भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिसंबर के अंत तक ई-रुपये के खुदरा क्षेत्र में लेन-देन की संख्या बढ़ाकर 10 लाख प्रतिदिन करने का लक्ष्य रखा है, जो जुलाई में 20,000 से 25,000 रही है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि रिजर्व बैंक प्रायोगिक तौर पर संचालित केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के थोक इस्तेमाल का अंतरबैंक उधारी या कॉल मनी मार्केट में टोकन के तौर पर विस्तार देने की योजना बना रहा है।
रिजर्व बैंक के अधिकारी ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक सीबीडीसी या ई-रुपये के इस्तेमाल को थोक लेन-देन की व्यापक सीमा में करने पर विचार कर रहा है। हम सीबीडीसी टोकन का इस्तेमाल कॉल मनी मार्केट के लिए करने पर विचार कर रहे हैं।’
अधिकारी ने कहा कि सीबीडीसी प्रायोगिक परियोजना को बंद करने की तिथि अभी तय नहीं की गई है क्योंकि बैंक जमा और मौद्रिक नीति पर डिजिटल मुद्रा के पड़ने वाले असर को पूरी तरह समझने की जरूरत है।
आरबीआई ने 1 नवंबर, 2022 को सीबीडीसी के थोक इस्तेमाल का प्रायोगिक परीक्षण शुरू किया था। हालांकि, इस डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी प्रतिभूतियों में शेयर लेनदेन के निपटान तक ही सीमित था। आरबीआई के अधिकारी ने कहा, ‘केंद्रीय बैंक अब अंतर-बैंक ऋण बाजार में कदम रखने की योजना बना रहा है। थोक सीबीडीसी का मकसद विभिन्न प्रौद्योगिकियों को आजमाने का रहा है।’
स्वदेशी भुगतान प्रणाली ‘रुपे’ के बारे में उन्होंने कहा कि इसे बढ़ावा देने के बारे में कोई भी निर्देश नहीं दिया गया है। रुपे को आकर्षक बनाकर लोकप्रिय बनाया जा सकता है। सूत्रों ने डिजिटल मुद्रा पायलट परियोजना की समाप्ति के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसके लिए कोई समयसीमा नहीं तय की गई है।