच 2030 तक व्यापार बढ़ाकर 500 डॉलर करना है, जो पिछले साल 191 अरब डॉलर था। एक सूत्र ने कहा कि मोदी सरकार को संशोधनों को संसद के मॉनसून सत्र में मंजूरी का भरोसा है, जो जुलाई से शुरू होना है।

प्रस्तावित संशोधनों के मुताबिक दुर्घटना की स्थिति में आपूर्तिकर्ता की ओर से ऑपरेटर को मिलने वाला मुआवजा कांट्रैक्ट के मूल्य तक सीमित रहेगा। साथ ही यह कांट्रैक्ट में तय अवधि में ही मिलेगा। इस समय के कानून में साफ नहीं किया गया है कि ऑपरेटर, आपूर्तिकर्ताओं से कितना मुआवजा मांग सकता है और कितनी अवधि तक वेंडर को जवाबदेह ठहराया जा सकता है।

भारत का 2010 का परमाणु दायित्व कानून 1984 की भोपाल गैस त्रासदी को देखते हुए तैयार किया गया है। भोपाल त्रासदी दुनिया की सबसे घातक औद्योगिक दुर्घटना थी। अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन के स्वामित्व वाले कारखाने में यह दुर्घटना हुई, जिसमें 5,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

First Published - April 18, 2025 | 10:41 PM IST

संबंधित पोस्ट