भारत की अध्यक्षता में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले जी20 फाइनैंस ट्रैक में क्रिप्टोकरेंसी के लिए विस्तृत नियमन तथा वित्तीय मसले पर मसौदा पत्र तथा बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार के तहत 200 अरब डॉलर की पूंजी पर्याप्तता ढांचे को लागू करने के वास्ते सदस्य देशों को साथ लाने जैसे बड़े मुद्दों पर चर्चा की गई।
सरकार के सूत्रों ने कहा कि फाइनैंस ट्रैक के अंतर्गत जी20 सदस्य देशों ने जुलाई तक 10 मुद्दों का समर्थन किया और 17 प्रस्तावों का स्वागत किया। जी20 नेताओं द्वारा विचार किए जाने वाले क्रिप्टो संपत्तियों पर मसौदा पत्र में प्रत्येक देश के लिए व्यापक रूपरेखा और ढांचा प्रस्तुत किया गया है। इसमें विकासशील देशों की चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया है।
वित्तीय प्रतिनिधियों ने क्रिप्टो संपत्तियों को विनियमित करने के लिए एक खाके की आवश्यकता पर चर्चा की, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, वित्तीय स्थायित्व बोर्ड और मानक निर्धारण निकाय द्वारा इसे लागू किए जाने का तरीका शामिल है।
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सूत्रों ने कहा, ‘कोई भी एक देश क्रिप्टो के मसले को प्रभावी तरीके से हल नहीं कर सकता है क्योंकि तकनीक में तेजी से बदलाव हो रहा है। वृहद आर्थिक स्थिरता पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।’
सूत्रों ने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को सुदृढ़ बनाने के वास्ते फाइनैंस ट्रैक ने अतिरिक्त ऋण के वास्ते ज्यादा पैसे देने को लेकर कई देशों की आशंका को दूर किया है।
सूत्रों ने कहा कि अमेरिका और भारत बहुपक्षीय विकास बैंकों को अपने संगठन के अंदर सिफारिशों को लागू करने की गुंजाइश पर चर्चा के लिए प्रोत्साहित करने के इच्छुक हैं। हालांकि जलवायु को लेकर ऋण सुविधा जैसे मसले पर अभी तक आम सहमति नहीं बन पाई है। मगर जाम्बिया, घाना और इथियोपिया के ऋण संकट के मुद्दे को अंतिम रूप दिया गया। इसके साथ ही श्रीलंका से संबंधित मसले पर भी सहमति बनी है।
जी20 फाइनैंस ट्रैक ने जलवायु परिवर्तन से वृहद आर्थिक जोखिम पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया है और हरके देशों को जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन करने की जरूरत के लिए समाधान की पेशकश की है।
सूत्रों ने संकेत दिया कि जीवाश्म ईंधन पर अत्यधिक निर्भर देश सऊदी अरब को शामिल करने के लिए ‘सिर्फ जलवायु परिवर्तन’ से जलवायु शब्द को हटाया गया है। कराधान के दो स्तंभों में फाइनैंस ट्रैक ने डिजिटल राजस्व के सृजन और कर पारदर्शिता बढ़ाने में देशों की क्षमता निर्माण की जरूरत पर जोर दिया।
समझा जाता है कि अमेरिका, चीन और भारत जैसे देशों ने इसमें अहम भूमिका निभाई है जहां इस तरह का लेनदेन काफी अधिक है। नेताओं के शिखर सम्मेलन में भी कर समझौते एवं अन्य मकसद से इसके इस्तेमाल की सुविधा के साथ रियल एस्टेट में कर पारदर्शिता बढ़ाने पर आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन की रिपोर्ट पर विचार किया जाएगा।