Leader of Opposition: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद के बाद अब सबकी निगाहें मंत्रिमंडल के विस्तार पर टिकी हुई है। 16 दिसंबर से नागपुर में शुरू होने वाले विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना है। इस बार राज्य में मंत्री पद से ज्यादा नेता प्रतिपक्ष की चर्चा हो रही है। दरअसल इस बार विधानसभा चुनाव में किसी विपक्षी पार्टी के पास 29 सदस्यों का आंकड़ा नहीं है, जो नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए नाकाफी है।
सत्ताधारी महायुति के नेताओं से प्राप्त जानकारी के मुताबिक नागपुर में शुरू होने वाले विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि 14 दिसंबर को मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है। जिसमें भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को विधायकों की संख्या के आधार पर मंत्री पद दिया जाएगा। विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन में नेता प्रतिपक्ष रहेगा या नहीं इस पर अभी तक संशय बना हुआ है।
विधानसभा में विपक्षी दल के नेता पद के लिए किसी पार्टी के पास कुल सदस्य संख्या का कम से कम 10 फीसदी सदस्य होना जरूरी है। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी के तीनों घटक दल यह आंकड़ा भी प्राप्त नहीं कर पाये हैं। इसके चलते सदन में उनका विरोधी पक्षनेता का पद भी हाथ से चला गया है।
शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी मिलकर सिर्फ 46 सीटों पर जीत पाई। शिवसेना को सर्वाधिक 20 विधानसभा सीटें मिलीं। कांग्रेस का आंकड़ा 16 और एनसीपी-एसपी 10 सीटों पर ही अटक गई। 288 सदस्यों वाली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए कम से कम 29 सीटें होना जरूरी है।
इसके बावजूद उद्धव सेना ने विधानसभा उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पद देने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष की रेस में कांग्रेस भी शामिल है। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के लिए महाविकास अघाड़ी में चर्चा होगी, फिर इस पर फैसला लिया जाएगा। विपक्षी गठबंधन को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा मिलेगा या नहीं, इसका फैसला विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को करना है।
नियम के मुताबिक अगर विधानसभा अध्यक्ष अपने विवेक से लिए गए फैसले के आधार पर दावा करने वाले विपक्षी दल को यह दर्जा दे सकते हैं। दूसरा महत्वपूर्ण दावा विधानसभा उपाध्यक्ष के पद का है, जो परंपरा के मुताबिक विपक्षी दल को दिया जाता है। अगर महायुति की सरकार इस पर राजी नहीं होती है तो मतदान से फैसला होगा। विधानसभा में महायुति को 230 सदस्यों का समर्थन हासिल है।
महाराष्ट्र विधानसभा में इसके पहले 80 के दशक में सदन में यही स्थिति बनी थी। उस समय किसी भी विरोधी पार्टी के पास 10 फीसदी सदस्य नहीं थे। ऐसा होते हुए भी तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने तीन वर्ष तक विपक्षी दलों को हर वर्ष एक विरोधी पक्षनेता का पद दिया था। इसमें शेतकरी कामगार पार्टी के दत्ता पाटिल, जनता दल के बबनराव ढाकणे और मृणाल गोर्हे का समावेश था। इतिहास के आधार पर इस बार भी विपक्ष की संयुक्त रूप से पद मांगने की तैयारी है। संयुक्त विपक्षी दलों की कुल विधायक संख्या 50 है।