Indian data center market: भारत का डेटा सेंटर (डीसी) मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 6 से 7 सालों में यह 4 गुना बढ़ चुका है और अगले 5 साल में इसके 4 गुना तक और बढ़ने की संभावना है। इस मार्केट में अगले कुछ वर्षों में बड़ा निवेश आने की संभावना है। डीसी मार्केट में सबसे अधिक हिस्सेदारी मुंबई की है। नई आपूर्ति के मामले में आने वाले वर्षों में हैदराबाद, पुणे, बेंगलूरु उभर कर सामने आ सकते हैं। बड़े आकार के डीसी की मांग भी बढ़ रही है।
संपत्ति सलाहकार फर्म Colliers की रिपोर्ट “द डिजिटल बैकबोन: डेटा सेंटर ग्रोथ प्रॉस्पेक्ट्स इन इंडिया” के अनुसार भारत में पिछले साल डीसी क्षमता 1,085 मेगावाट दर्ज की गई थी। इस साल यह बहुत तेजी से बढ़ रही है। इस साल अप्रैल तक देश के 7 प्रमुख शहरों में डीसी क्षमता पिछले साल को पार कर 1,264 पहुंच गई है। पिछले 6-7 वर्षों में डीसी क्षमता में करीब 4 गुना वृद्धि हुई है। 2018 में डीसी क्षमता महज 307 मेगावाट थी, जो इस साल अप्रैल तक करीब 4 गुना बढ़कर 1,263 मेगावाट हो चुकी है। यह वृद्धि डिजिटल और क्लाउड सेवाओं की मांग में इजाफा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) को अपनाने और अनुकूल सरकारी नीतियों द्वारा समर्थित उच्च इंटरनेट पहुंच से प्रेरित है।
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भारत के डीसी मार्केट में मुंबई सबसे आगे है। कुल डीसी क्षमता में मुंबई की हिस्सेदारी 41 फीसदी है। इसके बाद चेन्नई और दिल्ली एनसीआर की क्रमशः 23 फीसदी और 14 फीसदी हिस्सेदारी है। बीते 5 वर्षों (2020-25) में डीसी मार्केट में नई आपूर्ति के मामले में भी मुंबई 44 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पहले पायदान पर है। मुंबई में इस दौरान 378 मेगावाट, चेन्नई में 234 मेगावाट, दिल्ली-एनसीआर में 130 मेगावाट की नई आपूर्ति हुई है। अगले 5 वर्षों यानी 2025-30 के दौरान देश के 7 प्रमुख शहरों में डीसी की नई आपूर्ति बढ़कर 3,000 से 3,700 मेगावाट होने का अनुमान है, जो बीते 5 वर्षों में नई आपूर्ति 859 मेगावाट से 4 गुना तक अधिक है। इस दौरान मुंबई, चेन्नई और दिल्ली-एनसीआर की हिस्सेदारी में कमी आने साथ हैदराबाद, पुणे, बेंगलूरु जैसे शहर नये डीसी मार्केट के रूप में उभर सकते हैं। इन शहरों की हिस्सेदारी क्रमश: 5, 3 और 2 फीसदी से बढ़कर 30 से 35, 10 से 15 और 4 से 6 फीसदी हो सकती है।
अगले 5 वर्षों के दौरान डीसी क्षमता और तेजी से बढ़ने की संभावना है। कॉलियर्स की इस रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष 7 शहरों में डीसी क्षमता 2030 तक 4,500 मेगावाट को पार करने की उम्मीद है। अभी यह 1,263 मेगावाट है। डीसी क्षमता में इस वृद्धि के परिणामस्वरूप अगले 5-6 वर्षों में रियल एस्टेट का दायरा लगभग 550 लाख वर्ग फुट तक पहुंच जाएगा। इस संभावित वृद्धि को सबमरीन केबलों के माध्यम से स्थापित वैश्विक कनेक्टिविटी, तुलनात्मक रूप से कम लागत पर भूमि और बिजली की उपलब्धता, सहायक सरकारी नीतियों और बढ़ती मांग का समर्थन प्राप्त है। इसके अतिरिक्त, प्रमुख डीसी ऑपरेटर अपनी उपस्थिति का विस्तार करने और कई टियर II/III शहरों में दीर्घकालिक निवेश करने की योजना बना रहे हैं।
