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RBI ने परियोजना ऋण नियमों में दी बड़ी राहत, अब निर्माण चरण में सिर्फ 1% प्रावधान अनिवार्य

प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि ऋणदाता को ऋण आवंटित करने से पहले सभी परियोजनाओं के लिए पर्याप्त भूमि/मार्ग संबंधी अधिकार की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।

Last Updated- June 19, 2025 | 11:45 PM IST
Reserve Bank of India Offline Digital Rupee

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वाणिज्यिक बैंकों के साथ-साथ अन्य ऋणदाताओं को बड़ी राहत देते हुए वाणिज्यिक रियल एस्टेट को छोड़कर सभी परियोजनाओं के लिए निर्माण चरण में बकाये ऋण का केवल 1 फीसदी सामान्य प्रावधान को अनिवार्य कर दिया है। पिछले साल मई में जारी मसौदा मानदंडों में इसके लिए 5 फीसदी प्रावधान का प्रस्ताव था। परियोजना वित्त पर अंतिम मानदंड आज जारी किए गए। रिजर्व बैंक ने कहा है कि ये मानदंड 1 अक्टूबर, 2025 से प्रभावी होंगे।

वाणिज्यिक रियल एस्टेट (सीआरई) के लिए निर्माण चरण में 1.25 फीसदी सामान्य प्रावधान की जरूरत होगी जबकि वा​णि​ज्यिक रिहायशी परियोजनाओं (सीआरई-आरएच) के लिए केवल 1 फीसदी सामान्य प्रावधान आवश्यक होगा। ब्याज एवं मूलधन अदायगी की शुरुआत के बाद की अव​धि को परिचालन चरण के तौर पर परिभाषित किया गया है। इस दौरान मानक परिसंपत्ति प्रावधान की जरूरत वाणि​ज्यिक रियल एस्टेट के लिए 1 फीसदी, वा​णि​ज्यिक रिहायशी परियोजनाओं के लिए 0.75 फीसदी एवं अन्य परियोजना जोखिम के लिए प्रावधान की आवश्कता क्रमशः 0.40 फीसदी तक कम हो जाएगी।

फिलहाल वा​णि​ज्यिक रियल एस्टेट को छोड़कर अन्य सभी परियोजनाओं के लिए मानक परिसंपत्ति प्रावधान 0.4 फीसदी है। वा​णि​ज्यिक रियल एस्टेट के लिए यह 1 फीसदी है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि प्रावधान की बढ़ी हुई आवश्यकता मौजूदा परियोजनाओं पर लागू नहीं होगी। मसौदा मानदंडों में मौजूदा परियोजनाओं के लिए भी उच्च प्रावधान का प्रस्ताव किया गया था।

अगर किसी निर्माणाधीन परियोजना में ऋणदाताओं का कुल निवेश 1,500 करोड़ रुपये तक है तो किसी भी व्यक्तिगत ऋणदाता का निवेश कुल निवेश का 10 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए। अंतिम मानदंडों में कहा गया है, ‘जिन परियोजनाओं में सभी ऋणदाताओं का कुल निवेश 1,500 करोड़ रुपये से अधिक है, वहां किसी व्यक्तिगत ऋणदाता के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 5 फीसदी या 150 करोड़ रुपये (में से जो भी अधिक हो) होगी।’

इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और सह-समूह प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग) एएम कार्तिक ने कहा, ‘परियोजना फाइनैंस पर अंतिम दिशानिर्देश ऋणदाताओं के लिए राहत हैं क्योंकि परिचालन परियोजनाओं के लिए मौजूदा आवश्यकता 0.4 फीसदी पर जारी है जो पहले के मसौदे में बताए गए 1 फीसदी या 2.5 फीसदी से कम है।’

कार्तिक ने आगे कहा, ‘एनबीएफसी पर इसका प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है क्योंकि अपेक्षित ऋण नुकसान आकलन के अनुसार पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं और मौजूदा प्रावधान दिशानिर्देशों के तहत आवश्यकतओं के करीब है। साथ ही ये प्रावधान अक्टूबर 2025 से आगे की अवधि के लिए लागू होंगे जिससे ऋणदाताओं पर इसका समग्र प्रभाव सीमित रहेगा।’

प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि ऋणदाता को ऋण आवंटित करने से पहले सभी परियोजनाओं के लिए पर्याप्त भूमि/मार्ग संबंधी अधिकार की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। पीपीपी मॉडल के तहत सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए न्यूनतम 50 फीसदी और अन्य सभी परियोजनाओं- गैर-पीपीपी बुनियादी ढांचा एवं गैर-बुनियादी ढांचा सीआरई एवं सीआरई-आरएच परियोजनाओं के लिए 75 फीसदी होनी चाहिए।

दबावग्रस्त ऋण के समाधन के बारे में नए मानदंडों में कहा गया है कि ऋणदाता परियोजना के प्रदर्शन और दबाव पर लगातार नजर रखेंगे। ऐसे मामलों ऋणदाताओं से पहले से ही समाधान योजना शुरू करने की अपेक्षा की जाएगी। ऋणदाताओं को डिफॉल्ट की तारीख से 30 दिनों के भीतर अदायगी खाते की प्रथम दृष्टया समीक्षा करने के लिए कहा गया है।

जहां तक वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की मूल या विस्तारित तिथि (डीसीसीओ) को आगे बढ़ाने से जुड़ी समाधान योजनाओं का सवाल है तो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए इसे तीन साल और गैर-बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 2 साल तक बढ़ाने की अनुमति दी गई है। लागत में वृद्धि और परियोजना के दायरे एवं आकार में बदलाव को ध्यान में रखते हुए डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दी गई है।

First Published - June 19, 2025 | 11:22 PM IST

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