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MFI के भारी ब्याज पर नाखुश RBI डिप्टी गवर्नर, कहा- कुछ सूक्ष्म वित्त संस्थान नए दौर में अनुचित तरीके से बढ़ा रहे मुनाफा

रिजर्व बैंक ने 2021 में ब्याज दरों पर इकाइयों को सूक्ष्म ऋण पर ब्याज वसूलने की पूरी स्वतंत्रता दे दी थी और पहले लगी 24 प्रतिशत ब्याज दर की ऊपरी सीमा को खत्म कर दिया था।

Last Updated- February 09, 2024 | 10:50 PM IST
Reserve Bank of India Deputy Governor M. Rajeswara Rao

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने सूक्ष्म वित्त संस्थानों (microfinance institutions-MFI) द्वारा कर्ज लेने वालों से ज्यादा ब्याज वसूलने पर नाराजगी जताई है। साथ ही उन्होंने एमएफआई की गैर जिम्मेदाराना गतिविधियों को लेकर आगाह किया है।

उन्होंने यह चिंता जताई कि कुछ सूक्ष्म वित्त संस्थान नए दौर में अनुचित तरीके से अपना मुनाफा बढ़ा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि नियामकीय स्वतंत्रता के दुरुपयोग की स्थिति में त्वरित नियामकीय कार्रवाई हो सकती है।

उन्होंने कहा, ‘ऐसा देखा गया है कि नए नियामकीय ढांचे में कर्जदाता जहां बढ़ी हुई लागत तत्काल उधारी लेने वालों पर थोप देते हैं, वहीं जब लाभ देने की बारी आती है तो सुस्त रहते हैं। नई व्यवस्था में कुछ एमएफआई ने अपना मुनाफा गैर आनुपातिक तरीके से बढ़ाया है। हम माइक्रोफाइनैंस सेक्टर में दी गई स्वतंत्रता के दुरुपयोग से अनभिज्ञ नहीं हैं और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमें कार्रवाई करने के लिए मजबूर करेगा।’

रिजर्व बैंक ने 2021 में ब्याज दरों पर इकाइयों को सूक्ष्म ऋण पर ब्याज वसूलने की पूरी स्वतंत्रता दे दी थी और पहले लगी 24 प्रतिशत ब्याज दर की ऊपरी सीमा को खत्म कर दिया था।

आगे राव ने कहा कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की प्रकृति अलग है। उन्होंने कहा कि एनबीएफसी के लिए बैंक लाइसेंस मांगना अस्वाभाविक है। राव ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि एनबीएफसी को पहले ही कुछ नियामकीय लाभ हासिल हैं।

राव ने कहा, ‘एनबीएफसी कुछ खास आर्थिक कार्य करने वाली विशिष्ट कंपनियों के रूप में विकसित हुई हैं और बैंक जैसा बनने की मांग करना उनके लिए अस्वाभाविक है।’

उन्होंने एनबीएफसी में पीयर टु पीयर (पी2पी) लेंडिंग के मसले का भी उल्लेख किया और कहा कि ऐसी गतिविधियां नियामकीय दिशानिर्देशों से भटकी हुई हैं। राव ने ऋण के जोखिम को लेकर कर्जदाताओं को शिक्षित करने के महत्त्व पर जोर दिया और नियामकीय मानकों व लाइसेंसिंग की शर्तों के किसी भी उल्लंघन की आलोचना की।

राव ने कहा, ‘हाल की एक एनबीएफसी की पी2पी को लेकर कुछ व्यावसायिक गतिविधियां नियामक दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं लगती हैं। एनबीएफसी-पी2जी पर कर्जदाताओं का एक बड़ा हिस्सा व्यक्तिगत है और उनसे इससे जुड़े जोखिमों को बेहतर तरीके से समझने की उम्मीद नहीं की जाती है। ऋण देने की गतिविधियों के जोखिमों के बारे में कर्जदाताओं को शिक्षित करने के बजाय एनबीएफसी पी2पी में कई तरीकों से जोखिम को कम करके बताया जाता है और ज्यादा व निश्चित मुनाफे का वादा किया जाता है। मैं साफ करना चाहता हूं कि लाइसेंसिंग की शर्तों और नियामक दिशानिर्देशों का किसी तरीके से उल्लंघन किया जाना अस्वीकार्य है।’

राव ने कहा कि एनबीएफसी सेक्टर ने पिछले 4 साल के दौरान व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र में 33 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि दर्ज की है, जबकि इसके विपरीत प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति में 15 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रमुख वजह है, जिसके कारण केंद्रीय बैंक को पिछले साल के अंत में असुरक्षित ऋण का जोखिम अधिभार बढ़ाना पड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘एफएसआर (वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट) में भी कहा गया है कि एनबीएफसी की पिछले 4 साल के दौरान व्यक्तिगत ऋण की करीब 33 प्रतिशत संयुक्त सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) कुल मिलाकर ऋण वृद्धि (करीब 15 प्रतिशत) से बहुत ज्यादा है। कुछ चुनिंदा खुदरा ऋण श्रेणी में हाल में जोखिम अधिभार बढ़ाए जाने को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए।’

नवंबर 2023 में रिजर्व बैंक ने बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिए जाने वाले कर्ज का जोखिम अधिभार बढ़ा दिया था, जो इन गैर बैंक कर्जदाताओं के पहले से रेटिंग से जुड़े जोखिम अधिभार के अतिरिक्त है।

समायोजन तभी लागू होता है जब एनबीएफसी की रेटिंग के आधार पर वर्तमान जोखिम अधिभार 100 प्रतिशत से कम हो। एनबीएफसी को बैंक ऋण के लिए जोखिम अधिभार में वृद्धि एएए, एएए और ए रेटिंग वाली एनबीएफसी पर लागू होगी। बीबीबी प्लस और अन्य सभी के लिए पहले ही जोखिम अधिभार 100 प्रतिशत है।

First Published - February 9, 2024 | 10:50 PM IST

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