सरकार ने अनिवासी इकाइयों द्वारा प्रदान की जाने वाली ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं पर 6 फीसदी के इक्विलाइजेशन शुल्क (डिजिटल कर) को समाप्त करने का प्रस्ताव किया है। इससे गूगल, मेटा और एक्स जैसी कंपनियों को लाभ होगा। यह प्रस्ताव वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा लोक सभा में पेश किए गए वित्त विधेयक 2025 में 59 संशोधनों का हिस्सा है। यह कदम भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा और 2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा बराबरी वाला शुल्क लगाए जाने से पहले उठाया गया है।
प्रस्तावित संशोधनों में आयकर की धारा 10(50) के तहत संबंधित आयकर छूट को हटाने का भी प्रस्ताव किया गया है, जिससे इन कंपनियों की ऐसी आय नियमित आयकर के दायरे में आ जाएगी। इससे पहले सरकार ने 1 अगस्त, 2024 से वस्तुओं और सेवाओं की ई-कॉमर्स आपूर्ति पर 2 फीसदी शुल्क हटाने का निर्णय लिया था।
एमकेएम ग्लोबल में टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘2 फीसदी शुल्क की अमेरिका में बहुत आलोचना हुई थी लेकिन अब उसके द्वारा अधिक शुल्क लगाने की स्थिति में टकराव से बचने के लिए सरकार अधिक उदार रुख दिखा रही है। ऑनलाइन विज्ञापन पर 6 फीसदी इक्विलाइजेशन शुल्क को हटाना उस दिशा में एक कदम है। हालांकि यह देखना अभी बाकी है कि क्या इन कदमों से अमेरिका के रुख में कोई नरमी आएगी।’
इसके साथ ही सरकार ने पेंशन विनियमों में महत्त्वपूर्ण संशोधनों का भी प्रस्ताव किया है, जिसका उद्देश्य केंद्रीय लोक सेवा (पेंशन) नियमों को मान्य करना और पेंशन ढांचे को निर्धारित करने में सरकार के अधिकार को बनाए रखना है। यह कदम हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले के जवाब में उठाया गया है, जिसमें सेवानिवृत्ति की तिथि के आधार पर पेंशनभोगियों के बीच अंतर करने के सरकार के अधिकार को दरकिनार कर दिया गया था। विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि सरकार के पास हमेशा से पेंशनभोगियों को उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि के आधार पर वर्गीकृत करने का अधिकार रहा है। सेवानिवृत्ति की तिथि पेंशन पात्रता निर्धारित करती रहेगी और इससे सुनिश्चित होगा कि नए वेतन आयोग के लाभ पिछली तिथि से नहीं बल्कि आगे से लागू होंगे।
सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए आयकर अधिनियम की धारा 44बीबीडी में भी बदलाव का प्रस्ताव किया है। इससे ऐसी विदेशी कंपनियों को वित्त वर्ष 2026 के बजट में पेश किए गए अनुमानित कर का लाभ उठाने की अनुमति मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त वित्त विधेयक 2025 में संशोधन में आयकर अधिनियम की धारा 143(1) में भी बदलाव का प्रस्ताव है, जिससे कर विभाग को पिछले वर्ष के रिटर्न के साथ विसंगतियों के आधार पर आयकर रिटर्न को समायोजित करने की अनुमति मिल जाएगी।
वित्त विधेयक 2025 में आयकर की धारा 113, 132 और 158 में भी महत्त्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जो तलाशी और जब्ती कार्रवाई के दौरान पाई गई अघोषित आय के मूल्यांकन को नियंत्रित करते हैं। इसमें ‘कुल आय’ शब्द को ‘कुल अघोषित आय’ किया गया है। इस कदम का उद्देश्य पहले से घोषित आय पर अनुचित तरीके से कर लगाने से बचना है।