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यूरोपीय यूनियन को व्यापार वार्ता में और प्रगति की उम्मीद, कई मसलों पर खींचतान

भारत की प्राथमिकता गैर शुल्क बाधाओं को दूर करना, जिनमें सुरक्षा, पैकेजिंग और पर्यावरण संबंधी मानक शामिल

Last Updated- September 17, 2025 | 10:41 PM IST
India-EU FTA

यूरोपीय संघ के व्यापार और आर्थिक सुरक्षा के आयुक्त मारोश शेफचोविच ने आज बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि पिछले सप्ताह नई दिल्ली की उनकी यात्रा के दौरान व्यापार वार्ता में और प्रगति होगी क्योंकि व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए दिसंबर की समय सीमा बेहद करीब है।

शेफचोविच ने ब्रसेल्स में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं पिछले सप्ताह भारत गया था। बातचीत को आगे बढ़ाने के प्रयास में यह इस साल भारत की मेरी तीसरी यात्रा थी। मैं भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री (पीयूष गोयल) के साथ लगातार संपर्क में हूं।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वार्ताकार अपने कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि ईयू अपने हितों को दृढ़ता से रक्षा करेगा।

भारत ने अपने दूसरे सबसे बड़े निर्यात ठिकाने यूरोपीय संघ के साथ वार्ता को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्णय किया था क्योंकि अमेरिका (सबसे बड़ा निर्यात ठिकाना) के साथ तनाव बढ़ गया था और निर्यातक अमेरिका के साथ व्यापार समझौता न होने की स्थिति में माल को खपाने के लिए एक बड़े बाजार की तलाश में थे।

यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि दोनों पक्ष साल के अंत तक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ‘अब साझा हितों पर आधारित साझेदारियों पर दोगुना प्रयास करने का समय आ गया है। अपनी नई यूरोपीय संघ-भारत रणनीति के साथ हम अपने संबंधों को अगले स्तर पर ले जा रहे हैं।’

भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच वाहन, कृषि, शराब, सेवाओं और गैर-शुल्क उपायों पर अब भी मतभेद बने हुए हैं क्योंकि भारत इन्हें संवेदनशील मानता है और अब भी इन पर बातचीत चल रही है।

भारत के लिए सुरक्षा, पैकेजिंग और पर्यावरणीय मानदंडों से संबंधित गैर-शुल्क उपायों को सुलझाना प्राथमिकताओं में से एक है। शेफचोविच ने कहा कि दोनों पक्षों को उम्मीद थी कि वे कृषि और वाहन पर चर्चा पूरी कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कृषि पर हम एक और प्रयास करेंगे।’

ईयू के व्यापार आयुक्त ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि कारों के मामले में भारत में दुनिया में सबसे अधिक शुल्क है और चर्चा उन्हें कम करने पर केंद्रित है ताकि दोनों पक्षों को लाभ हो। उन्होंने कहा, ‘…लेकिन मुझे लगता है कि एक-दूसरे के मुद्दों पर पहले से बेहतर समझ हुई हैं और इससे हमें अगले दौर की चर्चाओं के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी।’

भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए 13वें दौर की वार्ता 8 से 12 सितंबर को नई दिल्ली में हुई थी। कमियों को दूर करने के लिए आगे की बातचीत की योजना है। अधिकारी 6 से 10 अक्टूबर तक ब्रसेल्स में निर्धारित वार्ता के 14वें दौर की तैयारी कर रहे हैं।

एक भारतीय सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘कई मोर्चों पर अच्छी प्रगति हुई है लेकिन कोई नए अध्याय पर चर्चा अभी पूरी नहीं हुई है। वाहन, शराब और सेवाओं से संबंधित कुछ पहलुओं पर और चर्चा की आवश्यकता है।’

भारत ने गैर-शुल्क उपायों को भी चिह्नित किया है जिनका सामना वे मुख्य रूप से यूरोपीय बाजार में मत्स्य पालन और कृषि क्षेत्रों में करते हैं। इसके अलावा कार्बन बॉर्डर समायोजन तंत्र और वनों की कटाई विनियमन शुरू करने की ईयू की योजना भी भारत के लिए चिंता का प्रमुख क्षेत्र रही है। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘भले ही शुल्क कम हो जाएं] गैर-शुल्क चुनौती बनी रह सकती है।’ उन्होंने कहा कि भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश ईयू की चिंता का प्रमुख क्षेत्र हैं।

अभी तक पारदर्शिता, सुगम नियमन, सीमा शुल्क और व्यापार सुविधा, बौद्धिक संपदा अधिकार और प्रशासनिक सहायता का अध्याय पूरा हो चुका है। दोनों पक्ष डिजिटल व्यापार अध्याय पर भी सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं।

भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और अमेरिका द्वारा लागू की जा रही संरक्षणवादी नीतियों के बीच यूरोपीय संघ के साथ वार्ता तेज की जा रही है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के हवाले से आ​धिकारिक बयान में कहा गया है कि यूरोप पहले से ही भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और हम वर्ष के अंत तक अपने मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यूरोप व्यापार के लिए खुला है। और हम भारत के साथ अपने साझा भविष्य में निवेश करने के लिए तैयार हैं।

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत ने यूरोपीय संघ को 75.85 अरब डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात किया जो इससे पिछले वित्त वर्ष से 0.09 फीसदी कम है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2025 में आयात 1.3 फीसदी घटा है और यह 60.68 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2025 में यूरोपीय संघ अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य था।

First Published - September 17, 2025 | 10:38 PM IST

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