Maharashtra CM Oath Ceremony: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की प्रचंड जीत के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने आज भव्य शपथ ग्रहण समारोह के दौरान महाराष्ट्र के 21वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 22 राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने फडणवीस को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेता अजीत पवार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर बधाई दी। समारोह में योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश), नीतीश कुमार (बिहार), चंद्रबाबू नायडू (आंध्र प्रदेश), पुष्कर सिंह धामी (उत्तराखंड), नायब सिंह सैनी (हरियाणा), भूपेंद्र पटेल (गुजरात) और प्रमोद सावंत (गोवा) सहित राजग शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और रामदास आठवले भी इस कार्यक्रम में मंच पर मौजूद थे। उद्योगपति मुकेश अंबानी और कुमार मंगलम बिड़ला तथा अभिनेता शाहरुख खान, सलमान खान, रणबीर कपूर, माधुरी दीक्षित-नेने, संजय दत्त और क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर भी समारोह में उपस्थित थे।
फडणवीस (54) ने तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शिंदे महाराष्ट्र के दूसरे ऐसे नेता हैं, जो मुख्यमंत्री के बाद उपमुख्यमंत्री बने। शिंदे की सरकार में फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे। शिंदे के बाद एनसीपी नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह छठी बार उपमुख्यमंत्री बने। वह महायुति और महाविकास अघाड़ी की सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं।
विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले मंत्रिपरिषद को शपथ दिला दी जाएगी, ताकि प्रशासनिक व्यवधान से बचा जा सके। एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र में महायुति के मंत्री एक सप्ताह के भीतर शपथ लेंगे। मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्री शपथग्रहण के बाद साथ बैठेंगे और मंत्रिपरिषद गठन के तौर-तरीकों पर तीनों नेता चर्चा करेंगे और एक सप्ताह के भीतर मंत्रिपरिषद का गठन कर लिया जाएगा।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव हुए और 23 नवंबर को उसके परिणाम सामने आने के उपरांत करीब दो हफ्ते तक सघन बातचीत चली थी। फिर आज फडणवीस के नेतृत्व में सरकार का गठन किया गया। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में 132 सीट जीतने के साथ ही भाजपा के सबसे मजबूत होकर सामने आने के बाद फडणवीस (54) इस पद के प्रबल दावेदार थे। वह नागपुर दक्षिण पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपने घटक दलों शिवसेना और राकांपा के साथ मिलकर भाजपा नीत महायुति गठबंधन के पास विधानसभा में 230 सीट हैं।
शपथ ग्रहण समारोह से पहले फडणवीस आज सुबह यहां प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर गये और वहां उन्होंने पूजा-अर्चना की। बुधवार को फडणवीस ने सरकार गठन का औपचारिक दावा करने के लिए शिंदे और पवार के संग राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन से मुलाकात की थी तथा गठबंधन के घटक दलों के समर्थन वाले पत्र उन्हें सौंपे थे। बुधवार को उससे पहले बैठक में फडणवीस को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था।
भाजपा नेता प्रसाद लाड ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह में लगभग 42,000 लोग शामिल होंगे। शपथ समारोह में 40,000 भाजपा समर्थकों के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, विभिन्न धर्मों के नेताओं सहित 2,000 गणमान्य लोगों के लिए अलग से बैठने की व्यवस्था की गई थी। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सुरक्षा के लिए 4,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
फडणवीस दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 2014 से 2019 तक पांच साल तक भाजपा-शिवसेना सरकार का नेतृत्व किया था। वर्ष 2019 के चुनाव के बाद जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा से नाता तोड़ लिया था, तब बाद में फडणवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और अजित पवार उपमुख्यमंत्री बने थे। लेकिन यह सरकार महज 72 घंटे चली क्योंकि अजित पवार पर्याप्त संख्या में राकांपा विधायकों का समर्थन नहीं हासिल कर पाये थे। जब शिवसेना में विभाजन के बाद शिंदे के नेतृत्व में महायुति सरकार सत्ता में आयी तब फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। बाद में शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा में विभाजन कर अजित पवार अलग हो गये और वह इस महायुति सरकार में दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में शामिल हो गये। अजित पवार (65) ने छठी बार उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस के सामने सबसे बड़ी चुनौती विधानसभा चुनाव के दौरान किये गए वादों को पूरा करने की है। पहले से राजकोषीय चुनौती का सामना कर रहे प्रदेश में घोषणा पत्र के वादों को पूरा करना आसान नहीं होगा। क्योंकि इससे राजकीय कोष पर बोझ बढ़ेगा। सबसे अधिक अतिरिक्त बोझ महिलाओं को दी जाने वाली मासिक वित्तीय सहायता में अपेक्षित वृद्धि से राज्य के खजाने पर पड़ेगा।
महायुति गठबंधन ने चुनाव के दौरान 2.5 लाख रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय वाली जरूरतमंद महिलाओं को नकद हस्तांतरण बढ़ाने का वादा किया था। यह राशि 1,500 रुपये से 40 प्रतिशत बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा। बुजुर्ग पेंशन 1,500 से बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा। 10 लाख छात्रों को 10,000 रुपये प्रतिमाह ट्यूशन फीस, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को 15,000 रुपये महीना, किसानों को 15,000 रुपये सालाना और 5 लाख के मुफ्त इलाज का वादा किया है।
नई सरकार को वित्त वर्ष 2025 में घोषणापत्र में किए वादों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 9,000 करोड़ रुपये और अगले वित्त वर्ष में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाना होगा। महिलाओं की दी जाने वाली राशि 1,500 से बढ़ाकर 2,100 प्रतिमाह की जाती है तो इससे मार्च 2025 तक 5,600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आएगी। इससे राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) लक्ष्य के 2.6 प्रतिशत से अधिक हो सकता है।