अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के अगले साल शासन की बागडोर संभालने के बाद भारत संभवत: ट्रंप प्रशासन द्वारा शुरुआती शुल्क बढ़ोतरी से बच सकता है। ट्रंप ने आज घोषणा की कि वह कनाडा और मेक्सिको की वस्तुओं पर 25 फीसदी और चीन के उत्पादों पर 10 फीसदी शुल्क बढ़ाएंगे।
ट्रंप की सत्ता में वापसी से भारत के प्रति अमेरिका के रुख में बदलाव आने की आशंका बढ़ गई है। दरअसल अक्टूबर में उन्होंने भारत को सबसे अधिक शुल्क वसूलने वाला देश कहा था और और उसी के अनुरूप शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी।
अपने चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने सभी देशों से आयातित उत्पादों पर 10 से 20 फीसदी के बीच शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया था और चीन के उत्पादों पर 60 फीसदी शुल्क लगाने की बात कही थी। भारत अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है और उसे भी अमेरिकी शुल्क बढ़ोतरी का सामना करने की आशंका थी और ऐसा हुआ तो व्यापार संतुलन में बदलाव आ सकता है, क्योंकि वित्त वर्ष 2024 में यह 35.3 अरब डॉलर के अधिशेष के साथ भारत के पक्ष में था।
ट्रंप ने कहा कि 20 जनवरी को कार्यभार संभालने के बाद वह मेक्सिको और कनाडा से अमेरिका में आयात किए जाने वाले सभी उत्पादों पर तब तक 25 फीसदी शुल्क लगाएंगे जब तक कि इन देशों की सीमाओं से अवैध प्रवासियों का आना बंद नहीं होता है।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया नेटवर्क ट्रूथ सोशल में पोस्ट किया, ‘मेक्सिको और कनाडा दोनों के पास लंबे समय से चली आ रही इस समस्या को आसानी से हल करने का पूर्ण अधिकार है। हम मांग करते हैं कि वे इस शक्ति का उपयोग करें और जब तक वे ऐसा नहीं करते, तब तक उन्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी।’
ट्रंप ने यह भी कहा कि चीन अगर मेक्सिको के रास्ते नशीला पदार्थ सिंथेटिक फेंटेनाइल की खेप भेजना बंद नहीं करेगा तो चीनी उत्पादों पर अतिरिक्त 10 फीसदी शुल्क लगाएंगे।
नैटिक्सिस में एशिया प्रशांत की मुख्य अर्थशास्त्री एलिसिया गार्सिया-हेरेरो ने लिंक्डइन पोस्ट में कहा, ‘ट्रंप ने शुल्क पर जो बयान दिए हैं वह उनके चुनाव प्रचार के दौरान कही गई बातों से बिल्कुल अलग है। ऐसा लगता है कि ट्रंप की नवीनतम नियुक्तियों से चीन को ट्रंप के गुस्से को कम करने में मदद मिलेगी जबकि अमेरिकी सहयोगियों को अधिक नुकसान होगा।’
शिव नादर यूनिवर्सिटी में अतिथि प्राध्यापक मनोज पंत ने कहा कि भारत अभी ट्रंप के निशाने पर नहीं है। उन्होंने कहा, ‘ट्रंप का मुख्य निशाना उन देशों पर है जिसके साथ अमेरिका का ज्यादा व्यापार होता है। जिंसों के मामले में भारत उतना अहम व्यापारिक भागीदार नहीं है। वह भारत में सेवाओं की आउटसोर्सिंग को लक्षित कर सकते हैं। लेकिन इसमें ज्यादा गुंजाइश नहीं होगी क्योंकि ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिकी कंपनियों ने कहा था कि ऐसा करने से उन्हें ही ज्यादा नुकसान होगा। ट्रंप द्वारा सभी देशों के लिए शुल्क बढ़ाने की आशंका नहीं है क्योंकि इससे अमेरिका में मुद्रास्फीति की चाल बिगड़ सकती है।’