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शेयरधारिता मानक पूरा करने के लिए PSU सेक्टर के बैंकों और बीमा कंपनियों को मिलेगा वक्त

सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से अन्य 7 बैंक, SBI, PNB, केनरा बैंक, BoB, इंडियन बैंक, UBI, BOI 31 मार्च, 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक MPS मानकों का पालन कर रहे हैं।

Last Updated- June 02, 2024 | 10:07 PM IST
Finance Ministry

Minimum public shareholding norm: वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों को न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता 25 फीसदी करने की अनिवार्य सीमा के अनुपालन के लिए और वक्त देने के पक्ष में है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि सरकार इस शर्त को पूरा करने के लिए तय समयावधि अगस्त महीने से आगे बढ़ाने की इच्छुक है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘चुनाव नतीजे ही आगे की कार्रवाई तय करेंगे। ज्यादा संभव है कि जिन्हें न्यूनतम शेयरधारिता मानदंड पूरा करने के लिए समय विस्तार नहीं मिला है, उन्हें एक और विस्तार दिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को इस सिलसिले में पत्र लिख सकता है।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एवं सिंध बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के 5 बैंक सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 75 फीसदी से नीचे करने की योजना बना रहे हैं, जिससे सेबी की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) के मानकों का पालन किया जा सके।

सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से अन्य 7 बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया 31 मार्च, 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक एमपीएस मानकों का पालन कर रहे हैं।

इस खबर को लिखे जाने तक वित्त मंत्रालय ने ई-मेल से मांगी गई जानकारी का कोई जवाब नहीं दिया।

दिल्ली मुख्यालय वाले पंजाब ऐंड सिंध बैंक में फिलहाल सरकार की 98.25 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं चेन्नई के इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.38 फीसदी, यूको बैंक में 95.39 फीसदी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 फीसदी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.46 फीसदी हिस्सेदारी है।

सेबी के मुताबिक सभी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए 25 फीसदी एमपीएस रखना अनिवार्य है। बहरहाल नियामक ने सरकारी बैंकों को विशेष छूट दी है और उन्हें 25 फीसदी एमपीएस जरूरत पूरी करने के लिए अगस्त 2024 तक का वक्त दिया गया है।

हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने 10 फीसदी शेयरधारिता का लक्ष्य हासिल करने के लिए और 3 साल का वक्त दिया है।

एलआईसी के लिए 10 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता का लक्ष्य हासिल करने के लिए संशोधित समय सीमा 16 मई, 2027 रखी गई है। 31 मार्च 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा दिग्गज की सार्वजनिक शेयरधारिता 3.5 फीसदी थी। 10 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता के लिए सरकार को 6.5 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश करना होगा।

केयर रेटिंग्स के डायरेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा, ‘न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता सेबी की आवश्यक जरूरत है। तमाम सरकारी बैंकों को उस दौरान सरकार से उल्लेखनीय अंशदान मिला, जब उनका एनपीए उच्च स्तर पर था और वे घाटे से जूझ रहे थे। अब बैंक मजबूत हुए हैं और मुनाफे में आ गए हैं। अब यह जरूरी है कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने दिया जाए और वे स्वतंत्र स्रोतों से इक्विटी हासिल कर सकें। इससे संसाधन के प्रोफाइल का विविधीकरण भी होगा। नई इक्विटी से पूंजी बढ़ाने और कारोबार करने में उन्हें मदद मिलेगी।’

इसके पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड से एक साक्षात्कार के दौरान जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (जीआईसी री) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रामास्वामी नारायणन ने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि आम चुनाव के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की पुनर्बीमा कंपनी करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की गतिविधि शुरू कर सकती है, हालांकि उसके लिए अभी कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है।

First Published - June 2, 2024 | 10:07 PM IST

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