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कॉलियर्स इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जतिन शाह ने कहा, “शीर्ष सात बाजारों में लगभग 1,263 मेगावाट की डीसी क्षमता के साथ भारत के डेटा सेंटर उद्योग ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है। भारत तेजी से डिजिटलीकरण, डेटा स्थानीयकरण मानदंडों और मजबूत सरकारी समर्थन से प्रेरित होकर एक वैश्विक डीसी हॉटस्पॉट बन रहा है। जैसे-जैसे यह विकास पथ जारी है, भारत की डीसी क्षमता अगले 5-6 वर्षों में 4,500 मेगावाट को पार करने की संभावना है। निस्संदेह, भारत के रणनीतिक लाभ जैसे भूमि पार्सल की उपलब्धता, उपयोग के लिए बिजली आपूर्ति और कुशल प्रतिभा की उपलब्धता, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में डेटा सेंटरों के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि बाजार बड़े पैमाने के सह-स्थान सुविधाओं और हाइपरस्केलरों से आगे बढ़कर कम लेटेंसी, रीयल-टाइम विश्लेषण, बेहतर ऐप प्रदर्शन और व्यवसाय लचीलापन की बढ़ती आवश्यकता से प्रेरित होकर एज डेटा सेंटरों तक फैल रहा है।”
बीते वर्षों में बड़े डीसी की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। 2020 से अप्रैल 2025 तक 20 मेगावाट से बड़े डीसी की हिस्सेदारी 42 फीसदी से बढ़कर 56 फीसदी हो गई है। हाल के वर्षों में विशेष रूप से बड़े हाइपर स्केल डेटा सेंटरों में बढ़े हुए आकर्षण का संकेत देता है। 2020 से नई आपूर्ति का लगभग 44 फीसदी 21 से 50 मेगावाट श्रेणी में था। 21 से 50 मेगावाट श्रेणी में मुंबई ने नई आपूर्ति वृद्धि का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा लिया। दिलचस्प बात यह है कि चेन्नई ने अवधि के दौरान 50 मेगावाट श्रेणी में नई पूर्णताओं का 45 फीसदी हिस्सा लिया। आगे बढ़ते हुए हमारा अनुमान है कि 50 मेगावाट से अधिक क्षमता वाले डीसी में 2030 तक इन्वेंट्री का लगभग दो-तिहाई हिस्सा होने की संभावना है।
भारतीय डीसी उद्योग में वृद्धि के साथ पिछले 5 से 6 वर्षों में अच्छा खासा निवेश हुआ है। उद्योग ने 2020 की शुरुआत से पहले ही 14.7 अरब डॉलर का निवेश देखा है। कॉलियर्स की इस रिपोर्ट के अनुसार ये निवेश मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण, परियोजना निर्माण और विकास आदि पर केंद्रित रहे हैं। अगले 5 से 6 वर्षों में, भारत में क्लाउड कंप्यूटेशन और आर्टिफिशियल के बड़े पैमाने पर अपनाने के बीच डीसी को 20 से 25 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने की संभावना है।
कॉलियर्स इंडिया के नेशनल डायरेक्टर और हेड ऑफ रिसर्च विमल नाडर ने कहा, “बढ़ती मांग, सहायक सरकारी नीतियों और देश की डिजिटल परिवर्तन के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता के बीच भारत का डीसी बाजार परिपक्व होने की संभावना है। आने वाले वर्षों में, उच्च घनत्व वाले रैक कॉन्फ़िगरेशन और उन्नत कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग और बढ़ेगी। जिससे अगले 5 से 6 वर्षों के दौरान 20 से 25 अरब डॉलर डीसी निवेश होने की संभावना है।
ऑपरेटर और डेवलपर तेजी से भूमि-बैंकिंग रणनीतियों की तलाश करेंगे और उच्च डेटा खपत स्तर वाले बढ़ते बाजारों में विस्तार करेंगे। इसके अलावा, ऊर्जा कुशल और ग्रीन सर्टिफाइड डीसी में निवेश को भी अधिक महत्व मिलेगा क्योंकि प्रमुख खिलाड़ी तेजी से स्थायी प्रथाओं को अपना रहे हैं। इस प्रकार उद्योग में ग्रीन पैठ वर्तमान में 25 फीसदी से बढ़कर 2030 तक 30 से 40 फीसदी होने की संभावना है।”