दिल्ली में कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करने वाले मजदूरों के लिए गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस (डिजिट इंश्योरेंस) ने के.एम. दस्तूर रीइंश्योरेंस ब्रोकर्स (KMD) के साथ मिलकर भारत की पहली AQI-आधारित पैरामेट्रिक बीमा पॉलिसी लॉन्च की है। इस पॉलिसी का उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर में 6,200 प्रवासी निर्माण श्रमिकों (migrant construction workers) को वायु प्रदूषण (Air Pollution) के कारण होने वाले वेतन नुकसान (wage loss) से बचाना है। राजधानी में जब खतरनाक स्तर तक प्रदूषण बढ़ने के कारण निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाती है, तब यह बीमा पॉलिसी मजदूरों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण अक्सर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक निश्चित सीमा से ऊपर चला जाता है, तो स्थानीय और सरकारी एजेंसियां निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा देती हैं। रोजाना मजदूरी पर निर्भर मजदूरों के लिए यह स्थिति उनकी आजीविका पर सीधा असर डालती है। इस बीमा पॉलिसी का मकसद ऐसे समय में मजदूरों को समय पर वित्तीय सहायता देना है, जिससे वे इस संकट से उबर सकें।
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यह पॉलिसी AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) पैरामीटर पर आधारित है। यदि दैनिक AQI स्तर 400 से अधिक दो बार पार कर जाता है, तो क्लेम का भुगतान ऑटोमेटिक रूप से ट्रिगर हो जाएगा। इस पॉलिसी के तहत, “स्ट्राइक” (प्रदूषण संकट) उस स्थिति को कहा जाएगा जब लगातार पांच दिनों में से कम से कम तीन दिन AQI 400 से ऊपर बना रहेगा। प्रत्येक स्ट्राइक के बीच कम से कम 25 दिनों का अंतर होना जरूरी है।
यदि क्लेम का मामला बनता है, तो प्रभावित श्रमिकों को अधिकतम ₹6,000 तक का भुगतान किया जाएगा, ताकि खतरनाक प्रदूषण स्तर के कारण हुए वेतन नुकसान की भरपाई की जा सके।
पैरामेट्रिक बीमा में वास्तविक नुकसान का आकलन करने के बजाय क्लेम का पेमेंट एक पूर्व-निर्धारित घटना या पैरामीटर-जैसे AQI सीमा या विशेष मौसम की स्थिति-के आधार पर किया जाता है।
इस सिस्टम से क्लेम प्रोसेस तेज हो जाती है, क्योंकि जैसे ही निर्धारित मानदंड पूरे होते हैं, पेमेंट ऑटोमेटिक रूप से जारी हो जाता है। पारंपरिक बीमा में बीमाकर्ता नुकसान की सीमा का आकलन करता है, जबकि पैरामेट्रिक बीमा अधिक सरल, पारदर्शी और तेज सॉल्यूशन प्रदान करता है।