facebookmetapixel
US Tariffs: अमेरिका-चीन में फिर भड़का ट्रेड वॉर, ट्रंप ने लगाया 100% टैरिफEditorial: टिकाऊ कर व्यवस्था से ही बढ़ेगा भारत में विदेशी निवेशपीएसयू के शीर्ष पदों पर निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों का विरोधपहले कार्यकाल की उपलब्धियां तय करती हैं किसी मुख्यमंत्री की राजनीतिक उम्रवित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के दौरान प्रतिभूतियों में आई तेजीलक्जरी ईवी सेगमेंट में दूसरे नंबर पर जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडियाअगले तीन साल के दौरान ब्रिटेन में 5,000 नई नौकरियां सृजित करेगी टीसीएसभारत में 50 करोड़ पाउंड निवेश करेगी टाइड, 12 महीने में देगी 800 नौकरियांसरकार ने विद्युत अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन किया पेश, क्रॉस-सब्सिडी के बोझ से मिलेगी राहतअर्थव्यवस्था बंद कर विकास की गति सीमित कर रहा भारत: जेरोनिम जेटल्मेयर

भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से हो सकती हैं शुरू, कोरोना के दौरान हुई थी बंद; यात्रियों को मिलेगा बड़ा फायदा

साल 2020 की शुरुआत में वैश्विक महामारी के दस्तक देने के साथ ही भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान सेवाएं बंद कर दी गई थीं, जो अब तक बंद हैं।

Last Updated- April 25, 2025 | 11:21 PM IST
Airplane
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारत और चीन के बीच सालाना 5 लाख से अधिक यात्री दूसरे मार्गों से उड़ान भरते हैं। अब दोनों देशों के बीच फिर से सीधी उड़ान के लिए चर्चा चल रही है, जिसका फायदा दोनों देशों के यात्रियों को मिलेगा। चीन के लिहाज से देखा जाए तो अमेरिका और चीन के बीच उड़ानों में 76 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। भारत वैश्विक महामारी से पहले एयर इंडिया के कमजोर होने के दौर के मुकाबले अब बाजार की बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है।

भारत और चीन का विमानन बाजार शुरू से काफी प्रतिबंधात्मक रहा है। मगर साल 2020 की शुरुआत में वैश्विक महामारी के दस्तक देने के साथ ही भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान सेवाएं बंद कर दी गई थीं, जो अब तक बंद हैं। विमानन उद्योग के लिए वैश्विक डेटा कंपनी ओएजी के मुताबिक, साल 2019 में भारत और चीन के बीच विमानों की फ्रिक्वेंसी 2,588 उड़ानों के साथ उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। इसमें चाइना सदर्न और चाइना ईस्टर्न जैसी दो विमानन कंपनियों का दबदबा था, जिनका कुल बाजार में 80 फीसदी से अधिक नियंत्रण था। मगर वैश्विक महामारी और सीमा पर हुई झड़पों के बाद इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई और साल 2024 के दौरान पूरे साल सिर्फ 6 उड़ानें रह गईं।

मगर हाल ही में दोनों सरकारों के बीच सीमा पर चल रहे मसलों को निपटाने के लिए हुई बातचीत से अब एक बार फिर दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें शुरू होने की संभावना बन गई है। यह ऐसे वक्त में हो रहा है कि जब चीन और अमेरिका के बीच उड़ानों की संंख्या में तेजी से गिरावट आई है। ओएजी के मुताबिक, साल 2019 में दोनों देशों के बीच जहां 10,400 उड़ानें थीं वह अब मौजूदा द्विपक्षीय समझौते के तहत सालाना 2,500 रह गई हैं। यानी इसमें करीब 76 फीसदी की भारी भरकम गिरावट देखने को मिली है। बड़े बेड़े और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण चीन इस बड़ी गिरावट की भरपाई के लिए अन्य देशों का रुख करने के बारे में सोच रहा है।

बेशक ऐसा इसलिए भी है क्योंकि चीन और भारत का हवाई बाजार दोनों देशों के लिए आकर्षक है। ओएजी का अनुमान है कि सीधी उड़ान सेवा बाधित होने के बाद से हर साल करीब 5.20 लाख यात्री दूसरे मार्गों से इन दोनों देशों की यात्रा करते हैं। साल 2020 में सीधी उड़ानें बंद होने के बाद से अब यात्री हॉन्गकॉन्ग, बैंकॉक और यहां तक की सिंगापुर के रास्ते यात्रा करते हैं। साल 2019 में 8.90 लाख से अधिक यात्रियों ने सीधी उड़ानों से दोनों देशों की यात्री की थी। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक, यह सबसे ज्यादा आंकड़े वाला साल था। साल 2024 में दोनों देशों के बीच कोई सीधी यात्री वाणिज्यिक उड़ान नहीं थीं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय विमानन कंपनियां, जिन्होंने हाल ही में 1,800 विमानों का ऑर्डर दिया है, निश्चित रूप से अपने बाजार का विस्तार करना चाह रही हैं।

First Published - April 25, 2025 | 10:44 PM IST

संबंधित पोस्ट