कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Kotak Institutional Equities) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में माइक्रोफाइनेंस सेक्टर को निवेश के लिहाज से “आकर्षक” (Attractive) बताया है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी साफ किया गया है कि हालात अभी पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं। खास तौर पर कुछ राज्यों में तनाव की स्थिति बनी हुई है, लेकिन कुल मिलाकर सेक्टर में धीरे-धीरे सुधार के संकेत ज़रूर नज़र आ रहे हैं।
CRIF हाईमार्क के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही तक माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री की कुल लोन बुक लगभग ₹3.8 लाख करोड़ रही, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 14% कम है। NBFC कंपनियों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही, जहां उनका कुल लोन पोर्टफोलियो (GLP) स्थिर रहा, जबकि स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) में तेज गिरावट देखी गई। डिसबर्समेंट यानी नए लोन जारी करने की प्रक्रिया पूरे सेक्टर में लगभग 38% घटी, लेकिन तिमाही आधार पर इसमें 11% की सुधार दिखा।
इंडस्ट्री में सक्रिय कर्जदारों की संख्या घटकर लगभग 8.3 करोड़ रह गई है, जो सालाना आधार पर 5% की गिरावट है। इसके साथ ही प्रति उधारकर्ता औसतन कर्ज भी घटकर ₹46,000 रह गया है, जो एक साल पहले के मुकाबले लगभग 10% कम है। इससे साफ है कि उद्योग में मांग और क्षमता, दोनों ही मोर्चों पर दबाव बना हुआ है।
रिपोर्ट में एसेट क्वालिटी को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया गया है। PAR 31-180 (वो कर्ज जो 31 से 180 दिनों तक बकाया हैं) में 0.2% की तिमाही गिरावट दर्ज की गई है। बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में काफी अच्छा सुधार देखने को मिला है। लेकिन कर्नाटक में हालात उलटे रहे, जहां इस कैटेगरी में लगभग 6% की तेज़ बढ़त देखी गई। तमिलनाडु में भी मामूली गिरावट आई है, जिसे लेकर कोटक ने चिंता जताई है।
कोटक ने यह भी बताया है कि ऐसे उधारकर्ताओं की संख्या घटी है जो जरूरत से ज्यादा कर्ज ले चुके थे। इससे सिस्टम पर दबाव कम हुआ है और जोखिम थोड़ा घटा है। कई लेंडर अब फिर से कर्ज देना शुरू कर चुके हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि सेक्टर की हालत और सुधरेगी। हालांकि, तीन अहम बातें अभी भी नजर रखे जाने लायक हैं- कर्नाटक की कमज़ोर स्थिति, तमिलनाडु में मई 2025 में जारी एक नया सरकारी अध्यादेश, और एक कर्जदार को केवल तीन लेंडरों से ही लोन देने की सीमा (3-lender cap) का प्रभाव जो पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ है।
कोटक का कहना है कि माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में जो सुधार दिख रहा है, वह बहुत लंबा नहीं चला है, बल्कि यह जल्दी हुआ है और इसमें सभी लोन देने वालों ने मिलकर काम किया है। सभी ने मिलकर कर्ज देने की रफ्तार कम की, जिससे ज़्यादा कर्ज लेने वालों की समस्या जल्दी काबू में आ गई। हालांकि, लंबे समय के लिए कुछ परेशानियां अब भी बनी हुई हैं। लेकिन अभी के हालात ऐसे हैं कि जो निवेशक कुछ समय के लिए पैसा लगाकर फायदा कमाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है।
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कोटक इस समय कुछ खास माइक्रोफाइनेंस लेंडर्स को प्राथमिकता दे रहा है, जिनका वैल्यूएशन फिलहाल सस्ता है। इनमें बंधन बैंक (Bandhan Bank), उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक (Utkarsh SFB) और इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक (Equitas SFB) शामिल हैं।
डिस्क्लेमर: यह खबर ब्रोकरेज की रिपोर्ट के आधार पर है, निवेश संबंधित फैसले लेने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।